सिद्धार्थनगर। हरतालिका तीज व्रत आज सोमवार को बड़े हर्ष के साथ सुहागिनों ने मनाया। यह सुहाग का पर्व है। सुहागिन महिलाओ ने अपने पति की लंबी उम्र के लिए यह व्रत रखा। । कथाओं के अनुसार यह व्रत देवी पार्वती नें भगवान शिव को पाने के लिए किया था। इस व्रत को सच्चे मन से करने पर अखंड सौभाग्यवती का वरदान मिलता है।
1. पूजा के लिए जरूरी सामग्री:
बेल पत्र, केले के पत्ते, धतूरा, अंकव पेड़ के पत्ते, तुलसी, शमी के पत्ते, काले रंग की गीली मिट्टी, जनैव, धागा और नए वस्त्र।
2. माता पार्वती के श्रृंगार के लिए जरूरी सामग्री:
चूडियां, महौर, खोल, सिंदूर, बिछुआ, मेहंदी, सुहाग पूड़ा, कुमकुम, कंघी, सुहागिन के श्रृंगार की चीज़ें।
इसके अलावा श्रीफल, कलश,अबीर, चंदन, तेल और घी, कपूर, दही, चीनी, शहद, दूध और पंचामृत आदि।
पूजा विधि
इस दिन भोलेनाथ और माता पार्वती की पूजा की जाती है। हरतालिका तीज प्रदोष काल में किया जाता है। सूर्यास्त के बाद के तीन मुहूर्त को प्रदोषकाल कहा जाता है। यह दिन और रात के मिलन का समय होता है। हरतालिका पूजन के लिए भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की बालू रेत व काली मिट्टी की प्रतिमा हाथों से बनाएं। पूजा स्थल को फूलों से सजाकर एक चौकी रखें और उस चौकी पर केले के पत्ते रखकर भगवान शंकर, माता पार्वती और भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करें।
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