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Tuesday, April 29, 2025 11:34:52 PM

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हिन्दू मुसलमानों के दरम्यान नफरत की आग भड़काने वाली घटिया तकरीरों और नारों से सोशल मीडिया भरा पड़ा

हिन्दू मुसलमानों के दरम्यान नफरत की आग भड़काने वाली घटिया तकरीरों और नारों से सोशल मीडिया भरा पड़ा

हिन्दू मुसलमानों के दरम्यान नफरत की आग भड़काने वाली घटिया तकरीरों और नारों से सोशल मीडिया भरा पड़ा है। लेकिन आम तौर पर फिरकापरस्तों की इन जहरीली हरकतों को कभी उतनी संजीदगी (गंभीरता) से नहीं लिया गया जितना लिया जाना चाहिए था। सोशल मीडिया पर लहराती नफरत की फसल को यही कह कर नजर अंदाज किया जाता रहा है कि यह तो चंद बहके हुए नौजवानों की हरकतें हैं। इन्हेें नजर अंदाज किया जाना ही मुनासिब है। शायद ऐसा सोचने वाले ही गलत थे, फिरकापरस्ती मे यकीन न रखने वाले सेक्युलर जेहन लोगों की लापरवाई का नतीजा गुजिश्ता दिनों लखनऊ में उस वक्त नजर आया जब विश्व हिन्दू परिषद का एक्टिविस्ट बताए जाने वाले एक नौजवान ने ओला कैब की बुकिंग इसलिए कैंसिल कर दी कि कैब का ड्राइवर मुसलमान था। अभिषेक मिश्रा ने सिर्फ कैब की बुकिंग ही कैंसिल नहीं की उन्होने फौरन ट्वीट करके देश को बडे़ फख्र के साथ यह बता भी दिया कि उन्होने मुस्लिम ड्राइवर वाली कैब की बुकिंग कैंसिल कर दी क्योंकि मैं अपना पैसा जेहादियों को नहीं देना चाहता। मतलब यह कि नरेन्द्र मोदी के आईटी सेल के सरगर्म लोग तमाम मुसलमानों को ‘जेहादी’ बल्कि दहशतगर्द ही मानते है। यह लोग इस बात का प्रोपगण्डा भी बखूबी करते रहते हैं। हमें अभिषेक मिश्रा की हरकत पर जितनी हैरत हुई उससे कहीं ज्यादा हैरत और अफसोस उस वक्त हुआ जब अखबारों में यह खबर शाया हुई और लखनऊ जहां नव्वे फीसद से भी ज्यादा सेक्युलर जेहन के हिन्दू रहते हैं उनपर कोई असर नहीं हुआ। शहर के किसी भी कोने से अभिषेक की इस मुजरिमाना हरकत के खिलाफ कोई आवाज नहीं आई। तो क्या यह तस्लीम कर लिया जाना चाहिए कि गंगा जमुनी तहजीब का सबसे बड़ा गहवारा अब फिरकापरस्ती का शिकार हो गया है। क्या अमृतलाल नागर, बृजनारायण चकबस्त, पंडित रतननाथ सरशार, कुमार भार्गव, बेगम अख्तर, लच्छू महाराज, मौलाना हसरत मोहानी, यशपाल मजाज, डाक्टर दाऊजी गुप्ता, कृष्ण बिहारी नूर, बिरजू महाराज, भगवती चरण वर्मा और आनन्द नारायण मुल्ला का वह शहर भी फिरकापरस्ती का शिकार हो चुका है जो 1947 में मुल्क की तकसीम के वक्त और 1989 से 1992 तक अयोध्या आंदोलन की शिद्दत के वक्त भी आपसी भाईचारे और हिन्दू मुस्लिम इत्तेहाद के अपने रास्ते से एक कदम भी नहीं हटा था। इस शहर पर उस वक्त भी कोई असर नहीं पड़ा था जब कारसेवकों को अयोध्या रवाना करते वक्त 5 दिसम्बर 1992 को पंडित अटल बिहारी वाजपेयी ने कारसेवको का हौसला बढाने