बहराइच 17 अक्टूबर। जिला कृषि रक्षा अधिकारी प्रियानन्दा ने बताया कि छः दिवसीय योजना बनाकर चूहे जैसे चालाक प्राणी पर आसानी से नियंत्रण कर संचारी रोगो से होने वाली हानियों, मानवीय जीवन पर पडने वाले दुष्प्रभावो एवं खेतो में कृृृतंकों के कारण होने वाली हानि पर प्रभावी अंकुश लगाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि जेई/एईएस संचारी रोगो की रोकथाम हेतु चूहा छछूंदर नियंत्रण कार्यक्रम ‘‘जानकारी ही बचाव है’’ के अन्तर्गत विभाग द्वारा क्षेत्रीय कर्मचारियो एवं जनसामान्य का सहयोग लेकर जनपद में आवासीय घरो एवं उनके आस-पास चूहा एवं छछूंदर नियंत्रण जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है।
चूहा छछूंदर नियंत्रण हेतु छः दिवसीय योजना की जानकारी देते हुए जिला कृषि रक्षा अधिकारी ने आमजन को सुझाव दिया है कि पहले दिन आवासीय घरो एवं आस-पास के क्षेत्रो का निरीक्षण एवं बिलो को चिन्हित कर बन्द कर दें, दूसरे दिन निरीक्षण कर जो बिल बन्द हो वहॉ चिन्ह मिटा दें, जहॉ बिल खुलें हो वहॉ चिन्ह रहने दें। खुले बिल/छेद में एक भाग सरसो का तेल व 38 ग्राम सूखे भुने दाने का चारा बिना जहर मिलाये बिल में रखें और तीसरे दिन बिलो का पुनः निरीक्षण कर, बिना जहर का चारा पुनः बिल में रखें। जबकि चौथे दिन जिंक फास्फाइड 80 प्रतिशत की 10 ग्राम दवा में 10 ग्राम सरसो का तेल व 380 ग्राम भुने दाने में बनाये गये चारे की लगभग 10 से 01 ग्राम मात्रा को प्रत्येक बिले में रख दें और पॉचवे दिन बिलों को निरीक्षण कर मरे हुए चूहों को एकत्र कर ज़मीन में दबा दें तथा छठे दिन बिलों को पुनः बन्द करें और अगले दिन यदि पुनः बिल खुले पाये जाये ंतो यही प्रक्रिया को दोहराया जाय।
जिला कृषि रक्षा अधिकारी ने लोगों को सुझाव दिया है कि कृृषि रक्षा रसायन के प्रयोग के समय हाथ में दस्ताने पहनंे। दवा रखने के बाद साबुन से अच्छी तरह से हाथ-मुंह धुल लेना चाहिए। कृृषि रक्षा रसायन बच्चों की पहुॅच से दूर रखें। कीट/रोग से सम्बन्धित किसी भी समस्या/सुझाव हेतु अविलम्ब सहभागी फसल निगरानी एवं निदान प्रणाली (पीसीएसआरएस) के नम्बर 9452247111 एवं 9452257111 पर व्हाटसएप या टेक्सट मैसेज कर कीट/रोग के नियन्त्रण के सम्बन्ध में सलाह प्राप्त कर सकते है।
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