झालावाड़। विश्व मानसिक स्वास्थ्य सप्ताह के तहत गुरुवार शाम को जिला कारागार झालावाड़ में मानसिक स्वास्थ्य एवं नशा मुक्ति जागरूकता शिविर का आयोजन जेल अधीक्षक वैभव भारद्वाज कि अध्यक्षता में आयोजित हुआ।
सभी बंदियों से नशे की प्रवृति के मन और दिमाग पर पड़ने वाले विपरीत प्रभाव के बारे में बताया कि नशे से स्वभाव में परिवर्तन, चिड़चिड़ापन, गुस्सा, उदासी, बेचैनी, नींद की समस्या आती हैं। मानसिक स्वास्थ्य को अच्छा रखने के लिए सभी बंदियों को नियमति शारीरिक व्यायाम एवं योग करने, भरपूर नींद लेने, सही समय पर नियमित भोजन करने, एवं आपस में संवाद बनाए रखने के लिए प्रेरित किया। बंदियों में से मानसिक समस्या से पीड़ित मरीजों को उपचार एवं कॉन्सलिंग दी। डॉक्टर रश्मी गुप्ता ने कारागृह में अवासरत 600 बंदियों को मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित बीमारियों के लक्षणों को पहचानने , नशे के मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव एवं उपचार के लिए जानकारी दी। कारागार में 10से अधिक मानसिक रोगियों व 70से अधिक कैदी विभिन्न नशे के सेवन करते हुए हत्या, बलात्कार, शांतिभंग, एनडीपीएस इत्यादि वारदात के लिए सजा काट रहे है। आज भारत में हृदय रोग के बाद सबसे ज्यादा मरीज मानसिक बीमारियों जैसे डिप्रेशन, घबराहट, अनिद्रा एवं नशे की लत आदि के सामने आ रहे हैं।
कोरोना में बदले हालात
कोरोना महामारी के बाद बदलते आर्थिक एवं सामाजिक परिदृश्य में और भागम भाग वाली जिंदगी में आज मानसिक रोग से ग्रस्त मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। मानसिक रोग से पीड़ित व्यक्ति अंदर ही अंदर समस्या से जूझता रहता है। उसको अपनी बात कहने के लिए कोई सहायता नहीं मिलती और वो उचित इलाज एवं मनोवैज्ञानिक काउंसलिंग से वंचित रह जाता है। सही समय पर इलाज एवं परामर्श लिया जाए तो मानसिक बीमारियों से निजात पाई जा सकती है।
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