के लिए शायद अपनी जिंदगी की सबसे खतरनाक और फिरकापरस्ती के जहर में डूबी तकरीर की थी। यह ऐसा मामला नहीं है जिसे यूं ही टाल दिया जाए। यह बहुत ही खतरनाक मसला है। यहां तमाम मुसलमानों को जेहादी करार दिया गया है। ऐसा कहने वाले को माफ भी नहीं किया जाना चाहिए। उत्तर प्रदेश में आदित्यनाथ योगी सरकार बनने के बाद से अगर किसी नौजवान खुसूसन मुसलमान दलित या बैकवर्ड ने चीफ मिनिस्टर और प्राइम मिनिस्टर पर कोई तंजिया पोस्ट सोशल मीडिया पर डालने की गलती की तो पुलिस ने उसे उठा लिया थाने में पिटाई की गई और फिर जेल। हम चीफ मिनिस्टर और प्राइम मिनिस्टर दोनों से जानना चाहते हैं कि तमाम मुसलमानों को जेहादी कहने वाले के खिलाफ उनकी सरकार क्या कार्रवाई कर रही है। अगर कोई कार्रवाई नहीं तो क्यों? मुसलमानों के लिए इससे बडी गाली और क्या हो सकती है। अभिषेक मिश्रा कोई सड़क छाप आम शख्स नहीं हैं वह बीजेपी आईटी सेल का अहम जिम्मेदार है। अपनी फेसबुक वाल पर उसने नरेन्द्र मोदी से नीचे तक के दर्जनों बीजेपी लीडरान के साथ अपनी तस्वीर डाल रखी है। अगर ऐसा शख्स ऐसी हरकत करता है तो बात साफ है कि उसे अंदर जो कुछ पढाया गया है उसी को जाहिर कर रहा है। उसके इस घटिया बयान ने यह भी साबित कर दिया कि ‘सबका साथ’ जैसा मोदी का नारा कितना खोखला है और सिर्फ दुनिया को दिखाने वाला है उनकी पार्टी में अंदर जो कुछ होता है उसकी अक्कासी अभिषेक के बयान से बखूबी होती है। हम भी अब चार साल की मोदी सरकार के बाद यह तस्लीम करने के लिए तैयार हैं कि देश के तमाम मुसलमान जेहादी हैं। वजह यह है कि चार सालों के दौरान धर्म राष्ट्रभक्ति, दहशतगर्दी और जेहादी सभी की तारीफ (परिभाषा) तब्दील कर दी गई है। अब सड़कों पर असलहे लहराते हुए निकलना और इंतेहाई भड़कीली नारेबाजी करना धर्म हो गया है। सड़कों पर किसी को भी पीट-पीट कर मार डालना दहशतगर्दी नहीं गौभक्ति है। अदालत की छत पर लगे कौमी परचम (तिरंगे) को उखाड़ फंेक कर भगवा झण्डा लगा देना संविधान और अदलिया का एहतराम (न्यायपालिका का सम्मान) है। रेप के मुल्जिमान की हिमायत में और उन्हें बचाने के लिए हाथों में तिरंगा लेकर पुलिस के काम में रूकावट डालना हिन्दुत्व हो गया है। अगर अपनी कोई हिन्दू बेटी भी गुरमेहर कौर की तरह सच बोल दे तो उसके करेक्टर तक पर हमला कर दो यह माहौल बना दिया गया है। ऐसे में मुसलमान जेहादी ही हो सकते हैं। मौजूदा माहौल में सभी मुसलमान जेहादी हैं इसकी वजूहात साफ हैं मुसलमान जेहादी हैं क्योेंकि मुसलमान होली, दीवाली, रक्षा बंधन और ईद बकरीद के मौके पर वह नकली दूध और खोया बनाकर पूरे समाज को जहर नहीं खिलाता, मुसलमान इसलिए जेहादी है कि वह मुल्क का लाखों करोड़ लूट कर भागता नहीं है विदेशी शहरियत अख्तियार नहीं करता। गुजिश्ता पांच सालों में बीस हजार से ज्यादा लुटेरे अरबों की दौलत लेकर विदेश