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Saturday, April 26, 2025 7:40:12 PM

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बाल्यावस्था किताब का प्रथम सुनहरा पृष्ठ है- साध्वी मंजुयशा जी

बाल्यावस्था किताब का प्रथम सुनहरा पृष्ठ है- साध्वी मंजुयशा जी
_____________ से स्वतंत्र पत्रकार _____________ की रिपोर्ट

रिपोर्ट : पप्पू लाल कीर

काकरोली । प्रज्ञा विहार तेरापंथ भवन युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमणजी की सुशिष्या साध्वी मंजुयशा जी के पावन सान्निध्य में तेरापंथ सभा की ओर से “ज्ञानशाला दिवस’ बड़े उत्साह के साथ मनाया गया। कार्यक्रम से पूर्व ज्ञानशाला के बच्चों की रैली निकाली गई। रैली नया बाजार के तेरापंथ भवन से प्रारंभ हुई। बड़ी अनुशासित व्यवस्थित रूप से बच्चों की रैली थी। साथ में कार्यकर्ता, ज्ञानशाला के प्रशिक्षक-प्रशिक्षकाएं साथ साथ मे बच्चों की व्यवस्था में थे। बच्चों के जय नारों से रैली चलती । प्रज्ञा विहार तेरापंथ भवन में पहुंची। अन्य भाई बहिन व्यवस्था में शामिल थे। प्रवेश करते ही रैली बाल परिषद में परिणत हो गई। काकरोली ज्ञानशाला को महासभा की ओर से उत्तम ज्ञानशाला अवार्ड से सम्मानित किया। कार्यक्रम का प्रारंभ साध्वी श्री के नमस्कार महामंत्र के मंगल उच्चारण से हुआ। ज्ञानशाला के बच्चों ने अर्हम अर्हम की वदनाफले इस गीत का मधुर संगान किया। कांकरोली तेरापंथ सभा के मंत्री श्री विनोद जी चौरडिया ने सभा की ओर से अतिथियों आदि सबका हार्दिक स्वागत किया। साध्वी श्री जी ने अपने प्रेरणादायक उद्बोधन में कहा- आज हम ज्ञानशाला दिवस” मना रहे। ज्ञानशाला एक ऐसा मंदिर है जिसमें ज्ञान तो दिया जाता ही इसके साथ बच्चों को अच्छे संस्कार भी दिए जाते हैं। जिन बच्चों में अच्छे संस्कारों की पुष्टी होती है जिनमें ज्ञान की वृद्धि होती हैं, योग्यता विकसित होती है वे नौनिहाल बच्चे परिवार, समाज के आधार भूत बनते हैं। उन्होंने आगे कहा बाल्यावस्था किताब का प्रथम सुनहरा पन्ना है। उसकी सही देखभाल और स्वस्थ जीवन निर्माण व बालक जीवन की संख्या को भी सुखद और सुरम्य बना देता। आज जरूरत है बालको को प्रारंभ से ही सुसंस्कार के बीज वपन हो। मानव जीवन एक सुन्दर

 

“महल के समान है जो सदसंस्कार, सद्आचार, सद् विचार, सद्व्यवहार रूपी चार मजबूत पीलरों पर टिका हुआ है। उन्होंने आगे कहा- अच्छे संस्कार प्राप्त होने

 

का सशक्त उपक्रम है- ज्ञानशाला। ज्ञान शाला में बच्चों को धार्मिकता, संस्कारों के वपन के साथ-2 शारिरिक, मानसिक, भावनात्मक एवं बौद्धिक विकास की ओर भी ध्यान दिया जाता है। जिसके माध्यम से हर बच्चा अच्छा नागरिक बन स्वस्थ समाज, स्वस्थ परिवार स्वस्थ राष्ट्र की संरचना में योगभूत बन सके। साध्वी श्रीजी ने अपने छोटे छोटे उदाहरणों द्वारा बाल परिषद को प्रेरणादायी उद्बोधन द्वारा बच्चों को तथा अभिभावक गण को बच्चों को ज्ञानशाला में भेजने की प्रबल प्रेरणा दी।

 

इस अवसर पर साध्वी श्री चिन्मय प्रभा जी ने अपने विचारों की अभिव्यक्ति दी। ज्ञानशाला की प्रशिक्षिका वर्ग ने एक समधुर गीत प्रस्तुत किया। बच्चों द्वारा ‘ क्रोध एक अभिषाप है ? लोभ से व्यक्ति अनर्थ कर देता है. इन विषयों पर प्रेरणादायी “लघु नाटिका प्रस्तुत की। बच्चो एक सुन्दर कब्बाली भी प्रस्तुत की। तेरापंथ सभा द्वारा ज्ञानशाला प्रशिक्षिकाओं के श्रम एवं समय की प्रसंशा करते हुए सभी को सम्मानित किया। ज्ञानशाला में प्रशिक्षिकों द्वारा बच्चों जो तत्वज्ञान, भक्तामण, प्रतिक्रमण, आदि बडे व्यवस्थित एवं शुद्धच्चारण से सिखाया गया उनको बच्चों ने बड़ी लगन व श्रम के साथ कंठस्थ किया उसमें से पच्चीस बोल के कुछ बोल छोटे से बच्चे युवान तलेसरा ने बड़े अच्छे तरीके से सुनाए सुश्री हीरल तलेसरा (7 वर्ष) ने भक्तामर को शुद्ध उच्चारण से तथा माही पगारिया ने प्रतिक्रमण बड़े व्यवस्थित रूप से सुनाया। सचमुच ज्ञानशाला के माध्यम से कई बालक अच्छे ज्ञान की प्राप्ति कर रहे हैं। तेरापंथ सभा की और से शिशु संस्कार बोध की परिक्षा में प्रथम द्वितीय व तृतीय स्थान प्राप्त करने वालों तथा ऑन लाइन पर चलने वाले प्रतिक्रमण भक्तामर आदि की प्रश्नोत्तरी में प्रथम द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले सभी बच्चों को सभा द्वारा पुरुस्कृत किया गया। ज्ञानशाल दिवस के अन्य प्रायोजन में श्रीमान पारसमल जी का पूर्ण आर्थिक सहयोग रहा। कार्यक्रम की व्यवस्थितथा में महिलामण्डल, युवकपरिषद के सदस्यों का पूरा’ सहयोग रहा। इस कार्यक्रम में श्री चंद्रप्रकाशजी चौरडिया, ज्ञानशाला की मुख्य संयोजिका श्रीमती मंजु दक, पारस मल जी पितलिया, विनोद जी बड़ाला, सहमंत्री सूरज जी जैन, महेन्द्र जी, महिला मंडल अध्यक्ष इंदिरा जी पगारिया , आदि कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। मंगलपाठ से कार्यक्रम सानन्द संपन्न हुआ। कार्यक्रम का संचालन श्रीमान बाबूलाल जी ने किया।

 

प्रेषक- पप्पू लाल कीर (राजसमंद)

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