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Saturday, April 19, 2025 2:23:19 PM

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गुंजल के जनसंपर्क में उमड़ रही भीड़, ओम बिरला पर बनाई बढ़त

गुंजल के जनसंपर्क में उमड़ रही भीड़, ओम बिरला पर बनाई बढ़त

घोड़े पर बिठाकर गाजे-बाजे के साथ निकाला जा रहा जुलूस

शहर से ज्यादा ग्रामीण मतदाताओं की रहेगी निर्णायक भूमिका

-कोटा-बूंदी लोकसभा की 8 विधानसभाओं में आधे से ज्यादा मतदाता ग्रामीण क्षेत्रों में

कोटा।

कोटा-बूंदी लोकसभा सीट के लिए दूसरे चरण में 26 अप्रैल को मतदान होना है। इस सीट पर होने वाले चुनाव में शहर से अधिक ग्रामीण मतदाता हार-जीत में निर्णायक भूमिका निभाएंगे। इसका कारण कुल मतदाताओं में आधे से अधिक मतदाता ग्रामीण क्षेत्रों के होना है।

राजस्थान की 25 लोकसभा सीटों में से कोटा-बूंदी लोकसभा की सीट हॉट सीट बनी हुई है। इस सीट से भाजपा के दो बार के सांसद तथा मौजूदा स्पीकर ओम बिरला के सामने उन्हीं की पार्टी से बगावत कर कांग्रेस के टिकट पर मैदान में उतरे प्रह्लाद गुंजल हैं जिन्होंने प्रचार व जनसंपर्क के मामले में बिरला पर बढ़त बना ली है।

कोटा-बूंदी लोकसभा क्षेत्र की 8 विधानसभाओं में इस बार कुल 20 लाख 62 हजार 730 मतदाता हैं। जिनमें से कोटा उत्तर व दक्षिण में कुल 5 लाख 6 हजार 125 मतदाता है। वहीं लाड़पुरा व रामगंजमंडी के करीब 3 लाख मतदाताओं को शामिल कर लिया जाए तो यह संख्या बढ़कर करीब 8 लाख हो जाती है। वहीं बूंदी, के. पाटन, सांगोद व पीपल्दा में कुल 10 लाख 10 हजार 635 मतदाता है। वहीं लाड़पुरा व रामगंजमंडी के 2 लाख 46 हजार 357 मतदाताओं को शामिल कर लिया जाए तो यह संख्या बढ़कर 12 लाख 56 हजार 992 हो जाती है। ऐसे में शहरी से अधिक मतदाता ग्रामीण क्षेत्र में है। ये मतदाता ही चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाएंगे।

 

ग्रामीण क्षेत्रों में गुंजल के समर्थन में उमड़ रही भीड़़

 

कोटा-बूंदी लोकसभा सीट पर इस बार पार्टी से बड़ा चेहरा हो गया है। गुंजल कांग्रेस के बजाय अपने चेहरे पर चुनाव लड़ रहे हैं। साथ ही बिरला को भी चुनौती दे रहे हैं कि हिम्मत है तो अपने चेहरे और कामों को दम पर चुनाव लड़ कर दिखाएं। यह पहली बार है कि इस चुनाव में बीजेपी का आजमाया हुआ सांप्रदायिक कार्ड चल रहा है और ना ही राम मंदिर का निर्माण कोई मुद्दा बन पा रहा है। इसका कारण यह है कि गुंजल बीजेपी से ही निकले हुए हैं। 40 साल तक बीजेपी में रहे हैं। दो बार बीजेपी से ही विधायक रह चुके हैं। इसलिए बीजेपी चाह कर भी हिंदू-मुसलमान का कार्ड चलाने में नाकाम नजर आ रही है।

 

बीजेपी कार्यकर्ता भी खुल कर आए साथ

 

बीजेपी में रहते हुए गुंजल ने अपना एक अलग कार्यकर्ता वर्ग तैयार कर लिया था। जिसके लिए पार्टी के बजाय गुंजल का चेहरा महत्वपूर्ण है। अपने पूरे राजनैतिक जीवन में प्रह्लाद गुंजल की पहचान कार्यकर्ताओं के लिए ‌कुछ भी कर गुजरने वाले नेता के रूप में रही है। यही कारण है कि कार्यकर्ता भी उन पर अपनी जान निछावर करने के लिए तैयार रहता है।

 

सोशल मीडिया से बिरला गायब

 

माना जाता है कि बीजेपी को 2014 के चुनाव ‌में मिले पूर्ण बहुमत में कहीं न कहीं सोशल मीडिया ने भी बड़ी भूमिका निभाई थी। बीजेपी का आईटी सेल नैरेटिव सेट करने, विपक्षी को चर्चा से गायब करने और अपने पक्ष में माहौल बनाने में काफी माहिर है। साथ ही जनता के बीच विपक्षी की छवि खराब करने के लिए भी कुख्यात है। अब ये आईटी सेल खुल कर गुंजल के पक्ष में आ गया है और अपने आक्रामक प्रचार के जरिए इसने गुंजल को काफी बढ़त दिला दी है। यही कारण है कि बीजेपी के व्हाट्सएप ग्रुपों से बिरला के ऐसे वीडियो पोस्ट किए जा रहे हैं जिनमें लोग उनसे नाराजगी जाहिर कर रहे हैं या फिर वो सीन से ही गायब हैं। जबकि गुंजल के भीड़ उमड़ते और जबरदस्त स्वागत सम्मान करते वीडियो लगातार वायरल किए जा रहे हैं। इसी का नतीजा है कि लोग गुंजल की एकतरफा जीत के दावे करने लगे हैं।

 

बिरला के कार्यकर्ता नहीं कर पा रहे सवालों का सामना

 

सवालों का सामना करने के मामले में भी बिरला के समर्थक बैक फुट पर हैं। दरअसल गुंजल के समर्थकों ने बिरला के खिलाफ इस तरह का माहौल बना दिया है कि दस साल में इन्होंने कोटा-बूंदी क्षेत्र के लिए कुछ नहीं किया। इतना ही नहीं ये लोकसभा स्पीकर रहते हुए भी क्षेत्र की जनता के लिए कुछ नहीं कर पाए। इन सवालों का माकूल जवाब देने में बिरला समर्थक अपने आप को लाचार पी रहे हैं। नतीजा जो भी निकले इस वक्त पूरी दुनिया की नजर इस हॉट सीट पर बनी हुई है।

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