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Thursday, February 13, 2025 9:36:00 PM

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“पथिक मैं अरावली का” पुस्तक का लोकार्पण व परिचर्चा

“पथिक मैं अरावली का” पुस्तक का लोकार्पण व परिचर्चा

नई दिल्ली। विश्व पुस्तक मेले में राजपाल एंड सन्ज़ के स्टॉल पर विख्यात समाजकर्मी और लेखक भंवर मेघवंशी की पुस्तक ‘पथिक मैं अरावली का’ का लोकार्पण हुआ।

लोकार्पण आदिवासी हरिराम मीणा, पत्रकार नवीन कुमार और युवा लेखक सोपान जोशी मौजूद रहे। नवीन कुमार ने लोकार्पण में कहा कि यह पुस्तक सिर्फ यात्रावृत्तांत ही नहीं है इतिहास भी है। इस पुस्तक में बहुत सारी बाते श्रुति परंपरा की हैं, बहुत सारी बाते लिखित परंपरा की हैं। इसमें मानवीय पहलुओं का घुमक्कड़ी में इस्तेमाल किया है यह बात विलक्षण तो है ही उससे ज़्यादा ज़रूर है। एक मनुष्य के रूप में एक पाठक के रूप में हम जिन मोड़ों से गुज़रते है जहां हम पहुंचना चाहते हैं उसके रास्ते में कौन कौन-सी चीजें वांछित-अवांछित आती है उसका ब्यौरा है यह किताब। सोपान जोशी ने कहा कि इसकी सबसे महत्त्वपूर्ण बात जो है वह घूमने की है। हम जो यात्राएँ करते हैं वह पहले से निश्चित होती है उसके निष्कर्ष पहले से निकले होते हैं। इस बात का निष्कर्ष यह निकलता है कि इंसान अपनी मिट्टी के कुंऐ का मेंढक है। उसे वही पता लगता है वही दिखता है जो उसके कुंऐ में आता है बाहर देखना ज्यादातर लोगों के बूते के बाहर होता है बहुत कम लोग अपने कुंऐ से निकलकर दूसरों के कुंओं तक जाते हैं और उससे भी कम लोग कुंऐ छोड़कर पहाड़ों पर भी चढ़ जाते हैं। भंवर भाई उनमें से हैं जो अपना कुंआ छोड़कर दूसरों के कुंऐ तक जाते है और पहाड़ पर भी चढ़ जाते हैं। इसके अलावा इन्होंने पुस्तक के एक अंश का पाठ भी प्रस्तुत किया।हरिराम मीणा ने कहा कि इस पुस्तक की यात्रा की शुरुआत इडर से होते हुए अरावली से गुजरती है। यात्रा वृतांत केवल भौगोलिक देशाटन नही है। इसके अलावा हरिराम मीणा जी ने बहुत से आदिवासी समुदायों के क्रांतिकारी संघर्षों के भी ज़िक्र अपने वक्तव्य में किया। कार्यक्रम का संचालन मीरा जोहरी जी ने किया।

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