सिद्धार्थनगर। बिहार में चमकी बीमारी से पीड़ित बच्चों की संख्या सरकारी अस्पतालों में बढ़ती जा रही है। मस्तिष्क ज्वर (चमकी बुखार, दिमागी बुखार, जापानी इंसेफलाइटिस, नवकी बीमारी) एक गंभीर बीमारी है। इसका समय रहते इलाज होना चाहिए। यह बीमारी अत्यधिक गर्मी एवं नमी के मौसम में फैलता है। 1 से 15 साल की उम्र के बच्चे इस बीमारी से ज्यादा प्रभावित होते हैं। गौरतलब है कि बिहार के मुजफ्फरपुर के सरकारी मेडिकल कॉलेज और निजी अस्पतालों में इस संदिग्ध बुखार से अब तक 108 बच्चों की जान जा चुकी है। 400 से अधिक बच्चे भर्ती हैं।
चमकी बुखार के ये हैं लक्षण——
तेज बुखार आना, चमकी अथवा पूरे शरीर या किसी खास अंग में ऐंठन होना, दांत पर दांत लगना, बच्चे का सुस्ता होना, बेहोश होना व चिउंटी काटने पर शरीर में कोई हरकत नहीं होना। ये लक्षण दिखते ही अपने नजदीक स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर डॉक्टर को दिखाएं। अगर इन लक्षणों को नजरअंदाज किया जा रहा है तो आगे चलकर ये गंभीर हो सकती है।
चमकी बुखार से बचाव के उपाय——
तेज बुखार होने पर पूरे शरीर को ताजे पानी से पोछें एवं पंखा से हवा करें ताकि बुखार कम हो सके। बच्चे के शरीर से कपड़ें हटा लें एवं गर्दन सीधा रखें। पारासिटामोल की गोली व अन्य सीरप डॉक्टर की सलाह के बाद ही दें। अगर मुंह से लार या झाग निकल रहा है तो उसे साफ कपड़े से पोछें, जिससे सांस लेने में कोई दिक्कत न हो। बच्चों को लगातार ओआरएस का धोल पिलाते रहें। तेज रोशनी से बचाने के लिए मरीज की आंखों को पट्टी से ढंके। बेहोशी व मिर्गी आने की अवस्था में मरीज को हवादार स्थान पर लिटाएं। अगर दिन में बच्चे ने लीची खाया है तो उसे रात में भर पेट भोजन कराएं। चमकी आने की दशा में मरीज को बाएं या दाएं करवट लिटाकर ले जाएं।
चमकी बुखार होने पर क्या न करें…
बच्चे को खाली पेट लीची न खिलायें, अधपके अथवा कच्चे लीची को खाने से बचें। बच्चे को कंबल अथवा गर्म कपड़ों में न लपेटें, बच्चे की नाक न बंद करें। बच्चे की गर्दन झुकाकर न रखें। मरीज के बिस्तर पर न बैठे साथ ही ध्यान रखें की मरीज के पास शोरगुल न हो।
व्हाट्सएप पर शेयर करें
No Comments






