खासतौर पर उज्ज्वला स्कीम के तहत जिन गरीब उपभोक्ताओं को गैस सिलेंडर मिले हैं उनके लिए सब्सिडी वाले गैस सिलेंडर एक नई मुसीबत बन गए हैं. दरअसल, गरीब उपभोक्ताओं को रसोई गैस सिलेंडर खरीदने के लिए मोटी रकम चुका कर सब्सिडी के पैसे का इंतजार करना, किसी चुनौती से कम नहीं है. लेकिन अब मोदी सरकार इस परेशानी को दूर करने की सोच रही है. डेक्कन हेराल्ड की खबर के मुताबिक सरकार 2013-14 के रसोई गैस वितरण के तरीके को फिर से लागू करने की तैयारी में है. यानी अगर इसे अमली जामा पहनाया गया तो आप गैस सिलेंडर के लिए उतना ही भुगतान करेंगे जितनी सिलेंडर की वास्तविक कीमत है. इससे आपको अब यह चिंता नहीं रहेगी कि अकाउंट में सब्सिडी आई कि नहीं या इसमें देरी हो रही है. वर्ष 2013-14 से पहले यही नियम लागू था.बता दें कि केंद्र सरकार ने सब्सिडी पर दिए जाने वाले रसोई गैस सिलेंडर की सप्लाई में पारदर्शिता लाने के लिए साल 2014 में गैस सब्सिडी को सीधे उपभोक्ता के बैंक खाते में ट्रांसफर करने का नियम बनाया था. इस नियम के तहत वर्तमान में उपभोक्ताओं को रसोई गैस के लिए मोटी रकम चुकानी पड़ती है. हालांकि कुछ दिनों बाद उपभोक्ता के बैंक खाते में सब्सिडी के पैसे आते हैं.इस स्कीम की शुरुआत वैसे तो कांग्रेस सरकार में की गई लेकिन मोदी सरकार ने उज्ज्वला स्कीम के तहत सिलेंडर लेने वाले गरीब उपभोक्ताओं को सब्सिडी का फायदा पहुंचाने के लिए इसे मोडिफाई किया. इसके लिए उपभोक्ताओं के बैंक अकाउंट, गैस एजेंसी और आधार कार्ड को लिंक किए गए. बता दें कि उज्जवला स्कीम का फायदा ग्रामीण और छोटे शहरों के उपभोक्ताओं को खासतौर पर मिलता है. प्रत्येक उपभोक्ता को साल के 12 सब्सिडी वाले सिलेंडर मिलते हैं. अभी देश में 24 करोड़ से ज्यादा घरों में LPG गैस सिलेंडर का इस्तेमाल हो रहा है जबकि अगले 12 से 18 महीनों में यह आंकड़ा 36 करोड़ के पार होने की उम्मीद है. अगर दिल्ली के संदर्भ में बात करें तो वर्तमान में बिना सब्सिडी वाले 14.2 किलोग्राम के सिलेंडर की कीमत 809.50 रुपये है. जबकि सब्सिडी के बाद इस सिलेंडर की कीमत 500.90 रुपये है.
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