भाग गए वहीं की शहरियत (नागरिकता) ले ली उन बीस हजार में बीस मुसलमान नहीं हैं जाहिर है जेहादी ही हैं तभी देश की दौलत लेकर नहीं भागे। मुसलमान इसलिए जेहादी है कि लाखों मुसलमान सऊदी अरब, दीगर खलीजी मुमालिक, यूनाइटेड अरब अमीरात से अफ्रीका तक के मुल्कोें में इंतेहाई सख्त जिंदगी गुजारते हैं, मेहनत मजदूरी करते हैं और हर साल 32 (बत्तीस) बिलियन डालर से भी ज्यादा की गैर मुल्की करेेसी अपने मुल्क हिन्दुस्तान भेज कर मुल्क की मईशत (अर्थव्यवस्था) को मजबूत करने का काम करते हैं। मुसलमान जेहादी हैं क्योंकि अभी तक न तो कोई मुसलमान बैंकों का कर्ज लेकर विदेश भागा है और न ही मुसलमानों ने कोई नीरव मोदी, मेहुल चोकसी, विजय माल्या और ललित मोदी पैदा किया। मुसलमानों ने कोई अंबानी पैदा नहीं किया जो अवाम का पैसा बैंकों से कर्ज की शक्ल में लेकर खुद को दुनिया के सौ बड़े दौलतमंदों की फेहरिस्त में शामिल कराए और उसी अवामी पैसों से करोड़ों रूपए हर महीने अपनी तंख्वाह बताकर जाती खजाना भर ले। बड़े पैमाने पर एक ही मुसलमान अजीम प्रेमजी विप्रो कम्पनी चलाते हैं और मुल्क के गरीब बच्चों की तालीम के लिए हर साल भारत सरकार की एचआरडी मिनिस्ट्री को तकरीबन पैंतीस हजार करोड़ रूपए देते हैं। शायद इसलिए कि वह जेहादी हैं और स्यूडो राष्ट्रभक्तों की तरह गरीबों के सीने पर पांच लोगों के रहने के लिए चार सौ कमरों की इमारत नहीं बनाते हैं। फिरकापरस्ती के जहर की फैक्ट्री से निकलने वाले अभिषेक मिश्रा को यह भी मालूम होना चाहिए कि जेहाद हमेशा अच्छे और समाज के फायदे के कामों के लिए होता है। मुसलमान इस मुल्क में हर वक्त जेहाद ही कर रहे हैं उनका जेहाद है नाख्वांदगी (अशिक्षा) के खिलाफ उनका जेहाद है। तालीम के लिए उनका जेहाद है, सेहत के लिए अब तो सरकार पर राष्ट्रभक्ति का ढोग करने वालों के हाथों में है जरा बताएं कि सरकारी नौकरियों में मुसलमानों की नुमाइंदगी दो-ढाई से चार फीसद ही क्यों है? इसके बावजूद नौकरियां और नौकरियों में रिजर्वेशन हासिल करने के लिए मुसलमानों ने आंदोलन चलाकर पूरे-पूरे शहर तो दूर कभी एक झोंपडी तक को आग नहीं लगाई यही उनका जेहाद है। दूसरी तरफ कभी जाटों के नाम पर कभी गूजरों के नाम पर कभी मराठा तो कभी गरीब सवर्णों के नाम पर रिजर्वेशन का आंदोलन छेड़ कर शहर के शहर नहीं जलाए, महीनों तक रेलवे लाइनों पर कब्जा करके पूरे देश के ट्रांसपोर्ट को मफलूज (अपंग) बनाने का काम नहीं किया इन जेहादी मुसलमानों ने अपने लिए रिजर्वेशन मांगने के लिए हिंसा का सहारा नहीं लिया किसी की बहन बेटियों पर हाथ डालने की वहशियाना हरकतें भी नहीं की। मुसलमान इसलिए भी जेहादी हैं कि आजाद हिन्दुस्तान के मुसलमानों ने न तो कभी धर्म के नाम पर सियासत की न वोट दिए और न ही किसी मुसलमान को अपना लीडर तस्लीम किया। उनके लीडरान में महात्मा गांधी, पंडित जवाहर लाल नेहरू, जय प्रकाश नारायण, के कामराज, देवराज अर्स, हेमवती नन्दन बहुगुणा, डाक्टर राम मनोहर लोहिया, कर्पुरी ठाकुर, चैधरी चरण सिंह, के डी मालविया, चन्द्र जीत यादव, नारायण दत्त तिवारी, मुलायम सिंह यादव, लालू यादव, अर्जुन सिंह, दिग्विजय सिंह और कांशीराम वगैरह को ही अपना लीडर तस्लीम किया है।  
