देश में पेट्रोल, डीजल के दाम रिकॉर्ड ऊंचाई पर जा पहुंचे हैं. पेट्रोल डीजल की कीमतों में इजाफे के सारे रिकॉर्ड टूट गए हैं. मनमोहन सरकार में पेट्रोल की सबसे ऊंची दर 76.06 रुपये थी, ये रिकॉर्ड मोदी सरकार के राज में आज टूट गया. दिल्ली में पेट्रोल की कीमत प्रति लीटर 76.24 रुपये पर पहुंच गई, जो अब तक का रिकॉर्ड है. वहीं मोदी सरकार में डीजल दिल्ली में 67.57 रुपये प्रति लीटर पर बिक रहा है जो इतना महंगा इतिहास में पहली बार हुआ है.हालांकि अब आपके लिए राहत की खबर है कि सरकार ने देर से ही सही इस पर ध्यान दिया है. आज पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कुछ नरमी के संकेत दिए हैं. धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि वो स्वीकार करते हैं कि भारत के लोगों खासकर मिडिल क्लास को पेट्रोल के बढ़ते दामों के चलते परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. ओपेक देशों में तेल के कम उत्पादन और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में क्रूड के बढ़े दामों के चलते देश में ईंधन कीमतों पर असर पड़ा है. भारत सरकार जल्द ही इसका कोई समाधान लेकर आएगी.पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के इस बयान से ईंधन कीमतों में थोड़ी ही सही कमी आने के आसार दिख रहे हैं. देश में पेट्रोल-डीजल के दाम रिकॉर्ड ऊंचाई पर जाने के चलते खासकर मध्यम वर्ग को बेहद दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.सरकार ने पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी कम करने से इनकार कर दिया है. एक अधिकारी ने कीमत कम किए जाने के सवाल पर कहा कि वह कुछ नहीं कह सकते हैं. ‘देखते हैं क्या होता है.’ आपको बता दें कि केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी की सरकार बनने के बाद नौ बार एक्साइज ड्यूटी में बढ़ोतरी की गई है. जिसकी वजह से पेट्रोल की कीमतों में 11 रुपये 77 पैसे की एक्साइज ड्यूटी बढ़ चुकी है. नवंबर 2014 से जनवरी 2016 के बीच कच्चे तेल की कीमतों में कमी के बावजूद कीमतों में कटौती नहीं की गई थी.पेट्रोल डीजल की कीमतों में इजाफे को लेकर मोदी सरकार विपक्ष के निशाने पर है. पिछले दिनों कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा था कि ईंधन के भाव चार साल के शिखर पर पहुंच गए. मोदीनॉमिक्स का प्रमुख सिद्धांत : जितने लोगों को मूर्ख बना सको, उतने को बनाओ, जितनी बार आप बना सकें बनाइए.हाल के दिनों में इंटरनेशनल मार्केट में कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है. ऐसे में भारत में भी अनियंत्रित ढंग से इजाफा हो रहा है. हर राज्य में सेल्स टैक्स और वैट अलग-अलग होने की वजह से कीमत अलग अलग है.
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