Breaking News

आवश्यकता है “बेखौफ खबर” हिन्दी वेब न्यूज़ चैनल को रिपोटर्स और विज्ञापन प्रतिनिधियों की इच्छुक व्यक्ति जुड़ने के लिए सम्पर्क करे –Email : [email protected] , [email protected] whatsapp : 9451304748 * निःशुल्क ज्वाइनिंग शुरू * १- आपको मिलेगा खबरों को तुरंत लाइव करने के लिए user id /password * २- आपकी बेस्ट रिपोर्ट पर मिलेगी प्रोत्साहन धनराशि * ३- आपकी रिपोर्ट पर दर्शक हिट्स के अनुसार भी मिलेगी प्रोत्साहन धनराशि * ४- आपकी रिपोर्ट पर होगा आपका फोटो और नाम *५- विज्ञापन पर मिलेगा 50 प्रतिशत प्रोत्साहन धनराशि *जल्द ही आपकी टेलीविजन स्क्रीन पर होंगी हमारी टीम की “स्पेशल रिपोर्ट”

Monday, April 28, 2025 11:48:54 AM

वीडियो देखें

रबी सीजन के लिए घोषित एमएसपी किसानों के साथ छलावा, लाभकारी समर्थन मूल्य के लिए संघर्ष और होगा तेज : किसान सभा

रबी सीजन के लिए घोषित एमएसपी किसानों के साथ छलावा, लाभकारी समर्थन मूल्य के लिए संघर्ष और होगा तेज : किसान सभा
_____________ से स्वतंत्र पत्रकार _____________ की रिपोर्ट

 

 

रायपुर। छत्तीसगढ़ किसान सभा ने रबी सीजन 2022-23 के लिए मोदी सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य को देश के किसानों के साथ धोखाधड़ी बताया है, क्योंकि ये मूल्य स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के अनुरूप तो नहीं ही है, पिछले एक साल में ईंधन, खाद, बीज, कीटनाशक जैसे कच्चे माल और खाद्यान्न की कीमतों में हुई बढ़ोतरी तक की भरपाई नहीं करता है।

 

घोषित समर्थन मूल्य पर आज यहां जारी अपनी प्रतिक्रिया में छत्तीसगढ किसान सभा के अध्यक्ष संजय पराते और महासचिव ऋषि गुप्ता ने कहा कि एक ओर जहां खाद्यान्न की उपभोक्ता कीमतों में मूल्य वृद्धि की दर 8% बनी हुई है, गेहूं और चना के समर्थन मूल्य में केवल 2% की ही वृद्धि की गई है। इस समर्थन मूल्य से खेती-किसानी की लागत निकालना भी मुश्किल है, एक सम्मानजनक जीवन तो दूर की बात है। इसी किसान विरोधी नीति का नतीजा है कि मोदी राज में पूरे देश में किसानों की आत्महत्या की संख्या में डेढ़ गुना से ज्यादा की वृद्धि हुई है और छत्तीसगढ़ भी इससे अछूता नहीं है।

 

किसान सभा नेताओं ने कहा है कि कुछ चयनित फसलों के लिए समर्थन मूल्य की इस घोषणा का भी किसानों के लिए कोई मतलब नहीं है, क्योंकि क्योंकि केंद्र सरकार द्वारा कोई खरीद नहीं की जाती और देश की मंडियों तक में इस समर्थन मूल्य की गारंटी नहीं की जाती, जिसके कारण किसान स्थानीय व्यापारियों को एमएसपी से काफी कम दम पर अपनी फसल बेचने को मजबूर होते हैं।

 

किसान सभा नेताओं ने स्वामीनाथन आयोग के, लागत का डेढ़ गुना समर्थन मूल्य, के फार्मूले के अनुरूप एमएसपी तय करने की मांग दोहराई है और एमएसपी की कानूनी गारंटी के लिए अपने देशव्यापी संघर्ष को और व्यापक व तेज करने का आह्वान किया है।

 

 

व्हाट्सएप पर शेयर करें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *