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Sunday, April 27, 2025 4:16:13 PM

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लखीमपुर खीरी। राकिमसं ने मुख्यमंत्री पोर्टल पर दर्ज कराई शिकायत

लखीमपुर खीरी। राकिमसं ने मुख्यमंत्री पोर्टल पर दर्ज कराई शिकायत
/ से बेखौफ खबर के लिए स्वतंत्र पत्रकार अनुज कुमार वर्मा की रिपोर्ट

राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन। गोला गोकर्ण नाथ : ” गन्ने की पतायी ” जलाने पर किसानों को परेशान न करें और ” मा० सुप्रीम कोर्ट ” के आदेश के तहत पराली जलाने के बजाय उससे उत्पाद बनाये, सड़ाये व किसी प्रकार ठिकाने लगाने मे किसानों को 100 रूपये प्रति कु० अनुदान दे ” सरकार “। राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन ने मुख्यमंत्री के पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराकर न्याय की गुहार लगाई है। ज्ञापन मे जिला अध्यक्ष श्रीकृष्ण वर्मा ने कहा है कि ” सरकार और उसके अधिकारी ” स्थान बतायें, किसान ” गन्ने की पतायी” और ” पराली ” कहां ले जायं। किसान गन्ने की पतायी उठाकर सड़कों के किनारे लगाने को मजबूर, जब बाधित होगा यातायात तब कौन होगा जिम्मेदार। श्रीकृष्ण वर्मा ने लिखा है कि प्रदूषण के चलते सुप्रीम कोर्ट ने पराली का धुआं काला, कड़ुआ, विषैला, प्रदूषित होने के कारण संज्ञान मे लेते हुए उसे जलाने पर रोक लगाई है, पर गन्ने की पतायी को जलाने पर रोक नहीं लगाई है क्यों कि उसका धुआं साफ और हल्का होता है। सुप्रीम कोर्ट ने पराली को जलाने के बजाय उसे सड़ाने, उत्पाद बनाने व ठिकाने लगाने के लिए किसानों को 100 रूपये प्रति कु० अनुदान दिये जाने को सरकार को आदेश किये हैं। उसके बाद भी किसान यदि पराली को जलाये फिर उसके ऊपर मुकदमा, जुर्माना करे। किंतु सरकार और उसके अधिकारीगण सुप्रीम कोर्ट के सर्वोत्तम आदेश की अवज्ञा कर, अनुदान न देकर, किसानों के ऊपर मुकदमा व जुर्माना कर रहे हैं। जिससे किसान अपनी फसलें, गेहूं, लाही, मसूर, जौं, चना, आदि की बुआई नहीं कर पा रहा है। जिससे पूरे देश में अन्न के अभाव के संकट के बादल निश्चित रूप से मडरायें गे और देश की जनता / प्राणी भूंखों मरेगी। गन्ने की पतायी पर जलाने की रोक न होने के बाद भी लेखपाल व पुलिस रोक लगा कर, धमकाकर अवैध धन वसूली कर रहे हैं। धन न देने पर गन्ने की पतायी को पराली मे दिखाकर किसानों पर मुकदमा और जुर्माना कर रहे हैं। …… किसानों पर मुकदमा लिखे जाने से तहसीलदारों, और उप जिला अधिकारियों की कीमत बढ़ गई है। जो सुप्रीम कोर्ट के आदेश का खुला उल्लंघन, तानाशाही व किसान विरोधी है। जिससे सरकार की छवि धूमिल हो रही है। श्रीकृष्ण वर्मा ने कहा है कि प्रदूषण फैलाने मे चीनी मिलों की चिमनियों एवं चलाये जा रहे गन्ना कोल्हूओं से निकलता काला, विषैला व प्रदूषित धुआं और धुएं के साथ उड़ाई जा रही काली राखी जो मकानों के ऊपर डाली जा रही है तथा चीनी मिलों के बनाए गए बड़े – बड़े तालाबों में भरा गया गन्दा व विषैला, प्रदूषित पानी जिसके आसपास एक किलोमीटर तक की दूरी के नलों का पानी लाल, प्रदूषित, पानी निकल रहा है। अधिकारियों ने जनपद मे लगे कोल्हूओ़ं को बंद कराकर उनसे जुर्माना वसूल कर कोल्हूओ़ं को पुनः संचालित करा दिया गया है.। जिस पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और आला अधिकारी मौन हैं। और गन्ने की पतायी व पराली जलाने से किसानों के ऊपर मुकदमा दर्ज कर, जुर्माना वसूल किया जा रहा है जो घोर निन्दनीय बताया है। श्रीकृष्ण वर्मा ने कहा है कि अधिकारी यदि किसानों के परेशान करके तबाही मचाना चाहते हैं तो फिर इन्सानों / मनुष्यों के मुर्दों को जलाये जाने, मोटर वाहन चलाये जाने, बीड़ी, सिगरेट पीने पर प्रतिबंध लगा दे, इससे अधिकारियों की कीमत और बढ़ जायेगी। श्रीकृष्ण वर्मा ने सरकार को ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराकर गन्ने की पतायी को जलाने पर रोक हटाकर, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत पराली को ठिकाने लगाने से 1००रू० कु० अनुदान दिलाकर किसानों को न्याय दिलाने की मांग की है, अन्यथा की स्थिति में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन कराये जाने को लेकर एक सप्ताह के बाद आन्दोलन को बाध्य होगा।

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