लखीमपुर खीरी| के थाना फरधान के ग्राम कोढैय्या इलाके में एक पुराना जर्जर मकान भरभराकर ढह गया। कोढैय्या गांव का एक परिवार इस हादसे की चपेट में आने से बाल-बाल बच गया। कोढैय्या गांव की मायादेवी के मुताबिक उनके पति की चार साल पहले मौत हो गई थी। वह अपने तीन बच्चों के साथ इसी पैतृक मकान में गुजारा करती हैं। बर्षो पुराने इस जर्जर मकान में रहने वाली मायादेवी ने बताया कि वह और उनका बेटा मजदूरी कर परिवार को चला रहा हैं। मुफलिसी में गुजर बसर कर रही मायादेवी को न तो आवास योजना का लाभ ही मिला न अन्य योजनाओं का। लिहाजा मानसून की दस्तक के साथ ही खस्ताहाल दशा में पहुंच चुके मकान में रह रही मायादेवी मंगलवार को अपने घर के बाहर बच्चों के साथ सो रही थी। तभी उनका मकान तेज आवाज के साथ भरभराकर ढह गया। मायादेवी औऱ उनके बच्चों के घर के बाहर सोने की बजह से उनकी जान बच गई। फिलहाल अपने जर्जर मकान को भी गंवा चुकी मायादेवी और उनका परिवार अब खुले आसमान के नीचे आ गया हैं। मायादेवी के पास सिर ढकने को एक छत तक नहीं हैं। जबकि सरकारें गरीबो को पक्का मकान उपलब्ध कराने का लंबा चौड़ा दावा करती हैं। आखिर मजदूरी करने वाली मायादेवी को क्यों नहीं आवास मिला, इसका जबाब किसी भी जिम्मेदार के पास नहीं हैं। लेखपाल उपेंद्र सिंह भदौरिया ने मौके पर पहुंच कर पीड़ित परिवार को उचित मुआवजा दिलाने का आश्वसन दिया हैं।
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