बहराइच 01 मार्च। जिला कृषि रक्षा अधिकारी आर.डी. वर्मा ने बताया कि वर्तमान समय में मौसम के तापमान में उतार चढ़ाव एवं हल्की बारिश के कारण गेहूॅ की फसल में पीली गेरूई एवं करनाल बण्ट बीमारी की सम्भवना बढ़ जाती है। गेहूॅ की फसल में पीली गेंरूई के प्रकोप की दशा में पत्तियों पर पीले रंग की धारी बनने लगती है तथा हल्के पीले रंग के धब्बे पड़ने लगते है, जो रोग की अन्तिम अवस्था आने पर काले हो जाते है। रोग से अधिक बढ़ने पर ये धब्बे तने व बालियों में फैल जाते है और फसल नष्ट होने लगती है। इस रोग से प्रभावित पौधों की पत्तियों को छूने पर हाथ में पीले रंग का पाउडर जैसा लग जाता है। इस बीमारी के लक्षण दिखाई देने की दशा में किसान भाई प्रोपीकोनाजोल 25 प्रतिशत ईसी की 200 मिली. मात्रा 250-300 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें। 12 से 15 दिन बाद पुनः छिड़काव करें।
गेहूॅ की फसल में करनाल बण्ट के प्रकोप के शुरूआती समय में हर बाली के कुछ दानो के आधार पर काले रंग के क्षेत्र दिखाई देते है। धीरे-धीरे अनाज के भीतर की सामग्री खाली हो जाती है और पूरी तरह से या आशिंक रूप से काले पाउडरी गुच्छे भर जाते है। इसके कारण अनाज फूलता नही है और छिलका ज्यो का त्यों रह जाता है। दानों को कुचलने पर सड़ी मछली जैसी बदबू आती है। कभी कभी संक्रमित पौधे छोटे रह जाते है। करनाल बण्ट रोग बीज या मिट्टी में पैदा होने वाले कवक के कारण होता है। इस बीमारी के लक्षण दिखाई देने की दशा में भी किसान प्रोपीकोनाजोल 25 प्रतिशत ईसी की 200 मिली. मात्रा 250-300 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।
श्री वर्मा ने किसानों का सुझाव दिया है कि किसी भी फसल में कीट/रोग के प्रकोप की दशा में अविलम्ब विकास खण्ड में स्थित कृषि रक्षा इकाई में सम्पर्क कर कीट/रोग के नियंत्रण के सम्बंध में सलाह प्राप्त कर सकते है अथवा सहभागी फसल निगरानी एवं निदान प्रणाली पीसीएसआरएस के नम्बर 9452247111 एवं 9452257111 पर व्हाटसएप या टेक्सट मैसेज कर कीट/रोग के नियंत्रण के सम्बंध में सलाह प्राप्त कर सकते है।
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