बहराइच 03 मार्च। कृषि विज्ञान केन्द्र बहराइच प्रथम पर फसल अवशेष प्रबंधन परियोजनाअंतर्गत दो दिवसीय 3 से 4 मार्च 2023 तक लगने वाले किसान मेले का उदघाटन सांसद अक्षयबर लाल गौड़ ने जिलाधिकारी डा. दिनेश चंद्र के साथ लगाये गये प्रदर्शनी स्टालों का अवलोकन भी किया। इसके उपरान्त सांसद श्री गोड़ ने जिलाधिकारी डॉ चन्द्र के साथ दो दिवसीय किसान मेले का दीप प्रज्ज्वलित कर उदघाटन किया। कार्यक्रम के अन्त में सांसद, डीएम व अन्य अधिकारियों ने कृषि वैज्ञानिकों प्रगतिशील कृषकों के साथ कृषि विज्ञान केन्द्र के परिक्षेत्र का भ्रमण कर उगायी गयी फसलों के बारे में आवश्यक जानकारी प्राप्त की।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए सांसद श्री गोड़ ने किसानों को बताया कि केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा किसानों के कल्याणार्थ अनेकों योजनाएं संचालित की जा रही है। किसान भाई इन योजनाओं का लाभ उठाकर अपना उत्थान कर सकते है। उन्होंने कहा कि गांव के युवा खेती, किसानी से भी अपने आपको समृद्ध बना सकते है। उन्हें दिल्ली, मुंबई जाने की आवश्यकता नहीं है। श्री गोड़ ने किसानों से अपील की कि फसल अवशेष जलाये नहीं बल्कि खेतों में सड़ाकर अपने खेत की मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ाये।
जिलाधिकारी चंद्र ने किसानों को बताया की बहराइच जिले में फसल अवशेष जलाने में कमी आई है। जो कृषि विज्ञान केंद्र बहराइच प्रथम और कृषि विभाग के प्रयासों का परिणाम है। फसल अवशेष न जलाने के लिए जिला, ब्लाक व ग्राम स्तर पर गोष्ठियां आयोजित कर किसानों को जागरूक किया गया। उन्होंने कहा कि जिले के सभी किसानों को कृषि विभाग की योजनाओं का लाभ मिल रहा है। मेरा प्रयास है कि जिले के सभी किसान शासकीय योजनाओं का लाभ प्राप्त कर समृद्ध और सशक्त हो। जिलाधिकारी ने किसानों को प्रेरित किया कि अपने घर पर जैविक विधि से सब्जी की खेती करें और उसका स्वयं भी प्रयोग करें। इससे उनके स्वास्थ्य में सुधार आयेगा। एनिमियां की कमी को दूर करने के लिए आंवला, पालक व हरे पत्ते की सब्जियों का अधिक से अधिक सेवन करें इससे वे नाना प्रकार की बीमारियों से बचे रहेंगे।
केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डा. बी. पी.शाही ने केंद्र पर चल रही सभी योजनाओं के बारे में मुख्य अतिथियो को अवगत कराया और किसानों को जागरूक किया की पराली कदापि न जलाए। पराली जलाने से उत्पन्न होने वाले गैसों से मनुष्यो में सांस लेने की बीमारी हो जाती है। केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. पी. के. सिंह ने रबी के फसलों में रोगों और बीमारियो से रोकथाम के लिए किसानों को जागरूक किया गया। जिला कृषि रक्षाधिकारी श्रीमती प्रिया नन्दा ने फसल सुरक्षा के बारे में किसानों को जानकारी प्रदान की। डा. संजीव कुमार के. वी. के. श्रावस्ती ने मछली उत्पादन तकनीकी के बारे में किसानों को विस्तार से बताया। डा.नन्दन सिंह ने प्राकृतिक खेती के फायदे और जीवामृत बनाने कि विधि में बारे में किसानों को बताया। डा. शैलेन्द्र सिंह ने पराली अवशेष प्रबन्धन के लिए पूसा डी कंपोजर के बारे में विस्तार से बताया। डा.अरुण कुमार राजभर ने किसान भाइयों को किसान उत्पादक संगठन और स्वयं सहायता समूह के गठन और उसके लाभ के बारे में विस्तार से बताया। दो दिवसीय किसान मेले में पहले दिन 26 से अधिक स्टाल लगे थे जिसमे मुख्य रूप से कृषि विभाग, इफको, उधान विभाग, गन्ना विभाग समेत कुछ किसान उत्पादक संगठन के भी स्टाल लगाये गये थे।
प्राइवेट कंपनियो के भी स्टाल थे जिसमे मुख्य रूप से रासी सीड, बायर, धनुका थे। जो किसानों को बहुत लुभा रहे थे। प्रथम दिन 500 से अधिक किसानों ने मेले में प्रतिभाग किया। किसान मेले में पहले दिन उप कृषि निदेशक डा. टी. पी शाही, वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डा.के एम सिंह के. वी. के. नानपारा, जिला उद्यान अधिकारी श्री पारसनाथ, एस. डी. ओ. उदयशंकर सिंह और कृषि विज्ञान केंद्र बहराइच प्रथम के वैज्ञानिक डा. सुनील कुमार, डा. नीरज सिंह, यंग प्रोफैशनल कुसाग्र सिंह, फार्मर चेंज एजेंट मो. रहीश खान और कर्मचारी अनिल पांडेय, राजीव कुमार, संजय पांडे, सिराज, चंद्रप्रकाश और बगेसवारी सहित प्रगतिशील कृषक बब्बन सिंह आदि मौजूद रहे।
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