रिपोर्ट : वसीम अहमद
रुपईडीहा बहराइच। भारत नेपाल सीमावर्ती ग्रामीण क्षेत्रों में छुट्टा जानवरों से किसानों की नींद हराम हो गई है। झुंड के झुंड छुट्टा जानवर किसानों की फसलों को बर्बाद कर रहे हैं। जिले के अधिकारी जान कर अंजान बने हुए हैं।
“तुम्हारी फाईलों में गांव का मौसम गुलाबी है,मगर यह आंकड़े झूंठे हैं और दावा किताबी है। जनकवि अदम गोंडवी जी की यह कविता अन्नदाता कहे जाने वाले किसानों की छुट्टा पशुओं की गंभीर समस्या पर सटीक बैठ रही है। जिले में बैठे आला अधिकारी और नेता क्या जाने कि किसान किस तरह दिन रात कड़ी मेहनत करके अपनी फसल उगाते हैं। और घर तक कैसे ले जाते हैं। आपको बता दें कि फसलों को छुट्टा जानवरों से बचाने के लिए क्षेत्रीय किसान इस भीषण ठंड में खेतों में ही रात कट रही है। वहीं योगी सरकार के लाख दावे के बाद भी किसानों को छुट्टा जानवरों से निजात नहीं मिल पा रही है। मालूम हो कि झुंड के झुंड छुट्टा पशु जिस खेत में पहुंच जाते हैं वहां की पूरी की पूरी फसल चौपट कर देते हैं। इससे किसानों की खून पसीने की गाढ़ी कमाई चंद घंटों में तबाह हो जाती है। ऐसे में मेहनत कर खेत में लगी हरी भरी फसल को किसान किसी भी हालत में नुकसान नहीं होने देना चाहते हैं और फसलों को बचाने के लिए भीषण हांड़कंपाऊ ठंड भरी रातों में ही किसान अपने खेत में रहकर हरी भरी फसलों की रखवाली करने पर मजबूर हैं। जबकि इस समय जिले का तापमान 3 से 5 डिग्री सेल्सियस के आसपास बताया जाता है। इससे ठंड भी काफी पड़ रही है। विकास खंड नवाबगंज क्षेत्र के रंजीतबोझा,पचपकरी, निधिनगर पोखरा, परमपुर,महमदी,साईगाव, सहाबा,गोकुलपुर, राम बक्सपुरवा, खुसलीगांव शिवपुर मोहनिया रुपईडीहागांव आदि दर्जनों आसपास ग्रामीण क्षेत्रों में किसान खेत में शर्द भरी रातें काट रहे हैं, तब भी उनकी फसल की सुरक्षा पूरी तरीके से नहीं हो पा रही है और मौका पाते ही छुट्टा जानवर खेतों में घुसकर भारी मात्रा में फसल नष्ट कर देते हैं। बताते चलें कि ठंड इतनी पड़ रही है कि किसान काफी हैरान परेशान हैं। वहीं किसानों का कहना है कि जब इस समय छुट्टा पशुओं से फसलों की सुरक्षा कर लेंगे तभी करीब पांच से छह माह बाद उनके घर पर बचा खुचा अनाज किसी तरह पहुंच सकेगा। यही नहीं सुरक्षा ना करने और थोड़ी सी चूक होने पर न उनकी फसल बचेगी और न ही अनाज घर पहुंच पायेगा। ऐसे में इस समय वह अभी कड़ाके की सर्द भरी रात और हवाओं के बीच खेत में ही रुकने को मजबूर हैं और रतजगा कर रहे हैं। इसके लिए कुछ भी समस्या हो लेकिन खेत में रात कटनी मजबूरी है। कमोवेश यही हाल अन्य सीमावर्ती दूर दराज के गांवों के किसानों का भी है। जहाँ गांवों में किसान फूस के मचान बनाकर रात काट रहे हैं, तब जाकर बड़ी मुश्किल से उनकी फसल बच रही है।
अलाव के सहारे काट रहे रात,कर रहे रतजगा।
क्षेत्र के अधिकांश ग्रामीण क्षेत्रों में किसान रात को अपने खेत की रखवाली करते देखे जा रहे हैं। रात में रोशनी देखने पर किसान उठ गए और पूछने पर किसानों ने बताया कि इस ठंड में फसलों को बचाने के लिए अलाव ताप रहे हैं। पूरी रात जागने के साथ ही अलाव तापते हुए रात कट रही है तब जाकर उनकी फसल किसी तरह बचती है। वहीं जिले के आला अधिकारी व जन प्रतिनिधि सब कुछ जानते हुए मौन साधे हुऐ हैं और इस गंभीर समस्या का धरातल पर ठोस निराकरण एवं प्रबंध नही किया जा रहा है जिससे पीड़ित किसानों में काफी आक्रोश व्याप्त है। क्षेत्रीय किसानों ने जिलाधिकारी बहराइच से क्षेत्र के छुट्टा जानवरों को गौशाला में भेजे जाने की मांग किया है। जिससे उनकी फसल बचाई जा सके।
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