बहराइच 11 नवम्बर। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत जन्म से कटे होंठ एवं तालू वाले बच्चों के निःशुल्क उपचार के लिए 15 नवम्बर मंगलवार को मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय बहराइच में पंजीकरण शिविर का आयोजन किया जाएगा। स्माइल ट्रेन संस्था की ओर आयोजित इस शिविर का शुभारंभ सुबह 10 बजे से होगा। शिविर में चिन्हित बच्चों के इलाज लिए सिप्स हॉस्पिटल लखनऊ में भेजा जाएगा। इसके लिए एम्बुलेंस की व्यवस्था भी की गयी है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. सतीश सिंह ने बताया कि शिविर का मुख्य उद्देश्य जन्मजात दोष जैसे कटे-फटे होंठ, तालू की समस्या का निदान कर बच्चों के चेहरों पर नयी मुस्कान देना है। उन्होंने बताया कि जिन बच्चों को ऑपरेशन के लिए लखनऊ भेजा जाएगा, उनके वापस घर आने तक आने-जाने, रहने व खाने की व्यवस्था निरूशुल्क रहेगी। उन्होंने अधिकाधिक लोगों से इस कार्यक्रम का लाभ लेने की अपील की है। कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डा. राजेश कुमार ने बताया कि कटे हुए होंठ वाले बच्चों का आपरेशन होने के समय उनकी उम्र कम से कम 3 से 6 महीने व वजन 5 किलोग्राम होना चाहिए। तालू की समस्या वाले बच्चों की उम्र 9 से 12 महीने व वजन 5 किलोग्राम होना चाहिए। इसके लिए शिविर में आए सभी बच्चों की निःशुल्क जांच की जाएगी ।
कार्यक्रम के जिला समन्वयक डी.ई.आई.सी. मैनेजर गोविन्द रावत ने बताया कि जन्मजात दोषों के इलाज के लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं।इसके लिए निःशुल्क पंजीकरण शिविर का आयोजन 15 नवम्बर मंगलवार को मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय बहराइच में किया जा रहा है। जन्मजात कटे होंठ या कटे तालू की समस्या वाले सभी बच्चों का पंजीकरण इस शिविर में कराया जा सकता है। जांच के बाद सम्पूर्ण इलाज लखनऊ के सिप्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा निःशुल्क कराया जाएगा । उन्होने बताया पिछले चार वर्षों में 150 से अधिक बच्चों के कटे होंठ या कटे तालू का इलाज इसी अस्पताल से कराया जा चुका है।
पंजीकरण शिविर में कार्यक्रम का संचालन मोहम्मद आमीन खान, प्रोजेक्ट- जरनल मैनेजर, स्माइल ट्रेन, एसआईपीएस हॉस्पिटल लखनऊ द्वारा किया जायेगा। अधिक जानकारी के लिए स्माइल ट्रेन संस्था के प्रतिनिधि मोहम्मद आमीन खान के मोबाइल नं. 9984550786, 9235435014 पर संपर्क किया जा सकता है। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत मोबाइल हेल्थ टीम बच्चों के स्वास्थ्य का परीक्षण कर जन्मजात दोषों वाले बच्चों को चिन्हित करती है। इसके अलावा प्रसव केंद्रों पर प्रशिक्षित स्टाफ, जन्में बच्चों का गृह भ्रमण के दौरान आशा द्वारा भी ऐसे बच्चों को चिन्हित किया जा रहा है।
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