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Tuesday, April 29, 2025 9:08:47 AM

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कम वर्षा वाले क्षेत्रों के लिए ड्रिप एवं स्प्रिंकलर सिंचाई पद्धत्ति है वरदान: डीएम

कम वर्षा वाले क्षेत्रों के लिए ड्रिप एवं स्प्रिंकलर सिंचाई पद्धत्ति है वरदान: डीएम
_____________ से स्वतंत्र पत्रकार _____________ की रिपोर्ट

बहराइच 22 नवम्बर। जनपद में औद्यानिक एवं कृषि फसलों की सिंचाई में ड्रिप तथा स्प्रिंकलर पद्धति करने को बढ़ावा देने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के उपघटक ‘‘पर ड्रॉप मोर क्रॉप’’ (माइक्रोइरीगेशन) को शासन की मंशानुरूप संचालित किए जाने के उद्देश्य से कलेक्ट्रेट सभागार में आयोजित जिला स्तरीय क्रियान्वयन समिति (डीएलआईसी) की बैठक की अध्यक्षता करते हुए जिलाधिकारी डॉ. दिनेश चन्द्र ने निर्देश दिया कि योजनान्तर्गत किसानों के चयन के लिए जो सूची तैयार की गई है उसका पुनः सत्यापन कराते हुए यह सुनिश्चित किया जाए कि प्रत्येक दशा में पात्र किसान ही लाभान्वित हों। डीएम डॉ. चन्द्र ने यह भी निर्देश दिया कि योजना को क्रियान्वित करते समय गुणवत्ता पर भी विशेष ध्यान दिया जाए।

डीएम डॉ. चन्द्र ने कहा कि दिन-प्रतिदिन जल स्तर में हो रही कमी में सुधार हेतु भूजल संचयन उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि के दृष्टिगत ड्रिप एवं स्प्रिंकलर सिंचाई पद्धति के माध्यम से पौधों को सीधे विभिन्न प्रकार के संयंत्रों, पाइप, तकनीकों को अपनाकर उनकी उम्र, आवश्यकतानुसार जल उपलब्ध कराकर गुणवत्तायुक्त उत्पादन जल एवं ऊर्जा की बचत में योगदान करना माइक्रोइरीगेशन का मुख्य उद्देश्य हैै। प्रदेश में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजनान्तर्गत ‘पर ड्रॉप मोर क्रॉप’ के अन्तर्गत ड्रिप एवं स्प्रिंकलर सिंचाई को किसानों के लिए उपयोगी बनाया जा रहा है। इस पद्धति को अपनाते हुए किसान कम पानी से अधिक उपज प्राप्त करते हुए अपनी आय में वृद्धि कर रहे हैं।

डीएम ने कहा कि ड्रिप/स्प्रिंकलर सिंचाई पद्धति अपनाने से किसानों को बड़ा लाभ है। इस पद्धति से केवल पौधों में पानी देने से पानी की बचत पौधांे को पानी देने के लिए मेड़ व नालियाँ बनाने की जरूरत नहीं पड़ती है। इस तरह फसल के पौधों को सीधे पानी मिलने से फसल की गुणवत्ता एवं पैदावार में वृद्धि होती है। जड़ों में पानी देने से खर-पतवार पर प्रभावी नियन्त्रण, उर्वरक की बचत, ऊँची-नीची भूमि में पौधों की सिंचाई भली-भाँति होती है। पौधों में लगने वाले कीट व अन्य रोगों की उचित रोकथाम होती है। सिंचाई कार्य में कम समय में सिंचाई होती है, जिससे किसान अन्य कार्यों में समय का उपयोग कर सकते हैं। ड्रिप/स्प्रिंकलर सिंचाई पद्धति कम वर्षा वाले क्षेत्र के किसानों के लिए बहुत ही उपयोगी सिद्ध हो रही है।

इस अवसर पर मुख्य विकास अधिकारी कविता मीना, जिला कृषि अधिकारी सतीश कुमार, प्रभारी कृषि विज्ञान केन्द्र वी.पी. शाही, सहायक अभियन्ता लघु सिचाई मंशाराम मौर्या व अन्य सम्बन्धित अधिकारी, प्रगतिशील किसान, गुलाम मोहम्मतद, रामफेरन पाण्डेय, लालता प्रसाद गुप्ता तथा अन्य सम्बन्धित मौजूद रहे।

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