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Tuesday, March 25, 2025 9:44:30 AM

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केन्द्र सरकार के दिल्ली ऑर्डिनेंस का सीटीआई ने किया विरोध

केन्द्र सरकार के दिल्ली ऑर्डिनेंस का सीटीआई ने किया विरोध

रिपोर्ट : दीपक कुमार त्यागी 

स्वतंत्र पत्रकार

 

ऑर्डिनेंस दिल्ली के ट्रेड इंडस्ट्री और व्यापारियों के लिए ख़तरनाक

 

इससे बाजारों और औद्योगिक क्षेत्रों के विकास कार्य बाधित होने की आशंका

 

लोकसभा में दिल्ली सरकार के अधिकारों और सेवा से जुड़ा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2023 पारित हो गया है, अब राज्यसभा में बिल पारित होना है। 

इसे लेकर व्यापारिक संस्था चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (CTI) ने चिंता जताई है और केंद्र सरकार के ऑर्डिनेंस को दिल्ली के ट्रेड इंडस्ट्री और व्यापारियों के लिए ख़तरनाक बताया है ,

CTI चेयरमैन बृजेश गोयल और अध्यक्ष सुभाष खंडेलवाल ने कहा कि यदि दिल्ली ऑर्डिनेंस पारित होने के बाद कानून बन गया, तो दिल्ली में ट्रेड, इंडस्ट्री और बाजारों के विकास कार्य बाधित होने की आशंका है। राज्य के अधिकारी चुनी हुई सरकार के बजाए केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त उपराज्यपाल के दिशा-निर्देशों पर काम करेंगे।

दिल्ली सरकार ने पांच बाजारों का सौंदर्यीकरण, शॉपिंग फेस्टिवल, गांधी नगर के होलसेल रेडिमेड बाजार का रीडिवलेपमेंट, नॉन कन्फर्मिंग इंडस्ट्रियल एरिया के विकास का खाका बना रखा है, ये कार्य लटक सकते हैं।

 

इसको लेकर पिछले दिनों मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और मंत्री सौरभ भारद्वाज ने

विभाग के अधिकारियों के संग अनेकों मीटिंग की थी और दिल्ली सरकार चाहती है कि ये विकास कार्य जल्द से जल्द पूरे हों जिससे कि दिल्ली के बाजारों और औद्योगिक क्षेत्रों का कायाकल्प हो सके ।

मुख्यमंत्री और शहरी विकास मंत्री ने व्यापारियों के संग भी अनेक मीटिंग की थी। मगर, केन्द्र सरकार द्वारा लाया गया ऑर्डिनेंस अगर कानून बन जाएगा, तो ना केवल अधिकारियों की मनमानी बढ़ जाएगी बल्कि छोटे से छोटे काम के लिए एलजी से मंजूरी लेनी होगी। संभव है कि अधिकारी भी दिल्ली सरकार की नहीं सुनें।

 

सीटीआई महासचिव विष्णु भार्गव और उपाध्यक्ष गुरमीत अरोड़ा ने बताया कि पांच बाजारों के पुनर्विकास के लिए 100 करोड़ रुपये, गांधी नगर मार्केट के रीडिवलेपमेंट के लिए 100 करोड़ रुपये, शॉपिंग फेस्टिवल के लिए 200 करोड़ रुपये और दिल्ली बाजार पोर्टल के लिए 20 करोड़ रुपये खर्च करने की योजना थी, ऐसा ना हो कि ऑर्डिनेंस आने के बाद इन प्रोजेक्ट्स में देरी हो ।

चुनी हुई दिल्ली सरकार को अपने हिसाब से फैसले लेने का अधिकार होना चाहिए।

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