वाम लोकतान्त्रिक एकता: हमारे समय की सबसे बड़ी आवश्यकता विषय पर सेमिनार सम्पन्न
भारत की मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (यूनाइटेड) की राजस्थान कमेटी का आयोजन
कोटा। भारत की मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (यूनाइटेड) की राजस्थान राज्य कमेटी की ओर से शुक्रवार को कोटा के शॉपिंग सेंटर स्थित लाला लाजपतराय भवन में वाम लोकतान्त्रिक एकता: हमारे समय की सबसे बड़ी आवश्यकता विषय पर सेमिनार का आयोजन किया गया।
सेमिनार में बड़ी संख्या में हाड़ौती अंचल के वामपंथी, लोकतांत्रिक, धर्म निरपेक्ष एवं प्रगतिशील विचारकों, नागरिकों, बुद्धिजीवियों, साहित्यकारों, पत्रकारों, दलित एवं महिला संगठनों के सदस्यों ने भाग लिया।
कार्यक्रम का आरम्भ नाट्यकर्मी नारायण शर्मा, नंदकिशोर तिवारी तथा जनकवि हंसराज चौधरी के ‘ये फौसले का वक़्त है तू आ कदम मिला’ जैसे एकता का आह्वान करने वाले क्रांतिकारी गीतों से किया गया। गीतों के माध्यम से सन्देश दिया गया कि समाज को जोड़ने वाली ताकतों को एक साथ आकर समाज में सार्थक हस्तक्षेप करना चाहिए।
पंजाब से लें संघर्ष की मिसाल
विषय प्रवर्तन करते हुए पंजाब से आए पीबी सदस्य किरनजीत सिंह सेखों ने कहा कि आज़ादी के बाद भी हमारे देश के मजदूरों, किसानों तथा मेहनतकश लोगों की दुश्वारियों में कोई कमी नहीं आई है। 2014 में पिछली सरकार की नाकामियों की नब्ज़ पकड़कर जनता को अच्छे दिनों का दिवास्वप्न दिखा कर वर्तमान सरकार सत्ता में आई। लेकिन मोदी-शाह की सरकार ने उम्मीदों के विपरीत लोकतान्त्रिक अधिकारों का दमन करते हुए सभी संवैधानिक संस्थाओं को अपने कब्ज़े में ले लिया।
खेती को लाचारी की अवस्था में पहुंचाने के लिए लाए गए तीन काले क़ानून
उन्होंने कहा कि खेती किसानी को लाचारी की अवस्था में पहुंचाने के उद्देश्य से तीन काले कृषि क़ानून लाए गए। मजदूरों ने लम्बे संघर्ष के बाद अपने हक में कानून बनवाए थे, उन्हें ही ख़त्म कर दिया गया। उन्होंने कहा कि वामपंथी पार्टियों के सार्थक साझा प्रयासों से ही पिछले लोकसभा चुनावों के परिणामों से सरकार की तानाशाही प्रवृत्ति में कुछ हद तक लगाम लग सकी है। वामपंथी पार्टियों के सार्थक प्रयासों से ही बीजेपी का 400 पार का नारा सफल नहीं हो सका।
मिलकर ही किया जा सकता है तानाशाही का मुकाबला
उन्होंने कहा कि तानाशाही का मुकाबला मिलकर ही किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि व्यापक एकता की शुरुआत किसान आन्दोलन के दौरान हुई, जब पंजाब में वामपंथी ताकतों ने मिलकर किसान आन्दोलन चलाया, जो पूरे देश के लिए मिसाल बना।
वामपंथी एकता से ही सफलता संभव
माकपा के जिला सचिव दुलीचंद बोरदा ने कहा कि बिना वामपंथी एकता के सांप्रदायिक, फासीवादी व अधिनायकवादी शक्तियों को परास्त नहीं किया जा सकता। उन्होंने अमरीकी साम्राज्यवाद को दुनिया का सबसे बड़ा आतंकवादी बताया।
वामपंथियों के बीच विमर्श को बढावा देने का आह्वान
भाकपा (माले) के राज्य सचिव शंकरलाल चौधरी ने कहा कि देश को वर्तमान स्थित में लाने के प्रयास पिछले सौ वर्षों से किए जा रहे थे। पिछली यूपीए सरकार में भ्रष्टाचार के मामले उजागर होने के बाद अंतरराष्ट्रीय कॉर्पोरेट की मदद से जनमानस में व्याप्त व्यापक विरोध को भुनाते हुए ये शक्तियां सत्ता में आईं। अब ये सांप्रदायिक विभाजन के माध्यम से ही सत्ता में बना रहना चाहते हैं। उन्होंने वामपंथियों के बीच विमर्श को बढावा देने का आह्वान किया।
आज पूरी दुनिया में हावी है दक्षिणपंथ
सर्वोदय मंडल के फतेहचंद बागला ने कहा कि जिस तरह छोटी-छोटी नदियां मिल करके सागर की ओर जाती हैं, वैसे ही सभी वामपंथी दलों को एक साथ आ जाना चाहिए। लोकतंत्र बचाओ आन्दोलन समिति के अध्यक्ष अजय चतुर्वेदी ने कहा कि समाज में लोकतान्त्रिक क्रांति लाने में अगुवाई केवल वामपंथी पार्टियां ही कर सकती हैं।
ज़मीनी स्तर पर काम कर लोगों को जोड़ने पर जोर
भाकपा के तारा सिंह सिद्धू ने कहा कि आज पूरी दुनिया में दक्षिणपंथ हावी है। श्रीलंका के चुनाव परिणाम हमें हौसला देते हैं। उन्होंने बताया कि राजस्थान में भाजपा उन्हीं सीटों पर हारी है, जहां किसान आन्दोलन मज़बूत था। उन्होंने बताया कि मार्क्सवाद के ज़रिए ही हम अपने देश की बहुलतावादी संस्कृति और सामाजिक ताने-बाने को समझ सकते हैं। पीबी सदस्य अशोक ओंकार ने कहा कि यह विडम्बना है कि हम सामाजिक और राजनीतिक संघर्ष तो मिलकर लड़ते हैं, पर चुनाव अलग-अलग लड़ते हैं। उन्होंने ज़मीनी स्तर पर काम करने और लोगों को जोड़ने की वकालत की।
वसुधैव कुटुम्बकम वाले समाज में विभाजन कारी शक्तियां हावी
सेमिनार की अध्यक्षता करते हुए कबीरपंथी से मार्क्सवादी हुए अनुभवदास शास्त्री ने कहा कि सनातन धर्म के तथाकथित ठेकेदार कबीर और तुलसी की वाणी को ही नकारने का काम कर रहे हैं। सम्पूर्ण मानवजाति को एक समझने वाले धर्म में आज विभाजनकारी शक्तियां हावी हो गई हैं। अंत में घासीलाल घटोदिया ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
इस पर कटे परिंदे की कोशिश तो देखिए
सेमिनार का संचालन करते हुए कार्यक्रम संयोजक महेंद्र नेह ने वामपंथी पार्टियों के प्रयासों पर सवालिया निशान लगाने वालों के जवाब में दुष्यंत कुमार के शेर पढ़ते हुए कहा-
होने लगी है जिस्म में जुंबिश तो देखिए
इस पर कटे परिंदे की कोशिश तो देखिए
गूंगे निकल पड़े हैं, ज़ुबां की तलाश में
सरकार के ख़िलाफ़ ये साज़िश तो देखिए
उनकी अपील है कि उन्हें हम मदद करें
चाकू की पसलियों से गुज़ारिश तो देखिए
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