गोंडा शहर में जाम का एक बड़ा कारण लचर ट्रैफिक व्यवस्था भी है। करीब 2 लाख की आबादी वाले शहर में ट्रैफिक की जिम्मेदारी सिर्फ 16 ट्रेन्ड ट्रैफिक पुलिस के हवाले है। संख्या बल बढ़ाने के लिए अन्ट्रेन्ड होमगार्ड व पीआरडी जवानों को उनके साथ लगाया गया है। जिस वजह से शहर की ट्रैफिक व्यवस्था रामभरोसे हो चुकी है। अगर आपको बड़ी संख्या में बिना हेल्मेट के तीन सवारी बैठाए लोग सड़कों पर फर्राटा भरते नजर आएं तो खुद ही समझ जाए कि आप देवीपाटन मंडल मुख्यालय में हैं। जहां तहां बेतरतीब ढंग से पार्क किए गए चौपहिया वाहन भी शहर की पहचान बने हुए हैं। मुख्य बाजारों में सड़कों पर खड़े चौपहिया वाहन भी ट्रैफिक व पुलिसकर्मियों को मुह चिढ़ाते नजर आते हैं।
शहर में अक्सर होने वाली दुर्घटनाओं के लिए वाहनों की रफ्तार एक मुख्य कारण है। युवा बाइकर्स प्रेशर हार्न बजाते हुए तेजी से ड्राइव करते हैं। बचने के लिए इधर-उधर हटने वाले लोग अकसर चोटहिल हो रहे हैं जिसमें बड़ी संख्या साइकिल सवारों की है। हेल्मेट, सीट बेल्ट आदि का कानून बना दिखावा: प्रदेश सरकार ने होने वाली सड़क दुर्घटनाओं से बचाने के लिए सख्त कानून लागू किया। ये कानून शहर में दिखावा मात्र बन कर रह गया है। रांग साइड ड्राइविंग और ट्रैफिक नियमों को तोड़ना मानो अब शौक बन चुका है। इसका बड़ा कारण होमगार्ड व पीआरडी से खौफ न होना है। ई -चालन भी नाम मात्र: कहने को तो शहर के सभी थानों में ई -चालान की सुविधा है। पर इसका उपयोग कम ही होता है। दण्ड न होने की वजह से लोगों में नियम तोड़ने का डर भी नहीं है।
आंकड़ों की नजर में ट्रैफिक कर्मी
पद (ट्रेन्ड ) संख्या
टीआई 1
टीएसआई 2
हेड कान्सटेबल 5
कान्सटेबल 8
(अनट्रेन्ड)
होमगार्ड 45
पीआरडी 50
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