संतकबीरनगर/साथा। सांथा ब्लाक क्षेत्र तहसील मेहदावल ग्राम पंचायत धर्मसिंहवा के पुराने कांग्रेसी डॉ सर्वेश्वर पांडेय न्र कांग्रेस के प्रति मंथन और विचार व्यक्त किया। उन्होंने बताया कि वैसे तो राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस का वजूद खतरे के निशान पर है। परंतु उ0प्र0 में स्थिति और भी चिंताजनक है। यहां तो पार्टी “आईसीयू” में है और विगत कई वर्षों से वेंटीलेटर पर है।
इतिहास के इस सबसे बुरे दौर से निकलने के लिए, कांग्रेस को यूपी में एक और वीर बहादुर सिंह की तत्काल जरूरत है।
ज्ञातव्य है कि, वर्ष 1977 में कांग्रेस(इ) की शर्मनाक पराजय के पश्चात नेताओं और कार्यकर्ताओं में व्यापक रूप से हताशा का भाव था। ऐसी विषम स्थिति में, श्रीमती इंदिरा गांधी और संजय गांधी ने प्रदेश कांग्रेस में आदरणीय वीर बहादुर सिंह को प्रदेश महासचिव नामित कर संगठन की बागडोर उन्हें सौंप दी। मा0 धर्मवीर जी अध्यक्ष थे। अपने सांगठनिक कौशल से प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद, उन्होंने उ0प्र0 में कांग्रेस को आंदोलन बना दिया था। इस दरम्यान पार्टी के तमाम कार्यकर्ताओं की निजी जरूरतों की भी, वे हमेशा चिंता करते रहते थे। इसीलिए उस समय कांग्रेस कार्यकर्ता अपना सर्वोत्तम योगदान करने को तत्पर रहता था।
वर्ष 1980 में कांग्रेस के सत्ता में वापस लौटने पर, श्रध्देय वीर बहादुर सिंह जी को उ0प्र0 सरकार में सिंचाई और परिवहन मंत्री बनाया गया। सरकार में मंत्री रहने के बाद भी, प्रदेश संगठन में भी उनकी भूमिका सदैव निर्णायक रही। कालांतर में मा0 वीर बहादुर सिंह जी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी बने। वह श्री राजीव गांधी के भी अति विश्वस्त रहे।
मुख्यमंत्री चाहे मा0 विश्वनाथ प्रताप सिंह रहे हों, चाहे मा0 श्रीपति मिश्र अथवा श्रध्देय नारायणदत्त तिवारी जी !! उ0प्र0 में कांग्रेस के सर्वप्रिय नेता मा0 वीर बहादुर सिंह जी ही होते थे। कार्यकर्ताओं का जमावड़ा उनके आवास पर ही लगता था। प्रदेश के कोने- कोने से कार्यकर्ताओं का हुजूम, वहीं एकत्रित होता था और मंत्री जी प्रत्येक कार्यकर्ता से मिलकर, उसकी सार्वजनिक व व्यक्तिगत समस्या का निदान करते थे।
श्रध्देय वीर बहादुर सिंह जी से हमारे पारिवारिक सम्बंध थे। अतः उनका आशीर्वाद हमें सहज ही सुलभ था। मुझे याद हैकि, एकबार उनके 3 – माल एवेन्यू, लखनऊ स्थित आवास पर गाजीपुर का सेवादल का एक जनपद स्तरीय कार्यकर्ता आया। उस समय वहां रामनाथ मुंशी, सीताराम निषाद,दीनानाथ पाण्डेय (विधायक) आदि महानुभावों के साथ मैं भी मौजूद था। उस कार्यकर्ता के बहन की शादी थी और उसकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। उसने मंत्री जी को निमंत्रण दिया। मंत्री जी ने तत्क्षण उसे अपने पास से आर्थिक सहायता प्रदान की। तथा साथ में बैठे मा0 रामनाथ मुंशी को कहाकि, वे विवाह समारोह में सम्मिलित हों। ऐसे थे, हमारे नेता वीर बहादुर सिंह जी !!
इस प्रकार के सैकड़ों उदाहरण हैं; जब उन्होंने कार्यकर्ताओं के सम्मान केलिए, लीक से हटकर बहुतकुछ किया। इसी कारण उस समय का कांग्रेस कार्यकर्ता, उनकी एक आवाज पर अपना सबकुछ न्यौछावर करने को तत्पर रहता था। उन्होंने अनगिनत कार्यकर्ताओं को और उनके योग्य परिजनों को नौकरी दिलाने में मदद की।
उन दिनों मैं युवक कांग्रेस संगठन में पदाधिकारी था और ग्रामीण बैंक तथा पीसीएफ में शासन द्वारा नामित ” निदेशक ” था। मैं श्रध्देय मंत्री जी के आवास पर बैठा था। उसी समय समाचार- पत्रों में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग से मेडिकल आफिसर पद केलिए विज्ञापन आया था। मंत्री जी के निर्देश पर मैंने उक्त पद हेतु आवेदन दे दिया। यद्यपि नौकरी करने की मेरी इच्छा बिलकुल नहीं थी। कांग्रेस संगठन में मैं सक्रिय था। और कई शासकीय – सहकारी संस्थाओं में ” डायरेक्टर ” भी था। परंतु उनकी प्रेरणा और आशीर्वाद से, उस समय सक्रिय राजनीति से अलग होकर, मैंने राजकीय सेवा ज्वाइन कर ली। मैं मेडिकल आफिसर पद पर नियुक्त हुआ। और (गत मार्च – 19 तक) सेवानिवृत्त होने तक कार्यरत रहा।
मेरे जैसे हजारों लोगों को तथा समर्पित कार्यकर्ताओं को उन्होंने उनकी योग्यता व प्रतिभा के अनुरूप, विभिन्न स्थानों पर समायोजित किया।
आज भी उनके ज्येष्ठ सुपुत्र मा0 फतेह बहादुर सिंह जी दशकों से, पनियरा – कैम्पियरगंज (गोरखपुर) से लगातार विधायक हैं। प्रदेश सरकार में कई वर्षों तक कैबिनेट मंत्री रहे हैं। अपने यशस्वी पिता के पदचिन्हों पर चलते हुए, क्षेत्र में उन्होंने अपनी अलग पहचान बनायी है। उन्हें निर्दल चुनाव जीतने का भी सौभाग्य प्राप्त है। आज भी मा0 फतेह बहादुर सिंह जी भाजपा के वरिष्ठ विधायक हैं और इस विधानसभा का प्रोटेम स्पीकर होने का उन्हें गौरव हासिल हो चुका है।
उपरोक्त तथ्यों का विवरण प्रस्तुत करने का मेरा अभिप्राय सिर्फ यह हैकि, अगर कांग्रेस को उ0प्र0 में अपना खोया जनाधार वापस प्राप्त करना है तो, शीर्षस्थ नेताओं को समर्पित व जमीनी कार्यकर्ताओं को सम्मान देना होगा और साथही जड़ों से जुड़ना पड़ेगा।
और इसके लिए कांग्रेस को यूपी में मा0 वीर बहादुर सिंह जी जैसे कर्मयोगी की आवश्यकता है।
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