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Tuesday, April 29, 2025 5:27:34 PM

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अपने हाथों से बोई नैपियर घास की फसल को फलता-फूलता देख किसान की भांति प्रसन्न दिखे डीएम

अपने हाथों से बोई नैपियर घास की फसल को फलता-फूलता देख किसान की भांति प्रसन्न दिखे डीएम
_____________ से स्वतंत्र पत्रकार _____________ की रिपोर्ट

बहराइच 02 सितम्बर। देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आत्मनिर्भर देश व प्रदेश के संकल्प से प्रेरित होकर जिले को चारा विशेषकर हरा चारा प्रबन्धन में आत्मनिर्भर बनाने के लिए दृढ़ संकल्पित डीएम डॉ. दिनेश चन्द्र ने कैसरगंज के ग्राम कसेहरी बुजुर्ग के गाजीपुर फार्म पहुंच कर किसानो के साथ नेपियर घास के प्रदर्शन का अवलोकन करते हुए अपने से 04 अगस्त को बोई गई घास को खेत में फलता-फूलता देखकर किसानों की भांति प्रसन्नता व्यक्त की। डीएम डॉ. चन्द्र ने बेहतर प्रबन्धन के लिए ग्राम प्रधान विनोद कुमार गुप्ता व बीडीओ अजीत कुमार सिंह को नकद रूप से पुरस्कृत कर सम्मानित किया तथा मौजूद कृषकों व पशुपालकों को नैपियर घास के बीज का वितरण भी किया।  

इस अवसर पर डीएम ने कहा कि मुख्यमंत्री जी की प्रेरणा से सम्पूर्ण प्रदेश में गोआश्रय स्थलों का संचालन कर उनमें गोवंशों को संरक्षित किया जा रहा है। जिसके लिए ज़रूरी है कि संरक्षित गोवंशों के लिए चारे विशेषकर पौष्टिक हरे चारे के प्रबन्ध में नैपियर घास मील का पत्थर साबित होगी। डीएम ने कहा कि हमारी पौराणिक पुस्तकों में भी गाय के दूध की गुणवत्ता के साथ-साथ गाय का महिमा मण्डन किया गया है। हमारी गौरवशाली संस्कृति में गाय को मॉ दर्जा प्रदान किया गया है इसिलिए गाय हमारे लिए पूजनीय है। डीएम ने मौजूद पशुपालकों से अपील की कि अपने पशुओं से प्यार करें और उन्हें कतई छुट्टा न छोड़े तथा उनके लिए नैपियर घास की बुआई करें

जिलाधिकारी डॉ. दिनेश चन्द्र ने बताया कि नेपियर घास एक ऐसी घास है जिसको एक बार बोने से लगभग 04 से 05 वर्षों तक एक वर्ष में तीन से चार बार कटाई भी की जा सकती है। नैपियर घास में 12 से 14 प्रतिशत तक प्रोटीन की मात्रा पायी जाती है जो पशुओं के लिए बहुत लाभदायक है। इस घास को छोटे सी जगह तथा मेढ़ पर भी बोया जा सकता है। जिसका तात्पर्य है कि बडे किसानों से लेकर छोटे किसान भी बो सकते हैं। डॉ. चन्द्र ने कहा कि अक्सर जानकारी न होने पर किसान अपने पशुओं के हरे चारे का प्रबन्ध न कर पाने के कारण पशुओं को अवारा छोड़ देते हैं। जिससे छुट्टा जानवरों की समस्या भी उत्पन्न हो जाती है।

डीएम ने बताया कि नेपियर घास सर्वप्रथम भारत में पहली बार 1912 में इसकी बोआई की गई थी। जानकारी के अभाव में कृषक इसकी ओर आकृषित नहीं हो सके। डॉ. चन्द्र ने बताया कि वर्तमान समय में लगभग 50 हेक्टेयर क्षेत्र में नेपियर घास बोई गई है। जिसे इसी वर्ष 100 हेक्टेयर करने का लक्ष्य रखा गया है। डीएम डॉ. चन्द्र ने बताया कि इसकी बोआई बहुत की आसान है। बोआई के लिए उपयुक्त समय वर्षा ऋतु है। डीएम डॉ. चन्द्र ने जनपद के सभी छोटे बड़े किसानों से अपील की है कि सभी अपनी सामर्थ के अनुसार नेपियर घास की बोआई कर पशुओं के लिए हरे चारे का प्रबन्ध करें। इस मौके पर खण्ड विकास अधिकारी अजीत कुमार सिंह, बुद्धिसागर गुप्ता, कौशलेंद्र विक्रम सिंह, शिवानन्द सिंह, ग्राम प्रधान विनोद कुमार गुप्ता आदि मौजूद रहे।

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