सिद्धार्थनगर। उप्र सरकार द्वारा अनुदेशकों के मानदेय को घटाने को लेकर प्रदेश सहित पूरे जिले के अनुदेशकों में काफी रोष व्याप्त है। इसी बात को लेकर सिद्धार्थनगर जिले के लगभग 250 अनुदेशकों ने प्रधानमंत्री सहित शीर्ष अदालत (सुप्रीम कोर्ट) से पत्र के माध्यम से न्याय हेतु गुहार लगाई। पीएमओ कार्यालय में भी पत्र प्राप्ति की सूचना संबंधित अनुदेशकों को मिली। लेकिन अभी तक निदान नही हुआ।
लेकिन देश की शीर्ष अदालत सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धार्थनगर के
सुमित कुमार पांडेय के पत्र को स्वतः संज्ञान में लेकर पीआईएल(जनहित याचिका) के रूप में स्वीकार कर लिया है। हालाकि अभी सुनवाई की तारीख तय नही है।
सुमित कुमार ने बेखौफ खबर से हुई वार्ता के क्रम में बताया कि हम अनुदेशको ने मानदेय कटौती को लेकर कुछ चुनिंदा शीर्ष लीडरों और संस्थाओं को पत्र के माध्यम से अवगत कराया था, जिस पर शीर्ष अदालत ने पत्र को स्वतः संज्ञान में लिया है। मामले की गंभीरता को कोर्ट ने समझा, इसी कारण आज भी लोगो के मन में कोर्ट से न्याय पाने की आस जगी रहती है और लोग कोर्ट को सम्मान की दृष्टि से देखते हैं।
ज्ञात हो की अनुदेशकों का चयन मानक के अनुसार 2013 में सर्व शिक्षा अभियान के तहत हुआ था। 7000 के मानदेय पर कार्य करते हुए इन अनुदेशकों के मानदेय में 1470 रुपये की वृद्धि के साथ 8470 रूपये मानदेय प्राप्त हो रहा था। सरकार ने 2017 में पीएबी की बैठक में इनका मानदेय 17000 का प्रस्ताव लेकर गयी थी जिसे मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने मंजूर भी कर लिया था। लेकिन 17000 तो दूर जो 8470 इन्हें मिल रहा था उसमें में कटौती कर के इन्हें 7000 मानदेय दिया जा रहा है। 1470 रूपये की बढ़ोतरी को भी मानदेय से काट लिया गया है।
व्हाट्सएप पर शेयर करें
No Comments






