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Tuesday, April 22, 2025 1:50:31 AM

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कल जिनकी नाव डुबोई, आज खुद उनकी नाव पे सवार हुए केजरीवाल

कल जिनकी नाव डुबोई, आज खुद उनकी नाव पे सवार हुए केजरीवाल

संदीप त्यागी

प्रभारी,
जिला दक्षिणी दिल्ली, किसान मोर्चा भाजपा, दिल्ली

 

राजनीति को बदलने आये अरविंद केजरीवाल खुद राजनीति के भवर मे फसते नजर आ रहे दिल्ली के तथाकथित मालिक अरविंद केजरीवाल.

पिछले दो विधानसभा चुनावो मे रिकॉर्ड सीट जीतने वाली आम आदमी पार्टी आज के परिदृश्य मे कुछ कुछ नही, पूरी बदली नजर आ रही है इसबार आम आदमी पार्टी “एक पार्टी न दिखकर एक निरंकुश शासक के इशारों पे नाचती कठ्ठपुतली लग रही है” जिसके दुष्परिणाम भी अवश्य सामने आयेंगे.

 

आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल की निर्णयों को देखकर लग रहा है कि केजरीवाल अपनी पार्टी के पुराने नेताओ से ज्यादा विचार विमर्श न कर अधिकतर निर्णय संदीप पाठक व दुर्गेश पाठक की परिधि मे ही कर रहे है. जिससे खुलकर न सही लेकिन विरोध की चिंगारी सुलग्नी शुरू तो हो चुकी है,

आम आदमी पार्टी ने विधानसभा चुनाव 2025 के लिए प्रत्याशियों की दूसरी लिस्ट भी जारी कर दी है जिसमे अभी तक पार्टी के सिपल्हासर रहे इंडिया एंगेस्ट करेप्शन के मुखिया रहे दिलीप पांडे तक का टिकट काटकर सुरेंद्र पाल बिट्टू को देने से पार्टी केडर मे भारी नाराजगी देखने को मिल रही है, क्योकि आम आदमी पार्टी से बिट्टू तिमार् पुर से लगातार तीन चुनाव हार चुके है, जो धीरे धीरे पूरी दिल्ली के कार्यकर्ताओ फैल सकती हैं, जिससे आम आदमी पार्टी को चुनाव बहुत बड़ा नुकशान उठाना पड़ सकता है, अभी तक डेढ दर्जन के करीब टिकट काटकर अन्य दलों से आये ऐसे नेताओ को दिये जा चुके है जिन्हे केजरीवाल के नैसीखिया रहे इन्ही विधायको ने चुनाव मे एक से ज्यादा बार पटकनी देकर राजनैतिक पारी ध्वस्त की थी, आज अरविंद केजरीवाल का इन हारे हुए घोड़ो पर विश्वास् दिखाना कौनसी राजनैतिक समझ है और कदम कही भारी न पड़ जाए, क्योकि वर्तमान समय मे अनेको भृष्ट्राचार के आरोपो से घिरी पार्टी की स्तिथि के लिए

स्वय अरविंद केजरीवाल की नीतियां ही जिम्मेवार है, जिन 17 विधायको के टिकट काटे गए है उनमे से शरद चौहान को छोड़कर अधिकतर पर किसी भी प्रकार का कोई आरोप नही है

 

अपने पुराने साथी रहे गिरीश सोनी, राजेश ऋषि, दिलीप पांडे, धर्मपाल लाकड़ा, पवन शर्मा, प्रवीण कुमार, रामनिवास गुप्ता का टिकट काटने पर इन सभी का अन्य दलों से प्रत्याशी बनाया जाना आम आदमी पार्टी को भारी पड़ सकता है, जिसके बाद बाकी बची अन्य विधायको मे खलबली मची हुई है, जिसमे वर्तमान दिल्ली सरकार का पूरा मंत्रिमंडल भी शामिल है, क्योकि अभी जारी सूची मे किसी मन्त्री को प्रत्याशी नही बनाया गया है, कुछ खबर ऐसी भी की वर्तमान दो केबिनेट मंत्री कुछ विधायको के साथ भाजपा का दरवाजा खटखटा चुके है, जिसका निर्णय चित्रकूट मे 12 दिसम्बर तक चलने वाली संघ के बैठक के उपरांत हो सकेगा.

अगर दिल्ली की जनता का आम आदमी पार्टी से मोहभंग हुआ है तो उसका कारण भी अरविंद केजरीवाल की नीतियां है, इन विधायको की क्या गलती है..

क्या यह अरविंद केजरीवाल की हठधर्मिता आप पार्टी को सत्ता से दूर कर राजनीति के धरातल मे न ले जाए. क्योकि आप पार्टी अभी तक अपने पुराने तौर तरीको से बहुत दूर दिख रही हैं, पिछले 10 वर्षो की ऐंटी इंकॉमबेनशी भी अरविंद केजरीवाल को सत्ता से दूर करती दिख रही है, जिसका एक कारण अरविंद केजरीवाल का मुख्यमन्त्री रहते दिल्ली से वादा खिलाफत व समस्या का हल न कर आरोपो की राजनीति करना रहा है

कांग्रेस की शिला दीक्षित के पंद्रह साल के शासन काल मे अनेको उपलब्धियों के बाद भी दिल्ली की जनता तीन बार अरविंद केजरीवाल को भी मौका दे चुकी है, लेकिन अरविंद केजरीवाल के पास उपलब्धियों के नाम पर सिर्फ और सिर्फ आरोप प्रत्यारोप के सिवा कुछ नही है, दिल्ली मे मूलभूत सुविधाओ, हवा, पानी, स्वस्थ्य, मार्गो की स्तिथि दयनीय है, दो वर्षो के नगर निगम के कार्यो मे सुधार न होकर, अव्यवस्तिथ हो गया है

इसलिए अब देखाना हैं कि जिन नेताओ की नाव अरविंद केजरीवाल की सेलाब मे बह गई वो केजरीवाल की नाव को कैसे किनारे लगाते है?

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