Breaking News

आवश्यकता है “बेखौफ खबर” हिन्दी वेब न्यूज़ चैनल को रिपोटर्स और विज्ञापन प्रतिनिधियों की इच्छुक व्यक्ति जुड़ने के लिए सम्पर्क करे –Email : [email protected] , [email protected] whatsapp : 9451304748 * निःशुल्क ज्वाइनिंग शुरू * १- आपको मिलेगा खबरों को तुरंत लाइव करने के लिए user id /password * २- आपकी बेस्ट रिपोर्ट पर मिलेगी प्रोत्साहन धनराशि * ३- आपकी रिपोर्ट पर दर्शक हिट्स के अनुसार भी मिलेगी प्रोत्साहन धनराशि * ४- आपकी रिपोर्ट पर होगा आपका फोटो और नाम *५- विज्ञापन पर मिलेगा 50 प्रतिशत प्रोत्साहन धनराशि *जल्द ही आपकी टेलीविजन स्क्रीन पर होंगी हमारी टीम की “स्पेशल रिपोर्ट”

Saturday, April 26, 2025 5:39:50 AM

वीडियो देखें

अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के गर्त में जाने से एम्स अपने उद्देश्य से भटक गया है – संत देव चौहान

अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के गर्त में जाने से एम्स अपने उद्देश्य से भटक गया है – संत देव चौहान
_____________ से स्वतंत्र पत्रकार _____________ की रिपोर्ट

नई दिल्ली । एम्स की स्थापना जब 1956 में हुई तो इसके कुछ निर्धारित उद्देश्य थे. जिसमें से सबसे पहला उद्देश्य यह था कि देश भर में होने वाली असाध्य बिमारियों पर रिसर्च करके दवाएं बनाई जाय और उनसे होने वाली मृत्यु दर को कम किया जाय. आज एम्स जिस रूप और जिस स्थिति में खड़ा हाई वह हास्यास्पद लगता है. भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेंद्र मोदी जी पिछले 9 वर्षों से लगातार यह प्रयास कर रहे हैं कि सरकारी संस्थाओं में फैले हुए भ्रष्टाचार को जड़ से समाप्त किया जाए. अभी हाल ही में स्वास्थ्य मत्री की ओर से ब्लड बैंक 24 घंटे खोलने की घोषणा से आम जन बहुत प्रसन्न हैं और इससे बहुत बड़ी सुविधा हो गई है. इसकी सराहना की जा रही.  साथही उनकी कोशिश यह भी है कि आमजन के लिए भारत सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का सही-सही लाभ सभी जरूरतमंदों को मिले. इस दृष्टि से स्वास्थ्य के क्षेत्र में सरकार की ओर से जो परिवर्तन और विकास का मार्ग अपनाया जा रहा है उसमें एम्स को न सिर्फ आगे आना चाहिए बल्कि एक ऐसा उदाहरण प्रस्तुत करना चाहिए जिसका प्रभाव राष्ट्रीय चिकित्सा व्यवस्था पर पड़े. 1956 में जब एम्स की स्थापना से लेकर अब तक अनेक परिवर्तन हुए, सुविधाएँ बढीं, नई-नई योजनाएं आयीं. यदि उस समय राष्ट्रीय चिकित्सा व्यवस्था के विषय में सोचा नहीं गया होता तो आज एम्स को ऐसा मान-सम्मान हासिल नहीं होता.  पहले भी और आज भी सरकार के चिंतन का सर्वसाधारण पक्ष यही है कि एम्स चिकित्सा के क्षेत्र में शोध करके रोग तमाम संक्रमित रोगों के उपचार हेतु रास्ता सरल-सहज मार्ग प्रसस्त करे ताकि प्रतिवर्ष संक्रमित रोगों से मरने वालों की संख्या पर अधिकतम लगाम लगाया जा सके. 

आज यह उद्देश्य धुधला सा हो गया है. एम्स आपसी खींचतान में फंसता जा रहा है और घनघोर अनियमितता और चरम भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ता जा रहा है. कहने को तो यही कहा जाता है कि एम्स आज भी वही काम कर रहा है लेकिन कहीं ना कहीं आपसी खींचतान और अयोग्य व्यक्तियों की कार्यशैली की वजह से एम्स आज आम जनजीवन अब वैसा नहीं रह गया है. रोगियों और उनके परिजनों के लिए जिन सुविधाओं की जरूरत है एम्स वह मुहैया नहीं करा पा रहा है जबकि सरकार और प्रधानमंत्री की ओर से किसी भी तरह की ढिलाई नहीं दिखाई जा रही. ठंडी, गर्मी और बरसात में परिजन अपने रोगियों के साथ एम्स के बहार फुटपाथ पर सैकड़ों दिन सोने के लिए मजबूर हैं. एम्स का कोई भी अधिकारी उनकी सुध नहीं लेता कि वे इस हालत में कैसे रह रहे हैं. आपरेशन, जाँच और दुबारा दिखाने में जितना लम्बा नंबर वोटिंग में मिलता है उस पर कोई काम नहीं हो रहा जबकि कहने के लिए इसी काम पर अनेक अधिकारी कर्मचारी लगे हुए हैं. एम्स आम जन से अपना विश्वास खोता जा रहा है. यह विश्वास ही था जिसके सहारे एम्स की प्रतिष्ठा बनी हुई थी. आज एकबार फिर आवश्यकता है कि समय के साथ होने वाले आधुनिक बदलाओं को ध्यान में रखते हुए एम्स को नष्ट होने से बचाने की सार्वजनिक मुहीम चलाई जाय जिसकी अगुवाई खुद एम्स के भीतर के लोग करें. एम्स के अव्यवस्थित होने के कई कारण हैं जो नीचे दिए जा रहे हैं—

