न्याय सब के लिए समान है और न्यायाधीश को सबको समान दृष्टि से देखना चाहिए, इस बात की मिसाल मंगलवार को स्पेशल कोर्ट (एमपीएमएलए) में देखने को मिली। स्पेशल कोर्ट में जज थे पवन कुमार तिवारी और अभियुक्त थे उनके चचेरे बड़े भाई और भदोही के भाजपा विधायक रवीन्द्र नाथ त्रिपाठी। रवींद्र नाथ आचार संहिता उल्लंघन के दो मामलों में जमानत कराने के लिए स्पेशल कोर्ट में उपस्थित हुए। इससे पूर्व उनके हाजिर न होने पर कोर्ट ने उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी कर दिया था। स्पेशल कोर्ट ने भाजपा विधायक को न्यायिक अभिरक्षा में लेकर उन्हें तीन घंटे तक कटघरे में खड़ा किया और प्रकरण की सुनवाई की। विधायक जब सरेंडर करने कोर्ट के समक्ष पहुंचे तो स्पेशल कोर्ट न्यायाधीश ने उनके साथ भी वैसा ही व्यवहार किया, जैसा हाजिर होने वाले अन्य माननीयों के साथ करते हैं। विधायक को अभियुक्तों वाले कटघरे में खड़े होने का हुक्म सुनाया। रवींद्रनाथ त्रिपाठी ने भी इसे सहज भाव से लिया और चुपचाप कटघरे में जाकर खड़े हो गए। कोर्ट ने जमानतीय अपराध होने पर जमानत अर्जी मंजूर कर ली और बीस बीस हजार की दो जमानतें और मुचलका दाखिल करने पर रिहा कर दिया। प्रकरण भदोही थाने का है। भाजपा विधायक पर आरोप है कि 18 फरवरी 2017 को बिना अनुमति के मोड़ ग्रामसभा में लाउडस्पीकर लगा कर जनसभा कर भाषण दे रहे थे। सभा के दौरान रास्ता जाम हो गया था। क्षेत्र में धारा 144 लागू थी। जिसका उल्लंघन किया था। एक अन्य मामला भदोही के चौरी थाने का है। आरोप है कि 19 फरवरी 2017 को अभियुक्त विकास सिंह ने भाजपा प्रत्याशी रवीन्द्र नाथ त्रिपाठी को घर पर बुला कर बिना अनुमति के भाषण कराया था। प्रकरण में पुलिस ने दोनों लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था।
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