अमन अन्सारी, पाैष २७, (जनवरी 11, 2025) नेपालगञ्ज ।
नेपालगञ्ज मे रहे महेन्द्र पुस्तकालय पर अदबी तनजीम “गुल्जारे अदब नेपालगञ्ज” का महाना तरही नशिस्त का आयाेजन किया गया ।
मिसरा तरही था “यह दुनिया महज एक धाेके का घर है” नशिस्त कि सदारत बुज्रुग शायर शैय्यद अशफाक रसुल हाश्मी ने किया । जिस मे बुज्रुग शायर अब्दुल लतीफ “शाैक” ने पढा-“चलुं आखिरत तक सफर ही सफर है, यह दुनिया महज एक धाेके का घर है ।” बुज्रुग शायर सैय्यद अशफाक रसुुल हाशमी ने पढा,-“शुकुन दिल मे है न तराजे जिगर है, मै ढुंढु कहाँ वह न जाने किधर है ।”, मुस्तफा अहसन कुरेैशी ने पढा,-“जाे दिल जाेड्ने का किसी मे हुनर है, वही दिल फतेह करने वाला बशर है ।”, आदिल सरवर ने पढा,-“जिधर एक मुफ्लिस का कल्बाे जिगर है, उधर हुशन वालाें कि तिरछी नजर है ।”, इस्माईल अन्सारी ने पढा,-“मुझे प्यार मे धाेखेबाजी का डर है, माेहब्बत नही यह मेरा दर्द सर है।”, माेहम्मद आरिफ अन्सारी ने पढा,-“झलकता है दिल में जो ख़ूने जिगर है, मैं ढूंढूं कहां तुझ को तू तो इधर है ।”, मेराज अहमद “हिमालय” ने पढा,-“मराेगे यही तुम भराेगे यहीं पर, ये बंकर नही है तुम्हारी कब्र है ।”, नुरुल हसन राई ने पढा,-“जाे है राह इस कि वही पुरखतर है, यह दुनिया महज एक धाेके का घर है।”,-आशिम सरवर ने पढा,-“क्या बच्चा अउर बुढा हर काेई खूँ से तर है, फिलिस्तीन अब खण्डहराें का शहर है ।”, इन के अलावा तमाम शायराे ने अपना-अपना कलाम पेश किए ।
साथ मे डाक्टर जैनुल आब्दीन ने कहा इन तमाम माेतियाें काे बाजार मे लाया जाए । उन्हाेनें नशिस्त कि सराहना की अउर नशिस्तकाे थाेडे नये शिरे से बजार मे लाया जाने पर जाेर दिया ।
नशिस्त मे हाजी जाकिर हुसैन, माेहियुद्दीन फारुकी “बब्बु”, माेहम्मद हामीद हसन अन्सारी, सारिक सल्मानी एवम् तमाम लाेग माैजुद रहे । नशिस्त की निजामत शायर मुस्तफा अहसन कुरैशी ने कि ।
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