शाहजहांपुर, पराली प्रदूषण रोकने के लिए प्रशासन कार्रवाई के साथ जागरूकता अभियान भी चला रहा है। इस वर्ष अब तक 71 स्थलों पर पराली जलाने की घटनाएं हो चुकी है। प्रशासन ने 29 मामलों में मुकदमा भी दर्ज कराया है। पराली से खाद बनाने को प्रेरित करने के लिए कृषि विभाग ने जागरूकता अभियान शुरू किया है। अब तक 800 गांव में गोष्ठी का आयोजन करके 5000 किसानों को निश्शुल्क डीकंपोजर बांटे गए हैं। बाजार में भी यह डी कंपोजर मिल रहा है। जिसकी मदद से किसान किसान एक एकड़ पराली को किसान आसानी से खाद में बदल रहे हैं।
प्रदेश में शाहजहांपुर को चावल उत्पादन में अग्रणी माना जाता है। आंकड़ों के अनुसार यहां सर्वाधिक चावल की उपज के साथ ही धान की भी सर्वाधिक खरीद की जाती है। यही वजह है कि शाहजहांपुर में पराली जलाने की भी घटनाएं सर्वाधिक होती है। गत वर्ष 225 पराली जलाने की घटनाएं हुई थी। शासन-प्रशासन प्रशासन की सख्ती तथा जागरूकता की वजह से इस बार 154 घटनाएं कम हुई है। प्रशासन ने प्रति घटना 2500 से 15 हजार तक जुर्माने लगाने के साथ 29 लोगो के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज कराया है।
20 रुपये में एक एकड़ पराली को किसान बना रहे खाद
पराली से खाद बनाना बेहद सस्ता और आसान तरीका खोज लिया गया है। किसान मात्र 20 रुपये खर्च करके एक एकड़ पराली को आसानी से खाद में बदल सकते हैं। उप कृषि निदेशक डॉ आनंद कुमार त्रिपाठी ने बताया कि ₹20 की डी कंपोजर डिब्बी के पदार्थ को 200 लीटर पानी मे मिलाकर उसमे 2 किलोग्राम गुड़ डालें। रोजाना सुबह-शाम पांच-पांच मिनट डंडे से चारों तरफ घुमाएं। एक सप्ताह बाद मिश्रण को पराली के ऊपर छिड़क दें। ऐसा करने से 3 सप्ताह के भीतर पराली सड़कर खाद बन जाएगी।
गौशाला में भी पराली प्रबंधन के प्रयास, किसानों को भी सुविधा
शासन ने किसानों की सुविधा के लिए गौशाला में भी पराली प्रबंधन की व्यवस्था कर दी है। इसके लिए शासनादेश भी जारी कर दिया गया है। किसानों को गोष्ठियों में तरीके बताए जा रहै है। उप कृषि निदेशक ने बताया की जिन किसानों के पास पराली को डीकंपोज करने की सुविधा नहीं है, उनके लिए गौशाला में व्यवस्था की गई है। किसान गोशाला में पराली भेज रहे है। पराली को चारा व गायों के बिछावन के रूप में प्रयोग किया जा रहा है। बची पराली से खाद बनाई जा रही है।
Janpad Shahjahanpur se jitendra Kumar Kashyap ki report
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