देश के 11 राज्यों में 2019 के लोकसभा चुनाव के साथ ही विधानसभा के लिए भी वोटिंग कराने के विचार पर चुनाव आयोग ने असमर्थता जताई है. मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत से मंगलवार को जब इस बारे में बात की गई तो उन्होंने साफ कहा कि इतने बड़े पैमाने पर वोटिंग के लिए चुनाव आयोग के पास पर्याप्त वीवीपैट मशीनें नहीं है.ओपी रावत ने कहा, ‘2019 में लोकसभा चुनाव के साथ ही 11 राज्यों के विधानसभा चुनाव कराने के लिए हमारे पास पर्याप्त वीवीपैट मशीनें नहीं हैं. अगर ऐसी कोशिश की जाती है, तो इसके लिए नई वीवीपैट मशीनों का ऑर्डर देना होगा और इस बारे में एक या दो महीने में फैसला लेना होगा.’वहीं चुनाव आयोग के कानूनी सलाहकार एसके मेंदीरत्ता ने वीवीपैट मशीनों की इसी किल्लत की तरफ इशारा किया था. मेंदीरत्ता ने कहा, ‘ईवीएम और वीवीपैट मशीनों की मौजूदा संख्या को देखा जाए तो फिलहाल देश भर में एक साथ चुनाव नहीं कराए जा सकते. इसके लिए जरूरी मशीनों की खरीद के लिए आयोग को कम से कम तीन साल का वक्त लगेगा.’इससे पहले चुनाव आयोग ने देश भर में एक साथ चुनाव कराने की जगह एक साल में पड़ने वाले सभी विधानसभा चुनाव एकसाथ कराने का प्रस्ताव दिया था.वहीं बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने लोकसभा और विधानसभा चुनाव एकसाथ कराने की पुरजोर वकालत करते हुए चुनाव आयोग को चिट्ठी लिखी थी. इसमें उन्होंने लिखा कि इससे चुनाव पर बेतहाशा खर्च पर लगाम लगाने और देश के संघीय स्वरूप को मजबूत बनाने में मदद मिलेगी. उन्होंने कहा कि एक साथ चुनाव कराना केवल परिकल्पना नहीं है, बल्कि एक सिद्धांत है जिसे लागू किया जा सकता है.
व्हाट्सएप पर शेयर करें
No Comments






