आरक्षण आंदोलन की आंच आगरा के पर्यटन पर पड़नी शुरू हो गई है। जयपुर से आगरा आने वाले पर्यटक ट्रैवल एजेंट्स और ऑपरेटर से ई-मेल पर हालात और आने-जाने के बारे में पूछताछ कर रहे हैं। रेलवे ट्रैक और हाईवे बाधित होने के कारण टूर ऑपरेटर भी खतरा मोल लेने की स्थिति में नहीं हैं। उन्हें इस आंदोलन के कारण विदेशी पर्यटकों के रास्ते में फंसने का डर सता रहा है। देश में पर्यटन का सबसे बेहतर रूट गोल्डन ट्रायंगल है। दिल्ली-आगरा-जयपुर में विदेशी पर्यटक तीन से सात दिन तक औसतन रुकते हैं। हर बार आरक्षण आंदोलन के कारण यही रूट बाधित होता रहा है।
इस बार पर्यटन सीजन सबसे शानदार गुजरा और 15 फीसदी तक की बढ़ोतरी हुई, लेकिन अब आखिरी दो महीनों में इस आंदोलन की आंच में इसके झुलसने की आशंका है। विदेशी पर्यटक लगातार ई-मेल और फोन से आपरेटरों से हालात जान रहे हैं। जयपुर आगरा के बीच हाईवे और रेलवे ट्रैक बाधित होने के कारण पर्यटकों को अपनी आइटनरी बदलनी पड़ रही है।
सरकारी वेबसाइटों पर कोई एडवाइजरी नहीं भारत पर्यटन और यूपी टूरिज्म की वेबसाइटों पर पर्यटकों के लिए आरक्षण आंदोलन के कारण प्रभावित हुए रूट के लिए कोई एडवाइजरी नहीं है। पर्यटक क्या करें, कब तक रूट प्रभावित रहेगा, इसका कोई जिक्र नहीं है। दोनों ही वेबसाइटों पर आरक्षण आंदोलन को लेकर कोई जानकारी नहीं दी गई है। इससे पर्यटक बेचैन हैं और उनके अंदर यात्रा करने को लेकर डर समाया हुआ है।
रेलवे और हाईवे बाधित होने के कारण पर्यटकों का एकमात्र सहारा हवाई मार्ग है, लेकिन जयपुर आगरा के बीच हर दिन फ्लाइट ही नहीं है। सोमवार, मंगलवार, गुरुवार और शनिवार को ही एलायंस एयर की फ्लाइट आती है। एटीआर-72 विमान में औसतन 60 तक यात्री आ रहे हैं। आंदोलन के कारण इसी विमान सेवा पर दबाव पड़ना तय है।
टूरिज्म गिल्ड के महासचिव राजीव सक्सेना ने बताया कि गोल्डन ट्रांयगल पर पर्यटक इस आंदोलन के कारण फंस रहे हैं। इसका बुरा असर बाकी बचे दो महीने के पर्यटन पर पड़ेगा। पूरे पर्यटन की गति दो दिनों से थम गई है। यह अर्थव्यवस्था और पर्यटन उद्योग दोनों के लिए बेहद खराब स्थिति है।
होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश चौहान ने बताया कि सरकार आंदोलन को जल्द खत्म कराए, अन्यथा आगरा ही नहीं, बल्कि जयपुर और दिल्ली के पर्यटन को भी जोर का झटका लगेगा। जो पर्यटक जयपुर से आगरा आने को थे, वह अब आने को तैयार ही नहीं हैं।
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