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Tuesday, April 29, 2025 1:48:34 PM

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धर्म, समाज, भाषा या क्षेत्र के दायरे से निकल कर रचा साहित्य ही रहता है जिंदा: अंबिका दत्त

धर्म, समाज, भाषा या क्षेत्र के दायरे से निकल कर रचा साहित्य ही रहता है जिंदा: अंबिका दत्त

शायर शकूर अनवर की दो किताबों व एक साप्ताहिक का हुआ लोकार्पण

विकल्प जन सांस्कृतिक मंच की‌ ओर से आयोजित

समारोह में छाई रही महिला दिवस की अनुगूंज

कोटा। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस और प्रसिद्ध शायर शकूर अनवर के जन्म दिवस पर विकल्प जन सांस्कृतिक मंच व अंजुमने शेरो अदब की‌ ओर से शिवपुरा में आयोजित पुस्तक विमोचन समारोह में नगर के रचनाकार, पत्रकार और साहित्य प्रेमी बड़ी संख्या में उपस्थित हुए। 

समारोह में शकूर अनवर के ग़ज़ल संग्रह पथरीली झीलें, शकूर अनवर के व्यक्तित्व और कृतीत्व पर केन्द्रित पुस्तक जंगल, सेहरा और समंदर तथा उनकी शायरी पर केन्द्रित दिल्ली से प्रकाशित उर्दू साप्ताहिक सदा ए अंसारी के विशेषांक का विमोचन संपन्न हुआ।

समारोह में दिल्ली से पधारे समीक्षक, संपादक हबीब सैफी ने कहा कि शकूर अनवर की शायरी हिन्दी, उर्दू दोनों ही भाषाओं में वही स्थान रखती है, जो अपने समय में प्रेमचन्द और फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ जैसे लेखकों को हासिल हुआ था। समारोह की अध्यक्षता कर रहे साहित्यकार अम्बिका दत्त ने कहा कि धर्म, समाज, भाषा या क्षेत्र के दायरे से निकल कर रचा गया साहित्य ही जिंदा रहता है। शकूर अनवर हमारे समय के महत्वपूर्ण शायर हैं। उनकी शायरी समय का अतिक्रमण करके भविष्य के नए स्वप्न रचती है। जंगल, सेहरा और समंदर के संपादक महेन्द्र नेह ने कहा कि शकूर अनवर की शायरी इन्सानी मोहब्बत और संघर्षरत अवाम की शायरी है। लेखिका डॉ. अनिता वर्मा ने अपने पत्र वाचन में अनवर को मनुष्यता के पक्ष में मजबूती से खड़ा शायर बताया। दिल्ली से पधारे समारोह के मुख्य अतिथि अंसारी अतहर हुसैन ने अपने उद्बोधन में कहा कि अनवर की शायरी में वे सभी खूबियां हैं जो एक बड़े शायर में पाई जाती हैं। मंजरनामा के संपादक मुख़्तार हुसैन अंसारी, फानी जोधपुरी, दिनेश राय द्विवेदी और शायरा जेबा फिजा ने भी शकूर अनवर के व्यक्तित्व और उनकी शायरी के हुनर को जमाने से हट कर बताया।

विमोचन समारोह की शुरआत शरद तैलंग, स्नेहलता शर्मा और सिराज अहमद अंसारी की अध्यक्षता में सम्पन्न विकल्प काव्य गोष्ठी से हुई। हिन्दी, उर्दू, हाड़ौती की इस गंगा-यमुनी गोष्ठी में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर केन्द्रित रचनाएं छाई रहीं। गोष्ठी को जिन प्रमुख कवियों और शायरों ने अपनी काविताओं से एक यादगार गोष्ठी की ऊंचाइयों तक पहुंचाया उनमें राम नारायण हलधर, किशन वर्मा, ओम कटारा, शबाना अंसारी, सीमा तबस्सुम, जेबा फिजा, राजेन्द्र पंवार, अहमद सिराज फारूकी, बद्रे आलम आदि उल्लेखनीय हैं। काव्य गोष्ठी का संचालन शायर सलीम आफ़रीदी ने किया। विकल्प, श्रमजीवी विचार मंच, अंजुमने शेरो अदब आदि संस्थाओं की ओर से शायर शकूर अनवर को उनके जन्मदिन पर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में बिगुल जैन वेद प्रकाश परकाश मसूद अख्तर शब्बीर अहमद देवराज भी शामिल रहे।

अंजुमन के सचिव रिजवानुद्दीन अंसारी ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

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