दिवेर दी.26.9.22 नवरात्रि का सभी धर्मो में अपना अपना विशेष
महत्व है इन नो दिनों तक प्राय सभी ग्रह शांत रहते है यह बहुत पवित्र पर्व है मंत्र साधना से जहा एक और सुप्त शक्तियां जाग्रत होती हैं वही दूसरी और शांति का संतुलन भी होता है इन दिनों में साधना करने से साधना जल्दी सिद्ध और उपयोगी हो जाती है अणुव्रत मानवीय आचार संहिता है छोटे छोटे नियमों को अपना कर नादान इंसान महान बन जाता हैं उक्त विचार अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह के सुभारभ पर तेरापंथ भवन दिवेर में प्रवचन सभा के दौरान वक्त किए मुनि प्रकाश कुमार जी ने विभीन मंत्रों का जप करते हुए मंत्र विज्ञान की जानकारी दी मुनि धैर्य कुमार जी ने आगम सूत्रो की सटीक जानकारी देते हुए सुमधुर गीत का संघान किया मुनि सिद्धप्रज्ञ जी ने कहा आज दोनो का एक साथ प्ररभ होना सुंदर सुयोग है सभी धर्मो में संप्रदाय है समुदाय का होना बुरा नही है बुरी है संप्रधायिक कहरता हमे अणुव्रत की वियपक्ता हो समझना चाहिए मंत्र साधना के लिए शरीर भूमि वस्त्र माला उच्चारण दिशा एवम भावो की सुधि जरूरी है कार्यकर्म में नाथ द्वारा काकरोली राजनगर आमेट बरार छापली केलवा आदि छेत्रो से श्रद्धालु जन उपस्थित थे छापली से बाबूलाल जी श्रीमाल ने विचार व्यक्त किए महा सभा के सदस्य तनसुक जी नाहर एवम प्रकाश जी लोढ़ा विशेष रूप से उपस्थित थे प्रेषक ललित लोढ़ा अध्यक्ष जैन मित्र मंडल
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