रुपईडीहा बहराइच। सरकार भले ही जनहित में बाल पुष्टाहार विभाग अथवा आंगनबाड़ी केंद्रों की स्थापना करके अपनी पीठ थपथपा रही हो परंतु इसकी सच्चाई तो कुछ और ही है। विकास खण्ड नवाबगंज के कर्मचारियों की उदासीनता एवं भ्रष्टाचार से यह योजना सिर्फ कागज पर ही सिमट कर रह गई है। सरकार द्वारा ग्रामीण स्तर पर बच्चों एवं गर्भवती महिलाओं को कुपोषण से बचने के लिए बकायदा पंजीरी मुहैया कराई जाती है। जो लाभार्थियों को मिलने के बजाय सीधे बिचौलियों के हाथ बाजार व ग्रामीण क्षेत्रों में बेची जा रही है। जिले के अन्य विकासखंडों से इस विकास खंड नवाबगंज की स्थिति सबसे दयनीय है। यह केंद्र पूरी तरह पंजीरी दलालों का अड्डा बन गया है। विश्वस्त सूत्रों के अनुसार बाबागंज केंद्र के निकट बाबागंज, रुपईडीहा कस्बा व आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों के दुकानदारों द्वारा पंजीरी खरीद कर बाजार व ग्रामीण क्षेत्रों में बेची जा रही है। कुछ आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों के नाम न छापने की शर्त पर बताया कि सुपरवाइजर द्वारा प्रत्येक आंगनबाड़ी कार्यकत्री से सुविधा शुल्क प्रति माह ली जाती है। बदले में केंद्र की चेकिंग नहीं की जाती और यदि सीडीपीओ द्वारा आंगनबाड़ी केंद्र की जांच की जाने वाली होती है तो जांच से एक दिन पहले सुपरवाइजर द्वारा मोबाइल से हमें सूचित किया जाता है। जिससे हम लोग कुछ बोरा पंजीरी और प्राइमरी के 10,12 बच्चों द्वारा केंद्र पर उपस्थित होकर जांच का कोरम पूर्ति करवा देते हैं। सुपरवाइजर को अगर सुविधा शुल्क न दिया जाए तो आंगनबाड़ी केंद्र की जांच होती है। सूत्रों बताते हैं कि प्रतिमाह बाल पोषाहार लेने से पहले कार्यकत्री को कुछ एडवांस रुपये जमा कराना होता है।अगर जो कार्यकत्री यह रकम जमा नहीं करती है तो उसके बाल पोषाहार की निकासी नहीं होती है। सरकार द्वारा ग्राम पंचायतों में आंगनबाड़ी को बढ़ावा देने के लिए केंद्रों की स्थापना करा कर गरीब व लाचार बच्चों में अच्छी तालीम की आशा करते हुए निर्देश दिया है कि बच्चों व गर्भवती महिलाओं को कुपोषण से बचाने के लिए पोषाहार निःशुल्क वितरण के लिए उपलब्ध कराया जाए। लेकिन ऐसा देखने को नहीं मिल रहा है। मजे की बात यह है कि नौनिहालों और गर्भवती महिलाओं के हिस्से को उनको न देकर केंद्र से उठा कर बिचौलियों के हाथ बेच दिया जाता है। जो अंत में पशुओं को चारा के रूप में खिलाया जा रहा है। बाजार में इसकी कीमत लगभग 250 रुपये प्रति बोरी है। इस संबंध में कई बार
उच्च अधिकारियों से इसकी शिकायत भी क्षेत्र के लोगों द्वारा की गई किन्तु विभागीय मिलीभगत के कारण मामले की लीपापोती कर दी जाती है। कुछ सुपरवाइजरों का भी मानना है कि पंजीरी की दलाली केंद्र के बाहर होती है। जिससे हम कुछ नहीं कर सकते। क्योंकि प्रत्येक आंगनबाड़ी कार्यकत्री को नियमानुसार पंजीरी की बोरी उपलब्ध कराते हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि यदि पंजीरी उपलब्ध कराना सुपरवाइजरों का काम है तो आंगनबाड़ी केंद्र की जांच ठीक से क्यों नहीं की जाती ॽ अगर जांच होती है तो केंद्र निरस्त करते हुए कार्यकत्री पर कार्यवाहीं क्यों नहीं होती ॽ ऐसे में जाहिर है कि इनके मिलीभगत के कारण ही पंजीरी बाजारों में पहुंच कर बिक रही हैं। कई ग्राम पंचायतों में बाल पोषाहार न बांटे जाने के संबंध जब ग्राम पंचायत केवलपुर सहित 6 ग्राम पंचायतों का कार्य देख रही सुपरवाइजर सुन्दर पती से उसके मोबाइल नंबर 9044701897 पर बात की गई तो उन्होंने बताया कि होली त्योहार के कारण हो सकता है कि अभी बाल पोषाहार न बटा गया हो। इस संबंध में जब ब्लांक नवाबगंज की डीपीआरओ जिया श्याम के मोबाइल नंबर 9454691963 पर काल करके प्रकरण के संदर्भ में जवाब मांगने की कोशिश की गई लेकिन उन्होंने कॉल रिसीव नहीं किया।
व्हाट्सएप पर शेयर करें
No Comments






