दीगोद क्षेत्र के देवपुरा गांव की पुलिया का मामला
पानी का फ्लो कम कर तीन घंटे बाद किया दुरुस्त
कोटा/ दीगोद। कोटा जिले के दीगोद क्षेत्र के देवपुरा गांव से निकल रही चंबल की दायीं मुख्य नहर के एस्केप में पानी का फ्लो अधिक होने के कारण सोमवार को रिसाव हो गया। जिससे क्षेत्र के खेतों में पानी भर गया।
ग्रामीणों ने बताया कि नहर में पानी का फ्लो ज्यादा होने से रिसाव के कारण पानी आसपास के खेतों में चला गया। पता लगने पर ग्रामीणों ने इसकी सूचना सीएडी के अधिकारियों को दी। जिसके बाद अधिकारी मौके पर पहुंचे। अधिकारियों ने जेसीबी मशीनों की सहायता से मिट्टी डलवा कर करीब 3 घंटे की मशक्कत के बाद रिसाव को ठीक किया। वर्तमान में दायीं मुख्य नहर में मध्यप्रदेश के किसानों के लिए पूरी क्षमता से पानी छोड़ा जा रहा है।
सीएडी के एईएन सोनू शर्मा ने बताया कि नहर में पानी का फ्लो कम करवाकर करीब 3 घंटे बाद रिसाव को ठीक किया। घटना देवपुरा पुलिया की है। वर्तमान में नहर में एमपी के हिस्से का पानी छोड़ा जा रहा है।
स्थानीय निवासी ने बताया कि सुबह 6 बजे करीब मॉर्निंग वॉक के दौरान घूमता हुआ खेत की तरफ आया तो पुलिया के पास पानी का रिसाव होते देखा। नहर से पानी के रिसाव के कारण 10-15 बीघा खेत में पानी भर गया। अधिकारियों को इसकी जानकारी दी। जिसके बाद एसडीएम व सीएडी के अधिकारी मौके पर पहुंचे। साढ़े 10 बजे करीब रिसाव को रोका गया।
खेतों में उराई की तैयारी कर रहे थे किसान
नहर नहर से पानी का रिसाव् होने से आसपास के किसानों भुवनेश, मोहनलाल नायक, बाबूलाल नायक, हेमराज मेघवाल, रामपाल मेघवाल के खेतों में पानी भर गया। ये किसान अपने खेतों में एक दो दिन बाद गेहूं की उराई करने की तैयारी कर रहे थे। जिससे किसानों को फसलों का नुकसान तो नहीं हुआ लेकिन उराई का काम प्रभावित होगा। किसान खेतों में पानी सूखने के बाद ही रबी की फसलों की उराई कर पाएंगे।
6600 क्यूसेक है घन मीटर है नहर की जल प्रवाह क्षमता
एईएन सोनू शर्मा ने बताया कि दायीं मुख्य नहर की जल प्रवाह क्षमता 6600 क्यूसेक है घन मीटर है।वर्तमान में 2550 क्यूसेक की क्षमता से जलप्रवाह किया जा रहा था। नहर का प्रवाह क्षेत्र राजस्थान में 124 किलोमीटर जबकि मध्यप्रदेश में 248 किलोमीटर है। जिससे राजस्थान में 1.27 लाख हैक्टेयर व मध्यप्रदेश में 3.70 लाख हैक्टेयर भूमि पर सिंचाई होती है।
6025 से घटाकर 2550 क्यूसेक किया जलप्रवाह
मध्यप्रदेश के खेतों में सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराने के उद्देश्य से इस दायीं नहर में 6025 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है। मध्यप्रदेश में नहरों की मरम्मत के कार्य में देरी हो गई थी। ऐसे में वहां के अधिकारियों ने छह नवम्बर से पानी मांगा था। जिससे नहर में जलप्रवाह बढ़ाने में एक सप्ताह का विलम्ब हो गया था। 10 नवंबर के बाद डिमांड आने से पूरी क्षमता से नहर में जलप्रवाह किया जा रहा था। सोमवार को दीगोद क्षेत्र में रिसाव होने से अधिकारियों ने पानी का प्रवाह कम करवा दिया। वर्तमान में नहर में 6025 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा था। सुबह सात बजे नहर में जलप्रवाह घटाकर 2550 क्यूसेक कर दिया गया। नहर में जलप्रवाह घटाने के बाद यहां पर मरम्मत कार्य किया गया।
टेल क्षेत्र के किसान पानी का कर रहे इंतजार
सीएडी विभाग ने रबी फसलों के लिए पूरी क्षमता से दोनों नहरों में जलप्रवाह शुरू कर दिया है। इसके बावजूद टेल क्षेत्र के खेतों तक नहरी पानी नहीं पहुंचा है। सिंचाई के लिए किसानों की नहरी पानी की मांग बढ़ती जा रही है, लेकिन उन्हें पानी नहीं मिल पा रहा है। पूरी क्षमता से नहरें चलाने के बाद भी पानी सभी जगह पर नहीं पहुंच पा रहा है। इससे किसानों को परेशानी हो रही है। रबी फसल 2024-25 के लिए चंबल सिंचित क्षेत्र के कृषकों की मांग के अनुसार गत दिनों चंबल की दायीं और बायीं नहर में जलप्रवाह शुरू किया गया था। अब रबी फसलों की बुवाई का कार्य गति पकड़ने लगा है। इस कारण फसलों में सिंचाई के लिए पानी की आवश्यकता होने लगी है।
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ग्रामीणों ने सुबह के समय दायीं नहर में रिसाव होने की सूचना दी थी। इसके बाद वह मौके पर पहुंचे तो नहर के एस्केप में रिसाव मिला। इस पर नहर में जलप्रवाह कम करवाया और जेसीबी मशीनें मंगवा कर मरम्मत कार्य शुरू करवा दिया गया। तीन घंटे की मशक्कत के बाद रिसाव को बंद कर दिया गया।
-सोनू शर्मा, एईएन, सीएडी
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