बहराइच 16 जनवरी। रबी की प्रमुख फसलों में लगने वाले सामयिक कीट/रोग से बचाव हेतु जिला कृषि रक्षा अधिकारी आर.डी. वर्मा द्वारा एडवाइज़री जारी करते हुए किसानों को सुझाव दिया है कि अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए सामयिक कीट/रोगों का समय से निदान करें।
राई एवं सरसों की फसल में माहू एवं पत्ती सुरंगक कीट के नियंत्रण हेतु सुझाव दिया गया है कि एजाडिरेक्टिन 0.15 प्रति. ई.सी. की 2.5 ली. मात्रा को 500-600 ली. पानी घोल बनाकर छिड़काव करें। रासायनिक नियंत्रण डाईमेथोएट 30 प्रति. ई.सी. अथवा क्लोरपायरीफॉस 20 प्रति ई.सी. की 1.0 ली. मात्रा को 600-700 ली. पानी में घोल बनाकर प्रति हे. की दर से छिड़काव करें। अल्टरनेरिया पत्ती धब्बा, सफेद गेरूई एवं तुलासिता रेाग के नियंत्रण हेतु मैनकोजेब 75 प्रतित्र डब्लू.पी. अथवा जिनेब 75 प्रति. डब्लू.पी. की 2.0 कि.ग्रा. अथवा मेटालेक्सिल 8 प्रति.$मैनकोजेब 64 प्रति. डब्लू.पी. की 2.5 कि.ग्रा. मात्रा को प्रति हे. की दर से 600-700 ली. पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।
चना/मटर की फसल में फलीवेधक एवं सेमीलूपर कीट के नियंत्रण हेतु 50-60 बर्ड पर्चर लगाना चाहिए तथा बी.टी. 1.0 कि.ग्रा. अथवा एन.पी.वी. 02 प्रति. ए.एस. 250-300 ली. अथवा एजाडिरेक्टिन 0.03 प्रति. डब्लू.एस.पी. 2.5-3.0 कि.ग्रा. मात्रा को 500-600 ली. पानी में घोल बनाकर प्रति हे. की दर से छिड़काव करें। इसी प्रकार पत्ती धब्बा एवं तुलासिता रोग के नियंत्रण हेतु मैनकोजेब 75 प्रति. डब्लू.पी. की 2.0 कि.ग्रा. अथवा कॉपर आक्सीक्लोराइड 50 प्रति. की 3.0 कि.ग्रा. मात्रा को घोल बनाकर प्रति हे. की दर से छिड़काव करें। जबकि बुकनी रोग के नियंत्रण हेतु घुलनशील गंधक 80 प्रति. 2.0 कि.ग्रा. ट्राइडेमेफान 25 प्रति. डब्लू.पी. 250 ग्राम 500-600 ली. पानी में घोल बनाकर प्रति हे. की दर से छिड़काव करें।
जिला कृषि रक्षा अधिकारी श्री वर्मा ने बताया कि आलू में अगेती एवं पछेती झुलसा रोग के नियंत्रण हेतु जिनेब 75 प्रति. डब्लू.पी. 02 कि.ग्रा. अथवा कॉपर आक्सीक्लोराइड 50 प्रति. डब्लू.पी. 2.5 कि.ग्रा. मात्रा प्रति हे. की दर से लगभग 500-600 ली. पानी में घोलकर छिड़काव करें। मक्का की फसल में फॉल आर्मी वर्म के नियंत्रण हेतु अण्ड परजीवी जैसे ट्राइकोग्रामा प्रेटिओसम अथवा टेलीनोमस रेमस के 50000 अण्डे प्रति हे. की दर से प्रयोग करने से इनकी संख्या की बढ़ोत्तरी में रोक लगायी जा सकती है। यांत्रिक विधि के तौर पर सॉयकाल (07ः00 बजे से 09ः00 बजे तक) में 3 से 4 की संख्या में प्रकाश प्रपंच लगाना चाहिए। श्री वर्मा ने बताया कि प्रति हे. 15 से 20 की संख्या में बर्ड पर्चर तथा 35-40 फेरोमेन ट्रेप की दर से लगाकर प्रभावी नियंत्रण किया जा सकता है।
इसके अलावा मक्का की फसल में 05 प्रति. पौध तथा 10 प्रति. गोभ क्षति की अवस्था में कीट नियंत्रण हेतु एन.पी.वी. 250 एल.ई. अथवा मेटाराइजियम एनिप्सोली 5 ग्राम प्रति ली. अथवा बैसिलस थुरिनजैनसिस (बी.टी.) 02 ग्राम प्रति ली. की दर से प्रयोग करना लाभकारी होता है। इस अवस्था में नीम ऑयल 05 कि.ली. प्रति ली. पानी में घोल बनाकर छिड़काव करने से भी कीटों की संख्या पर नियंत्रण किया जा सकता है। जबकि 10-20 प्रति. क्षति की अवस्था में रासायनिक नियंत्रण प्रभावी होता है। इस हेतु कलोरेन्ट्रानिलीप्रोल 18.5 प्रति. एम.सी. 0.4 मि.ली. प्रति ली. पानी अथवा इमामेक्टिन बेनजोइट 0.4 ग्राम प्रति ली. पानी अथवा स्पाइनोसैड 0.3 मि.ली. प्रति ली. पानी अथवा थायामेथाक्सॉम 12.6 प्रति$लैक्ब्डासायहैलोथ्रिन 9.5 प्रति 0.5 मि.ली. प्रति ली. पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए।
कृषि रक्षा अधिकारी श्री वर्मा ने किसानों को यह भी सलाह दी है कि फसलों में कीट/रोग के लगने की दशा में रोगग्रस्त फसल/पौधे के फोटो के साथ विभागीय पी.सी.एस.आर.एस. मो.नं 9452247111 एवं 9452257111 पर व्हाटसएप अथवा मैसेज के माध्यम से शिकायत कर सकते हैं। सभी किसानों से यह भी अपेक्षा की गयी है कि समस्या लिखते समय अपना पूरा नाम व ग्राम, विकास खण्ड एवं तहसील आदि के नाम सहित पूरा पता भी अवश्य अंकित करें। उन्होंने बताया कि समस्या का समाधान 48 घंटे के भीतर कर दिया जायेगा।
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