 

उपरोक्त के सन्दर्भ में सबसे पहला कारण है एम्स में प्रशासनिक कार्यों में लगाए गए चिकित्सकों और चिकित्सा संबंधी कर्मचारियों की प्रशासनिक अज्ञानता.

 

दूसरा कारण यह है कि हमें यह ठीक से समझ लेना चाहिए कि प्रशासनिक कार्य उसके प्रोफेसनल का है न कि जीवन भर मरीजों का इलाज करने वाले सरल-सहज चिकित्सकों का. कई बार प्रशासनिक कार्य के लिए चिकित्सकों का प्रशिक्षण होता है ताकि वे ठीक से प्रशासन का कार्य देख सकें. जबकि उनकी नियुक्ति एक चिकित्सक के रूप में हुई है और उनका मूल कर्तव्य भी वही है. चिकित्सकों को एक वर्ष का 12 लाख से लेकर 40 लाख तक का सरकारी भुगतान किया जाता है जबकि उन्हें प्रशिक्षण दिया जाता है प्रशासन का.

 

चिकित्सकों की दक्षता जिस तरह से चिकित्सा है उसी तरह प्रशासनिक अधिकारियों और कर्मचारियों की भी प्रशासनिक दक्षता सामान्य प्रशासन है. जिस प्रकार चिकित्सक का कार्य एक इंजिनियर या एक क्लर्क नहीं कर सकता उसी प्रकार इंजिनियर और फोरमैन का काम एक चिकित्सक नहीं कर सकता. दोनों को एक में मिला देने से अनियमितता और अव्यवस्था बढ़ने की अत्यधिक आशंका रहती है जो आज एम्स में सार्वजनिक रूप से जो परिणामों में दिख रहा है.

 

पिछले दिनों आरपीएससी सेंटर में भ्रष्टाचार का एक बहुत बड़ा मामला आया था जिससे एम्स की पिछले 70 वर्षों से अधिक की तपस्या पर धब्बा लगा. एम्स बनाने वालों का उद्देश्य शर्मसार हुआ. आगे ऐसा कभी न हो इसकी ओर ध्यान दिया जाना चाहिए.

 

एम्स के चिकित्सकों को विभिन्न राज्यों में बने एम्स में स्थानांतरित किया जाय जिससे सभी एम्स में बराबर की सेवा हो और सभी के प्रति आम जन का विश्वास सुदृढ़ हो. किसी एक पर अधिक भीड़ न बढ़े. इससे आम लोगों का खर्च भी बचेगा.

 

चिकित्सक का पेशा सेवा का है धन इकठ्ठा करने का नहीं. चिकित्सक को भगवान के बराबर का दर्जा प्राप्त है. समाज उसे बहुत उच्च दृष्टि से देखता है. इसलिए चिकित्सक का भी कर्तव्य है कि वह एम्स में घास कटवाने, पंखा लगवाने, बाथरूम बनवाने की समितियों से बाहर निकले और उसके लिए जो लोग रखे गए हैं उन्हें ही करने दे. यदि चिकित्सक ही इस तरह की गैर चिकित्सकीय समितियों को चलाएंगे तो फिर हजारों की संख्या में नियुक्त किये गए इंजिनियर और अन्य कर्मचारियों की आवश्यकता क्या है.

 

इसलिए हमारी मांग है कि एम्स को उसकी प्रतिष्ठा के अनुरूप बनाये रखा जाय और जितनी जल्दी हो सके अनियमितताओं से मुक्त किया जाय.

माननीय मंत्री जी से सादर अनुरोध है कि उक्त समस्याओं पर विचार करते हुए जल्द से जल्द निराकरण कराने की कृपा करें. जिससे एम्स के हजारों कर्मचारी और देश करोड़ों लोग लाभान्वित हों और यह सुधार आपके नाम से जाना जाय. आपका कीर्तिमान वैश्विक स्तर पर स्थापित हो जिसे हजारों वर्षों तक याद किया जाय.

 

व्हाट्सएप पर शेयर करें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *