लखीमपुर: शहर के जिला अस्पताल की हालत किसी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से भी बदतर है। कहने को यह जिला मुख्यालय का अस्पताल है, लेकिन जैसे यहां साधन और मानव संसाधनों की कमी है। वैसे यहां का परिसर पूरा रास्ता उससे ज्यादा टूटा-फूटा है। जिसे सुधरवाने की भी यहां के प्रशासन को फुर्सत नहीं मिली।
जिला अस्पताल के प्रमुख द्वार से अंदर घुसते ही जहां पूरा रास्ता गड्ढों में बना है। वहीं फिजियोथैरेपी कक्ष के कुछ पहले मिट्टी का ढेर करीब तीन साल से लगा हुआ है। यहां यह मिट्टी बारिश के समय अचानक लाई गई थी जब प्रदेश के एक मंत्री का आगमन यहां हुआ था। बारिश के वक्त होने वाले जलभराव को खत्म करने के लिए जो मिट्टी डाली गई थी उसके बाद बची हुई मिट्टी यहां से हटाई ही नहीं गई। फलस्वरूप मिट्टी का ढेर अब भी मौजूद है। जिसके कारण रास्ता ऊंचा-नीचा हो गया। पिछले गेट पर जो महिला अस्पताल के सामने है, नाली का पत्थर तो हमेशा ही टूटा रहता है। बारिश में यहां पर करीब एक फिट तक जलभराव भी होता है। दोनों रास्ते पूरी तरह ध्वस्त और जलभराव वाले हैं, लेकिन पिछले पांच साल में न तो किसी जनप्रतिनिधि ने और न ही यहां दौरा करने वाले प्रशासनिक अधिकारियों ने ही इसे गंभीरता से लिया। आए दिन मरीजों के रिक्शे पलटने का क्रम यहां जारी रहता है। करीब तीन दिन पहले एक साइकिल सवार की साइकिल गिर जाने से वृद्धा को हाथ में चोट लग गई थी।
जिला अस्पताल के मुख्य चिकित्साधीक्षक डॉ. आरके वर्मा का कहना है कि कोई सुनवाई नहीं है। जिला प्रशासन से लेकर सांसद, विधायक सभी को लिखा गया। रास्ते व फर्श बनवाने के लिए कहा गया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती है। अस्पताल के पास जो थोड़ा बहुत पैसा साल में एक बार आता है वह छोटी-मोटी टूट-फूट मरम्मत में निकल जाता है। अस्पताल के पास अपना जेई भी नहीं है।
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