Breaking News

आवश्यकता है “बेखौफ खबर” हिन्दी वेब न्यूज़ चैनल को रिपोटर्स और विज्ञापन प्रतिनिधियों की इच्छुक व्यक्ति जुड़ने के लिए सम्पर्क करे –Email : [email protected] , [email protected] whatsapp : 9451304748 * निःशुल्क ज्वाइनिंग शुरू * १- आपको मिलेगा खबरों को तुरंत लाइव करने के लिए user id /password * २- आपकी बेस्ट रिपोर्ट पर मिलेगी प्रोत्साहन धनराशि * ३- आपकी रिपोर्ट पर दर्शक हिट्स के अनुसार भी मिलेगी प्रोत्साहन धनराशि * ४- आपकी रिपोर्ट पर होगा आपका फोटो और नाम *५- विज्ञापन पर मिलेगा 50 प्रतिशत प्रोत्साहन धनराशि *जल्द ही आपकी टेलीविजन स्क्रीन पर होंगी हमारी टीम की “स्पेशल रिपोर्ट”

Saturday, February 8, 2025 8:40:07 AM

वीडियो देखें

हरा चारा प्रबन्धन में जिले कोे आत्मनिर्भर बनाने में मील का पत्थर साबित होगी नेपियर घास: डीएम

हरा चारा प्रबन्धन में जिले कोे आत्मनिर्भर बनाने में मील का पत्थर साबित होगी नेपियर घास: डीएम
_____________ से स्वतंत्र पत्रकार _____________ की रिपोर्ट

बहराइच 31 जुलाई। देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी व प्रदेश के मुखिया श्री योगी आदित्यनाथ जी के आत्मनिर्भर देश व प्रदेश के संकल्प से प्रेरित होकर आकांक्षात्मक जनपद बहराइच को चारा विशेषकर हरा चारा प्रबन्धन में आत्मनिर्भर बनाने के जिलाधिकारी डॉ. दिनेश चन्द्र निरन्तर प्रयत्नशील है। जनपद के समस्त गो आश्रय स्थल व निजी पशुपालक हरे-चारे के लिए आत्मनिर्भर हो जायें ताकि जिले में दुग्ध उत्पादन में वृद्धि के साथ-साथ निराश्रित गोवंशों की समस्या पर भी अंकुश लग सके। हरे चारे का बेहतर विकल्प नेपियर घास जिसे बोआई एवं बीज उत्पादन के लिए जिलाधिकारी डॉ. चन्द्र ने अपने सरकारी आवास को प्रयोगशाला का रूप दे दिया है। वर्तमान समय में यहॉ पर अच्छे खासे भू-भाग पर नेपियर घास की फसल लहलहा रही है साथ ही बोआई के लिए मौसम अनुकूल होने पर नेपियर घास की बोआई भी की गई जिसका नेतृत्व करते हुए जिलाधिकारी डॉ. चन्द्र ने स्वयं अपने हाथों से घास की बोआई की।

इस अवसर पर जिलाधिकारी डॉॅ. चन्द्र ने बताया कि नेपियर घास एक ऐसी घास है जिसको एक बार बोने से लगभग 04 से 05 वर्षों तक एक वर्ष में तीन से चार बार कटाई भी की जा सकती है। नेपियर घास में 12 से 14 प्रतिशत तक पोटीन की मात्रा पायी जाती है जो पशुओं के लिए बहुत लाभदायक है। इस घास को छोटे सी जगह तथा मेढ़ पर भी बोया जा सकता है। जिसका तात्पर्य है कि बडे किसानों से लेकर छोटे किसान भी बो सकते हैं। डॉ. चन्द्र ने कहा कि अक्सर जानकारी न होने पर किसान अपने पशुओं के हरे चारे का प्रबन्ध न कर पाने के कारण पशुओं को अवारा छोड़ देते हैं। जिससे छुट्टा जानवरों की समस्या भी उत्पन्न हो जाती है।

जिलाधिकारी ने बताया कि नेपियर घास सर्वप्रथम वर्ष 1901 में दक्षिण अमेरिका में र्बाइे गई थी जबकि भारत में पहली बार 1912 में इसकी बोआई की गई थी। जानकारी के अभाव में कृषक इसकी ओर आकृषित नहीं हो सके। डॉ. चन्द्र ने बताया कि तत्कालीन मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. बलवन्त सिंह व डीडी ऐग्री के प्रयास स नेपियर ग्रास की बुआई जनपद में प्रारम्भ हुई है। वर्तमान समय में लगभग 50 हेक्टेयर क्षेत्र में नेपियर घास बोई गई है। जिसे इसी वर्ष 100 हेक्टेयर करने का लक्ष्य रखा गया है। डीएम डॉ. चन्द्र ने बताया कि इसकी बोआई बहुत की आसान है। बोआई के लिए उपयुक्त समय वर्षाऋतु है।

डीएम डॉ. चन्द्र ने मौके पर मौजूद उप निदेशक कृषि टी.पी. शाही को निर्देश दिया है कि कृषि गोष्ठी के दौरान प्रतीकात्मक रूप से नेपियर घास के बीज का वितरण प्रगतिशील कृषकों को कराये ताकि जनपद के किसानों को नेपियर घास की उपयोगिता की जानकारी हो गये। डीएम डॉ. चन्द्र ने जनपद के सभी छोटे बड़े किसानों से अपील की है कि सभी अपनी सामर्थ के अनुसार नेपियर घास की बोआई कर पशुओं के लिए हरे चारे का प्रबन्ध करें। डीएम डॉ. चन्द्र ने पशुपालकों से भी अपील की है कि अपने पशुओं से प्यार करें और कतई छुट्टा न छोड़े।

व्हाट्सएप पर शेयर करें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *