प्रयागराज। एलएलएम छात्रा के यौन शोषण के आरोप में जेल भेजे गए पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वामी चिन्मयानंद के लिए राहत भरी ख़बर आई है. महानिर्वाणी अखाड़े से जुड़े चिन्मयानंद के मामले में साधू -संतों ने यू टर्न लेते हुए संत समाज द्वारा उनके बहिष्कार के फैसले को न सिर्फ वापस ले लिया है, बल्कि अब खुलकर उनकी मदद करने का भी एलान किया है. संतों का कहना है कि वह लोग न सिर्फ चिन्मयानंद को कानूनी मदद मुहैया कराएंगे, बल्कि समाज में उनकी खराब हुई छवि को भी ठीक करने की कोशिश करेंगे. साधू संतों की सबसे बड़ी संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के मुखिया महंत नरेंद्र गिरि का कहना है चिन्मयानंद साजिश का शिकार हुए हैं. उन्हें साजिश के तहत फंसाया गया है. अखाड़ा परिषद ने इस मामले में संतों की टीम से जांच भी कराई थी और चिन्मयानंद का बयान भी लिया था. जांच में पाया गया कि ब्लैकमेलिंग कर करोड़ों रूपये ऐंठने के लिए उन्हें पहले नशीला सामान खिलाकर बेसुध किया गया और उसके बाद साजिश के तहत उनका वीडियो बनाया गया. महंत नरेंद्र गिरि के मुताबिक़ इस बारे में दस अक्टूबर से हरिद्वार में होने वाली अखाड़ा परिषद की बैठक में औपचारिक एलान करते हुए उनकी सहायता करने की रूपरेखा तय की जाएगी. उनका दावा है कि चिन्मयानंद ने अपने वकीलों पर भरोसा जताया है और कोई कानूनी मदद लेने से मना किया है. इसके बावजूद उन्हें जिस भी तरह की मदद की ज़रुरत होगी, वह सभी उन्हें मुहैया कराई जाएगी. उनके मुताबिक़ चिन्मयानंद के साथ अन्याय हुआ है. ऐसे में साधू संतों की संस्था अखाड़ा परिषद उन्हें अकेले नहीं छोड़ सकती. इस लड़ाई में संत समाज उनका पूरी तरह साथ देगा. अखाड़ा परिषद अध्यक्ष के इस बयान को यू टर्न के तौर पर देखा जा रहा है, क्योंकि महंत नरेंद्र गिरि ने ही इक्कीस सितम्बर को बयान जारी कर चिन्मयानंद पर लगे आरोपों को शर्मनाक बताया था और उन्हें संत समाज से बहिष्कृत करने की बात कही थी. अपने बयान में उन्होंने कहा था कि चिन्मयानंद के कारनामे से समूचे संत समाज की छवि धूमिल हुई है.
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