योगी मंत्रिमंडल में फेर बदल कर यूपी में बीजेपी अपना घर मज़बूत बनाए रखना चाहती है. सारा फ़ोकस सामाजिक समीकरण पर है. इसी समीकरण से तो बीजेपी ने मायावती और अखिलेश यादव के गठबंधन को पिछले चुनाव में धूल चटा दी थी. जो कमियां मंत्रिमंडल के गठन में रह गई थीं, वो भी दूर कर ली गई. ताज़ा फेरबदल में पिछड़े समाज के नेताओं की लॉटरी निकल गई है. 18 नए लोगों को मंत्री बनाया गया है. इनमें से पिछडी बिरादरी के 9 लोगों को जगह मिली है. दलित समाज के तीन नेताओं को भी मंत्री बनाया गया है. दिलचस्प बात ये है कि इनमें से दो जाटव बिरादरी के हैं. सालों से इस वोट बैंक पर मायावती की पार्टी बीएसपी का क़ब्ज़ा रहा है. कमला रानी वरूण को पहली पार में ही कैबिनेट मंत्री बना दिया गया है. आगरा को दलितों का गढ़ माना जाता है. यहां के गिरिराज सिंह धर्मेश को भी मंत्रिमंडल में जगह मिल गई है. वे बीजेपी के पुराने कार्यकर्ता रहे हैं. श्रीराम चौहान को भी मंत्री बनाया गया है. दलित समुदाय के चौहान तीन बार लोकसभा सांसद भी रहे हैं. वे वाजपेयी सरकार में राज्य मंत्री भी रह चुके हैं. आज के फेर बदल में ब्राह्मण समाज के 5 नेताओं को मंत्री बनाया गया है. वो भी अलग अलग इलाक़ों से. सबसे चौंकाने वाला नाम है रामनरेश अग्निहोत्री का. वे मुलायम सिंह के संसदीय क्षेत्र मैनपुरी के भोगॉंव से विधायक हैं. बलिया सदर से पहली बार एमएलए बने आनंद स्वरूप शुक्ल को भी लाल बत्ती मिल गई है. चित्रकूट के चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय पर भी पार्टी की मेहरबानी हुई तो वे मंत्री बन गए. पूर्वांचल के सिद्धार्थनगर से सतीश द्विवेदी को भी मंत्रिमंडल में जगह मिली है. उन्होंने पिछले चुनाव में समाजवादी पार्टी के बड़े नेता माता प्रसाद पांडे को हराया था. बीजेपी को कभी ब्राह्मणों और बनियों की पार्टी कहा जाता था. पार्टी अपने परंपरागत वोट को गंवाना नहीं चाहती है. इसीलिए पांच ब्राह्मण नेताओं को लाल बत्ती दे दी गई. वैश्य समाज के दो नेताओं को भी मंत्री बनाया गया है. मुज़फ़्फ़रनगर के कपिलदेव अग्रवाल और बदांयू के महेश गुप्ता इसी कोटे से आए हैं. अनुपमा जायसवाल की मंत्रिमंडल से छुट्टी हुई तो उनकी जगह रविंद्र जायसवाल ले लिए गए. वे पीएम नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से तीसरी बार विधायक चुने गए हैं. पिछली बार किसी गुर्जर नेता को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिल पाई थी. तो इस बार ये कमी दूर कर ली गई है. अशोक कटारिया को मंत्री बना दिया गया है. पटेल बिरादरी से रामशंकर पटेल, पाल समाज से अजीत सिंह पाल और कुर्मी जाति की नीलामी कटियार को मंत्रिमंडल में जगह मिली है. परंपरागत वोट बैंक से आगे निकल कर बीजेपी एक व्यापक सामाजिक विस्तार की तरफ़ है.. कल्याण सिंह के जमाने में लोध जैसी पिछडी जाति पार्टी के साथ थी. लेकिन पिछले पाँच सालों में धीरे धीरे बीजेपी ने ग़ैर यादव पिछड़ी जातियों को अपना बना लिया. कुर्मी, कुशवाह, पटेल, निषाद, प्रजापति, राजभर, बिंद, सैनी, शाक्य और गुर्जर बिरादरी के लोग बीजेपी के होने लगे हैं. यही हाल दलित समाज का भी है. ग़ैर जाटवों पर तो पार्टी का जादू चल चुका है. अब तैयारी मायावती के जाटव वोट बैंक में सेंधमारी की है.
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