करनैलगंज (गोंडा)। किसी ने कहा है कि सफलता के लिए कोई नया काम करने की जरूरत नहीं है। बस किसी भी कार्य को कुछ अलग ढंग से करने की आवश्यकता है। कुछ ऐसा ही हलधरमऊ के बरांव निवासी युवा इंजीनियर सुधीर तिवारी ने कर दिखाया है। उसके पिता दिल्ली में चश्मे की दुकान करते थे और सुधीर का जन्म दिल्ली में ही हुआ। वहीं इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद नौकरी छोड़ कर वह खेती करने गांव आ गया। सुधीर आधुनिक खेती करके लोगों को रोजगार देने की पहल शुरू कर दी। सात वर्ष में जहां उनके साथ 150 लोग रोजगार से जुड़े हैं। वहीं खेती करके करीब एक करोड़ से अधिक उपज की वह बिक्री कर चुके हैं। आधुनिक कृषि उपकरणों की उपलब्धता के साथ इस वर्ष उनका ईंट-भट्ठा भी संचालित हो चुका है। विकास खंड हलधरमऊ के ग्राम बरांव निवासी निवासी सुधीर कुमार तिवारी का जन्म दिल्ली में हुआ था। जहां मॉर्डन चाइल्ड स्कूल में प्राथमिक से लेकर इंटर तक शिक्षा ग्रहण करने के बाद वर्ष 2010 में भारतीय विद्यापीठ कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से बीटेक करके उसी वर्ष टीसीएस कंपनी में नौकरी शुरू करना शुरू कर दी, जो उन्हें दिशाहीन दिखाई दी। उनके मन मे गरीबों को रोजगार देने की सोच पैदा हुई जो नौकरी से संभव नहीं था। इसी से नौकरी छोड़कर वह उसी वर्ष वह अपने पैतृक गांव बरांव आ गये।
पिता द्वारा अर्जित की गई भूमि की उन्होंने जुताई गुड़ाई कराकर पारंपरिक खेती शुरू की। उसके बाद बैंक से केसीसी कराकर 20 एकड़ गन्ने की खेती की। मिल द्वारा समय से गन्ने का मूल्य भुगतान न मिलने से दूसरे वर्ष गुजरात की एक कंपनी से टिसू कल्चर केले का पौध खरीदकर ढाई एकड़ खेती किया। इससे स्थानीय स्तर पर लोगों को रोजगार भी मिला और फिर खेती में कदम आगे ही बढ़ते गए।
स्थानीय श्रमिकों को दिया रोजगार, एक करोड़ की उपज बेची खेती का कार्य शुरू करने से स्थानीय 12 श्रमिकों को रोजगार मिला। 3 लाख पचास हजार रुपये की लागत पर फसल तैयार हुई। उचित मूल्य न मिलने से वह दिल्ली के आजादपुर मंडी ले गये। जहां उनकी फसल 10 लाख रुपये की बिकी। जिससे प्रति वर्ष केले की खेती का दायरा बढ़ता गया। साथ ही गन्ने की खेती भी करते रहे। सात वर्ष में उन्होंने करीब एक करोड़ की फसल बिक्री की। बीते वर्ष 70 लाख रुपये की लागत से ईंट-भट्ठा भी लगाया गया। जो इस वर्ष संचालित हो चुका है। अब तक वह 150 लोगों को रोजगार दे चुके हैं। आम, अमरूद, नींबू जैसे कई प्रजाति के वृक्ष लगाकर फलदार वृक्ष लगाने की लोगों को प्रेरणा दी है। तिवारी ने मोबाइल सोलर ट्रॉली का अविष्कार करके किसानों का सिंचाई पर होने वाले 90 प्रतिशत व्यय से मुक्ति दिलाकर नई दिशा दिया है। करीब 50 से अधिक किसान इसका लाभ ले रहे हैं।
कृषि उपकरण से हुए समृद्ध, सरकारी विभाग से मिली मदद आज उनके पास कृषि के सभी उपकरण मौजूद हैं। जिसमे ट्रैक्टर-ट्रॉली, स्ट्रॉरीपर, लेजर लेबलर, रोटरी मल्चर, सीड कम फर्टिलाइजर ड्रिल, सोलर पंप, रोटावेटर, हैरो, पावर टिलर, माउंटेड स्प्रेयर, सहित अन्य उपकरण सामिल हैं। उन्होंने बताया कि कृषि विभाग के अधिकारियों से उन्हें काफी सहयोग मिला। अब उनके सभी खेतों में टपक सिंचाई का पाइप लाइन बिछा है। खेतों में सोलर पंप भी स्थापित हैं, जिसमें कुछ का कनेक्शन उनके आवास से जुड़ा है, वहीं से उसका संचालन हो रहा है। उन्होंने बताया कि यह सब नौकरी से संभव नहीं था। बरांव गांव के सुधीर कुमार तिवारी ने सरकार की कृषि योजनाओं का लाभ भी उठाया और कृषि को विकसित करने के साथ तमाम लोगों को रोजगार का अवसर भी दिया है। जो एक मिसाल है। उत्तम खेती एक अच्छा रोजगार व विकास का माध्यम है ये उन्होंने कर दिखाया है। जेपी यादव, जिला कृषि अधिकारी गोंडा ने कहा आम किसानों को उनकी खेती से नसीहत लेनी चाहिए।
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