रिपोर्ट : दीपक कुमार त्यागी
स्वतंत्र पत्रकार
हम अपने जीवन में भक्ति प्राप्त करना चाहते है तो हमें अपनी बुद्धि, बल, पद व परिवार के झूठे अभिमान को त्याग कर भगवान की शरण में आना चाहिए क्योंकि जहाँ-जहाँ अभिमान होता है वहाँ भगवान नहीं आते – अरविन्द भाई ओझा
मोदीनगर, गाजियाबाद। आज सुभाष विहार मोदीनगर में चल रही हनुमत कथा में आज हनुमान जी के जन्म का उत्सव धूमधाम से मनाया गया, अंजना जायो ललना मैं वेदन में सुन आयी भजन पर झूम झूम कर भक्तो के जन्म की बधाईयाँ गाई। आज की कथा में
कथा व्यास अरविन्द भाई ओझा ने हनुमत कथा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भगवान शिव गुरुओं के परम गुरु हैं इसलिए शिव के अवतारी श्री हनुमान जी गुरु की भूमिका में जन्म लेकर मनुष्यों की बुराइयों को सुधारते हैं गुरु का कर्तव्य है कि वह अपने शिष्य को कुमार्ग पर चलने से बचाये इसी लिए हनुमान जी लंका में रावण के दरबार में रावण को समझाने का हर सम्भव प्रयास करते हैं पर विनाशकाले विपरीत बुद्धि रावण हनुमान जी को ही मूर्ख सठ कहता है ।
“कथा व्यास अरविन्द भाई ओझा कहते हैं कि हनुमानजी संसार में जन्म लेकर राम जी के द्वार पर बैठकर मनुष्यों की बुराइयों को सुधारते हैं और भगवान श्री राम का जन्म लेकर संसार के मनुष्यों को भवसागर से तारने का काम करते है इसलिए हनुमान जी सुधारते है और श्री राम तारते है ।”
कथा व्यास अरविन्द भाई ओझा ने आगे बोलते हुए कहा कि भगवान श्री राम अपनी जननी जन्मभूमि और अपने धाम के लोगो को बहुत प्यार करते है और हमे संदेश देते है कि हमे भी अपने गाँव को तीर्थ समझना चाहिए। उन्होंने भक्तों का आव्हान करते हुए कहा कि हमारा गांव हमारा तीर्थ है इसलिए हमें अपने गांव के उत्थान के लिए कुछ न कुछ करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि हम अपने जीवन में भक्ति प्राप्त करना चाहते है तो हमे अपनी बुद्धि, बल, पद व परिवार के झूठे अभिमान को त्याग कर भगवान की शरण में आना चाहिए क्योंकि जहाँ जहाँ अभिमान होता है वहाँ भगवान नहीं आते | हनुमान जी अभिमान को त्यागकर भगवान और भक्त दोनों की सेवा करते है इसलिए भगवान श्री राम हनुमान जी को लछमन जी से दोगुना प्रेम करते है। हनुमान जी ने जीवन में सेवा व तप करते हुए भगवन श्री राम के नाम का निरंतर जाप कर उन्हें अपने वश में कर लिया और वे प्रभु श्रीराम के चरणों की सेवा करते-करते महाप्रभु हो गये।
कथा व्यास अरविन्द भाई ओझा जी ने कहा कि जो अनन्य भाव से जीवन जीता है भगवान उसे अभय करते है इसी अभयता से ही व्यक्ति अपने प्राणों की चिंता छोड़ कर देश, धर्म, संस्कृति समाज के लिए सर्वस्व बलिदान करने को तैयार होता है। हनुमानजी का सिंदूरी रंग हमें त्याग, समर्पण और बलिदान की प्रेरणा देता है। आज सनातन व हिंदुओं पर संकट का समय है इसलिए हमें अपनी नई पीढ़ी को धर्म संस्कृति समाज से जोड़ने के प्रयत्न करने चाहिए।
आज कथा में आज के यजमान रविन्द्र चौधरी व श्रीमती विनोद , विकास शर्मा व प्रीति, संजय तिवारी व मीनाक्षी, राकुमार सेठी व अनिता, जैकी यादव रहे अतिथि प्रमोद गोयल ग्रीनलैंड, जितेंद्र अग्रवाल, मोनू धामा सभासद रहे
व्हाट्सएप पर शेयर करें
No Comments