कानपुर। जहां सरकार सरकारी स्कूलों में शिक्षा को बेहतर बनाने की कवायद कर रही है। बच्चे स्कूल आएं इस लिए ड्रेस, मिड डे,किताबे आदि का सरकार द्वारा निशुल्क वितरण किया जाता है। लेकिन इस मे भी कुछ विभागीय कर्मचारी अपना फायदा (कंमीशन ) निकाल लेते हैं ताज़ा मामला ये सामने आया है कि पूर्व माध्यमिक और जूनियर में बच्चों के लिए मनोरंजन के खेल कूद का सामान और स्कूल लायब्रेरी में किताबों के लिए 5000-5000₹- और जूनियर के लिए 10000-10000₹ प्रबन्ध समिति के खाते में आये हैं। अब यहां से शुरू होता है बच्चों के मनोरंजन के सामान पे शिक्षा के उच्च अधिकारियों की शह पे डाका डाला जाने वाला खेल। स्कूल के प्रिंसीपिल पे दबाव बना के सभी सी आर सी के कर्मचारी खुद ही खेल कूद का सामान व किताबे स्कूलों में दे रहे हैं जब यूएनटी सवांददाता ने शहर की स्पोर्ट्स की अलग अलग दूकाने से उन समान का कोटेशन लिया तो उस की कीमत बाजार में मात्र 2000-2500₹ है अब सवाल ये उठता है कि ये 3000 ₹ किस की जेब मे जा रहें हैं इन कर्मचारियों का टीचरों और स्टाफ पे इतना आतंक है कि सब जानते हुए भी कुछ बोलने की हिम्मत नही कर पाते सूत्रों की माने तो कुछ स्कूलों से चेके पहले ले ली गई और सामान बाद में जब इस सम्बंध में प्रेम नगर सी आर सी स्कूल की एक प्रिंसिपल से यूएनटी के सवांददाता ने बात की तो नाम न छापने की शर्त पे बताया कि हम लोग क्या करें हम लोग सब जानते हुए भी आँख बंद करनी पड़ती है। हम लोगो की मजबूरी है क्योंकि हम लोगो का काम इन्ही लोगों से पड़ता है तो पानी मे रह के मगरमछ से बैर क्या लेना। इस बात से प्रतीत होता है कि शिक्षा के मंदिर में कितना भ्र्ष्टाचार फैला है और दुसरों को शिक्षा देने वाले खुद गंधारी बने हैं जब इस सम्बंध में बेसिक शिक्षा अधिकारी से सम्पर्क करना चाहा तो चुनाव के कारण कार्यालय में भेंट नही हो सकी और मोबाइल उठा नही रहे इसी सम्बन्ध में सी आर सी प्रेमनगर खण्ड शिक्षा अधिकारी पंकज गुप्ता से सम्पर्क करना चाह तो मालूम हुआ कार्यालय में कम आती है। फोन से सम्पर्क करना चाहा तो उन का भी फोन नही उठा वही जहां आदर्श आचार सहिंता लागू है और शासन-प्रशासन चुनाव कराने में लगा है उसी का फायदा उठा के ये शिक्षा के ठेकेदार उन मासूम बच्चों की बुनियादी ज़रूरतों से अपने जरा से फायदे के लिए वंचित कर रहे हैं अगर ऐसा ही चलता रहा तो कैसे खेलेगा,पढ़ेगा, आगे बढ़ेगा इंडिया
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