बहराईच। क्या कभी रक्षक भक्षक हो सकते है। ऐसी कहानी शायद ही आपने कही सुनी होगी। पर जी हाँ ऐसा ही घटना बहराईच के जिला सत्र न्यायालय में तीन मार्च को घटित हुई। जिसे सुनने के बाद जहाँ एक ओर रोंगटे खड़े हो जाते हैं। वही दूसरी ओर महिलाओ की सुरक्षा को लेकर सवालिया निशान भी खड़े हो रहे हैं। आज महिलाएं न्यायालय परिसर में भी सुरक्षित नहीं हैं। क्योंकि जहाँ न्यायालय परिसर में 99 फीसद रक्षक हैं। तो वही 1फीसद रक्षक के भेष में भक्षक ने भी अपना डेरा बना लिया है। जिसके कारण आज महिलाएं खुद को सुरक्षित नही महसूस कर रही हैं। यह शब्द हमारे नही हैं बल्कि एक गरीब महिला का है। जिसके साथ घटना घटित हुई है। ऐसा हम इसलिए भी कह रहे है। क्योंकि आज कई आपराधिक प्रवृत्ति के लोग साफ सुथरे पेशे को अपना हथियार बना कर अपना कृत अपराधों को छिपाने की जुगत करते हैं। और पुलिस प्रशासन भी मुखदर्शी बन कर देखती रहती है। चाह कर भी दबाव बस कुछ भी नही कर पाती। चाहे वो पत्रकारिता हो या फिर अधिवक्ता पद हो। मैं यहाँ सभी अधिवक्ता के सम्मान को ध्यान में रखकर ऐसा बोल रहा हूँ।क्योकि अधिवक्ता पद एक सम्मानित पद और जिम्मेदार पद है। जिसके कंधे पर न्यायालय से आम जनमानस को न्याय दिलाने की जिम्मेदारी भी होती है। समय समय पर अधिवक्ताओं ने अपना योगदान देकर देश की कई महिलाओं को न्याय दिलाकर अपना परचम फैलाया है। पर कुछ लोग इसी पद को दाग लगाने की कोशिश भी करते फिरते हैं। जो निन्दनीय है। ज्ञात हो कि विगत दिवश तीन मार्च को एक महिला अपनी आप बीती कहानी सुनकर सहमा दिया। उसने बताया कि उसके द्वारा दिए गए प्रार्थना पत्र के अनुसार स्थानीय थाने पर दर्ज मुकदमा संख्या 53/2022 धारा 147,148,452,427,504,506,354 आई०पी०सी० के तहत उसे थाना रुपईडीहा से धारा 164 सीपीआरसी के बयान के लिए विवेचना अधिकारी एस.आई. रूदल बहादुर सिंह द्वारा बयान हेतु न्यायालय दीवानी कचेहरी बहराईच में लाया गया। ब्यान के बाद जैसे ही महिला न्यायालय परिसर से बाहर निकली कि अचानक पहले से घात लगाये आरोपी विपक्षीगण शशिकांत, पवन शर्मा, विनोद कुमार, लक्ष्मीकांत, बृजलाल आदि लोगो ने अपने साथी कुछ अधिवक्ताओ की सहायता से महिला को जबरन पकड़कर भद्दी भद्दी माँ बहन की भद्दी भद्दी गालिया व जान माल की धमकी देते हुए अगवा कर मारा पीटा और बंधक बनाकर महिला व उसके ससुर को कमरे में कैद करके घंटो प्रताड़ित किया तत्पश्चात तमाम सादे कागजो जबरन हस्ताक्षर व निशानी अँगूठा लगवा लिया। और बिना इजाजत फोटो कहि खींचा तथा जबरन वीडियो भी बनाया तथा धमकी दिया कि मुकदमा वापस नही लिया तो पूरे परिवार को जान से मार देंगे। वही दूसरी ओर विवेचना अधिकारी के साथ भी बदसलूकी करते हुए नजर आये ” उसे भी खींच लाओ उसे भी कुछ प्रसाद दे दो लेते जाए” जैसी भाषाओ का प्रयोग किया। विवेचना अधिकारी किसी तरह अपनी जान बचा कर रफू चक्कर हो गए। उन्ही के सामने पुलिस प्रशाशन मुर्दाबाद के नारे भी लगे। पूरा ताण्डव देर शाम तक चलता रहा। लेकिन महिला को इन गुनहगारों से छुटकारा पाने का किसी तरह का सहारा नही मिला। जब विपक्षीयो का मंशा पूर्ण हो गया तब जाकर महिला किसी तरह उनके चंगुल से किसी तरह खुद को छुड़ा कर पुलिस अधीक्षक बहराईच के आवास पर जाकर प्रार्थना पत्र देकर आप बीती कहानी बयां कर खुद की और अपने परिवार की जानमाल की सुरक्षा पाने व विपक्षीयो पर कार्यवाही किये जाने की गुहार लगाई है। महिला के घर में सभी सहमे हुए है। इस घटना से महिलाओं की सुरक्षा को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे है। भले ही प्रशाशन, सरकार सुरक्षा को लेकर बड़े बड़े दावे कर रहे हों, लेकिन उन सभी दावो के लिए यह घटना आयना दिखाने जैसा प्रतीत हो रहा है। अभी तक वो गुण्डे खुले आम घूम रहे है। जबकि प्रशासनिक अधिकारी मुखदर्शी बने हुए हैं। क्या कुछ आगे प्रशासन कार्यवाही इस प्रकरण पर करेगा वो तो भविष्य में देखने को मिलेगा फिलहाल गरीब के झोली में प्रशानिक अधिकारियों के पास मात्र आश्वाशन ही देखने को मिलता है।
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