जौनपुर के शाही ईद गाह में ईदगाह कमेटी की तरफ से एक जलसा का आयोजन 12 रबी उल अव्वल के मौके पर किया गया, जिस को खिताब करते हुए शेर मस्जिद के इमाम कारी जिया ने बताया कि हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि सल्लम का जन्म 12 रबी उल अव्वल इस्लामी महीने के अनुसार 29 अगस्त 570 ईसवी में अरब के मक्का शहर में हुआ था ,पैगंबरों के सिलसिले में यह इस्लाम के आखरी पैगंबर थे जिस तरीके से आदम से लेकर मूसा अ स इब्राहिमअ स ने एक ईश्वर वाद की बात कही उसी तरह से यह भी उसी एक ईश्वरवाद के संदेशवाहक थे इन्होंने अरब में इस्लाम का फिर से प्रचार किया और उसको पुनर्जीवित किया।इनके आने से पहले अरब में ही नहीं अपितु पूरे जगत में बहुत सी बुराइयां व्याप्त थी, लोग एक ईश्वर को छोड़कर मूर्तिपूजक हो गए थे और कई ईश्वर को मानने लगे थे इसके साथ ही शराब पीना आम हो गया था, लड़कियों को पैदा होते ही जिंदा दफन कर दिया जाता था ,इस तरीके से समाज में बहुत ही ज्यादा कई बुराइयां व्याप्त हो चुकी थी उन बुराइयों के खिलाफ उन्होंने एक आंदोलन चलाया और समाज में एक समाज सुधारक के रूप में कार्य किया ,आज पूरी दुनिया में लोग उनके बताए हुए रास्ते पर चलते हैं, उनके ऊपर इस्लाम का आखरी ग्रंथ कुरान शरीफ अवतरित हुआ ।
62 वर्ष की अवस्था में इस्लामी 12 रबी उल अव्वल के दिन ही, 8 जून 632 ईसवी को हजरत मोहम्मद का मदीना में निर्वाण हुआ।
इस मौके पर अजीम जौनपुरी ने नाते रसूल पेश की जलसे की सदारत मिर्जा दावर बेग ने की व संचालन नेयाज ताहिर शेखू ने किया। आयोजन कर्ता में मुख्य रूप से मो शोएब अच्छू खा, रियाजुल हक़,दिलदार अहमद,साहेबे आलम, हफीज शाह,रसीद , उबेद अंसारी,राजा,
आदि लोग मौजूद रहे।
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