अभिषेक मिश्रा तो विश्व हिन्दू परिषद और आरएसएस की ट्रेनिंग में पल रहा है उसे बताना जरूरी है कि कलकत्ता की टीपू सुल्तान शाही मस्जिद के इंतेहाई ताकतवर इमाम मौलाना नूर उर्रहमान बरकती ने वजीर-ए-आजम नरेन्द्र मोदी और बंगाल बीजेपी सदर दिलीप घोष के खिलाफ सतह से गिरी बयानबाजी की थी तो दो दिनों के अंदर मुसलमानों ने उन्हें इमामत से हटा दिया था। अभी भी बंगाल के ही आसनसोल मे रामनवमी के जुलूस के दौरान जो दंगे कराए गए उनमें शहर के इमाम मौलाना इमदाद उर्रशादी के सोलह साल के बेटे को बुरी तरह काट-पीट कर कत्ल किया गया। उसकी मस्ख शुदा (छत-विछत) लाश देखकर हजारों की भीड़ इकट्ठा हुई जबरदस्त नारेबाजी के दौरान लोग इंतकाम (प्रतिशोध) लेने की बात कर रहे थे इमाम मौलाना इमदाद उर्रशादी एक मजबूत दीवार की तरह पहाड़ जैसा दिल लेकर खडे़ हो गए बोले कि अल्लाह ने उनके बेटे को बस इतनी ही जिंदगी दी थी। अगर उसके नाम पर किसी ने दूसरे फिरके के किसी शख्स को उंगली भी दिखा दी तो वह शहर छोड़कर चले जाएंगे। वह नहीं चाहते कि उनकी तरह अब कोई दूसरा अपने बेटे को खो दे। अभिषेक मिश्रा बताएं कि उसके आरएसएस परिवार में मुल्क को हंगामों से बचाने के लिए शाही मस्जिद की मैनेजमेंट कमेटी और इमाम जैसा काम करने वाला क्या एक भी शख्स पैदा हुआ? इसके बावजूद आप ही राष्ट्रभक्त और मुसलमान जेहादी हैं। अपनी इस घिनौनी हरकत पर पर्दा डालने के लिए अभिषेक मिश्रा ने यह भी कहा कि 16 अप्रैल को बंगलौर में रश्मी नायर नाम की एक लड़की ने उस टैक्सी में बैठने से इंकार कर दिया था जिस टैक्सी के ड्राइवर ने उसमें भगवान की मूर्ति रख रखी थी रूद्राक्ष की माला टांगे था और हिन्दुत्व के कई अलामती (प्रतीक) टैक्सी में रखे हुए था। रश्मी नायर ने कह दिया था वह ऐसे हिन्दुत्ववादियों पर अपना पैसा खर्च नहीं करना चाहती जो धर्म का नाम लेकर किसी मासूम बच्ची (कठुआ केस) को मंदिर में रेप करते हैं। अगर रश्मी नायर ने ऐसा कहा तो उसके बयान के लिए मुसलमान जेहादी और जिम्मेदार कैसे हो गए। नायर भी ब्राहमण ही होते हैं अगर अभिषेक मिश्रा और उसके आरएसएस परिवार की हिम्मत थी तो बंगलौर जाकर रश्मी नायर के खिलाफ मोर्चा खोलते उसके लिए मुसलमानों को जेहादी क्यों कहा? बंगलौर जाकर रश्मी नायर के खिलाफ बोलने की उसकी औकात नहीं है। उन्हें पता है कि अगर बंगलौर जाकर उन्होने नायर ब्राहमणों के खिलाफ मुंह खोला तो वह लोग मुंह तोड़ देंगे।  

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