कामकाजी महिलाओं का राज्य स्तरीय कन्वेंशन सम्पन्न
भारतीय ट्रेड यूनियन केंद्र सीटू राजस्थान राज्य कमेटी की ओर से हुआ आयोजन
कामकाजी महिलाओं की समस्याओं को लेकर संघर्ष का आह्वान
इटावा/ कोटा। भारतीय ट्रेड यूनियन केंद्र सीटू राजस्थान राज्य कमेटी की ओर से कामकाजी महिलाओं का राज्य स्तरीय कन्वेंशन श्रमिक एकता केंद्र शांति नगर जयपुर में आयोजित हुआ। जिसमें 21 सदस्यों की कोऑर्डिनेशन कमेटी का गठन कर 1 से 8 मार्च तक अभियान चलाकर 8 मार्च को महिला दिवस मनाने का प्रस्ताव पारित किया गया।
सीटू राज्य कमेटी सदस्य मुरारीलाल बैरवा ने बताया कि सम्मेलन में आंगनबाड़ी वर्कर्स, आशा वर्कर्स, मिड डे मील वर्कर्स, उद्योग में काम करने वाली महिला साथी, घरेलू कामगार महिलाओं ने भाग लिया। खचाखच भरे हाल में सम्मेलन का उद्घाटन सीटू प्रदेश महामंत्री कामरेड वीएस राणा ने किया। उन्होंने कामकाजी महिलाओं की समस्याओं पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सभी तरह के काम करने वाली कामकाजी महिलाओं को एक होकर अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करने के लिए तैयार होना होगा। 1 मार्च से 8 मार्च तक हमें अभियान चलाकर कामकाजी महिलाओं को एकत्र करना है। उनको संगठन के अंदर लाकर व सदस्य बनाकर 8 मार्च को महिला दिवस मनाना है। उन्होंने सरकार की नीतियों को महिला शोषणकारी बताया। क्योंकि राजस्थान में मिड डे मील वर्कर को मात्र 2100 रुपए मासिक मानदेय मिल रहा है। समय पर मानदेय का भुगतान नहीं किया जाता। बच्चों को स्कूल में दूध पिलाने के 500 रुपए महीने तीन महिलाओं को दिए जाते हैं। उनके जो काम नहीं हैं वह भी उनसे स्कूलों में करवाए जाते हैं। हमें हर जगह महिला कमेटियां बनाकर उनके शोषण के खिलाफ आवाज उठानी होगी।
महिलाओं को रात में भी करना पड़ रहा काम
सीटू महामंत्री व सीटू राजस्थान राज्य कमेटी सदस्य मुरारी लाल बैरवा ने बताया कि सम्मेलन में आंगनबाड़ी की राष्ट्रीय नेता कामरेड बीना गुप्ता ने भी विस्तार से अपने विचार रखे। उन्होंने बताया कि सरकार इन योजनाओं के नाम बदलकर बजट को कम कर रही है और धीरे-धीरे इन योजनाओं को बंद करना चाहती है। महिलाओं, आशा व आंगनबाड़ी सहायिकाओं से केवाईसी करवाई जा रही है। अस्पतालों के काम करवाए जाते हैं। उनसे ऑनलाइन सारे काम करवाए जाते हैं लेकिन मोबाइल तक दिए नहीं जाते। महिलाओं को दिन में तो काम करना ही पड़ता है, रात को उनको अपने घर पर भी सरकार के लिए काम करना पड़ता है। 24 घंटे मोबाइल ऑन रखना पड़ता है। रिटायरमेंट पर कुछ सुविधा नहीं दी जाती। पीएफ और ईएसआई की सुविधा तक भी नहीं दी जा रही है। कोई भी सामाजिक सुरक्षा नहीं है। जब मन चाहे तब काम से निकाल दिया जाता है। साल में 10 माह ही मानदेय दिया जाता है। दो माह का मानदेय भी नहीं दिया जाता। हमें इन योजनाओं को बचाना होगा। सरकारी स्कूलों को भी बचाने के लिए संघर्ष करना होगा। आंगनबाड़ी केंद्रों को बचाने के लिए भी हमें कार्य करना होगा।
महिला कर्मचारियों को होना पड़ेगा एकजुट
कन्वेंशन को संबोधित करते हुए सीटू राज्य उपाध्यक्ष कामरेड सुमित्रा चोपड़ा ने महिलाओं की समस्याओं को रखा। उन्होंने कहा कि सरकार के खिलाफ एक जुट होकर संघर्ष करने से ही इन समस्याओं का समाधान हो सकेगा। हमें सभी प्रकार के महिला कर्मचारियों को एकजुट होना पड़ेगा।
महिलाओं की समस्याओं पर विस्तार से डाला प्रकाश
कन्वेंशन को संबोधित करते हुए कामरेड रवींद्र शुक्ला ने विस्तार से आंगनवाड़ी, मीड डे मील, आशा वर्कर्स, कारखाने में काम करने वाली महिलाओं घरेलू कामगार महिलाओं और निर्माण क्षेत्र में काम करने वाली महिलाओं की समस्याओं पर विस्तार से अपने विचार रखे। सीटू का उद्देश्य बताया। सम्मेलन में 8 जिलों से आई महिला साथियों ने भी अपने विचार रखे और अपनी समस्याओं के बारे में बताया। सम्मेलन की अध्यक्षता 8 महिला साथियों ने की।
देश में महिला श्रम की हो रही है लूट
सम्मेलन का समापन सीटू प्रदेश अध्यक्ष भंवर सिंह शेखावत ने अपने सम्बोधन से करते हुए विस्तार से महिला कामगारों को बताया कि उन्हें अपनी एकता का विस्तार करना होगा। सबसे ज्यादा देश में महिला श्रम की लूट हो रही है। उसका कारण है उनका एकजुट नहीं होना और संगठन में नहीं होना। सभी को संगठित होना पड़ेगा। हर प्रकार की महिलाएं जो कामकाजी हैं उन सबको हमें एक छाते के नीचे लाना होगा और मिलकर उनकी समस्याओं के लिए संघर्ष करना होगा। सरकार के खिलाफ आवाज उठानी होगी। हमें एक छोटे से जीव मधुमक्खी से एकता की बात सीखनी चाहिए। उसी तरह की एकता हमें भी बनानी होगी। सभी जिलों में हमें अभियान चला कर सदस्य बनाना होगा। फिर जिलों में प्रदर्शन करना होगा। जिलों में प्रदर्शन करने के बाद एकता का विस्तार कर पूरे राज्य स्तर पर जयपुर में बड़ा प्रदर्शन कर अपनी मांगों को उठाना होगा। जिस तरह से आर्थिक शोषण हो रहा है, उसके खिलाफ एकजुट होकर लंबा संघर्ष करना होगा। देश में किस तरह से महिला श्रम का शोषण हो रहा है विस्तार से इस पर बताया कि महिलाओं में एकता की कमी होना इसका सबसे बड़ा कारण है। हमें एकजुट होकर अपनी मांगों को उठाकर संघर्ष करना होगा। अंत में सभी का धन्यवाद देते हुए नारेबाजी के साथ कन्वेंशन संपन्न हुआ।
महिला कोऑर्डिनेशन कमेटी का किया गठन
सम्मेलन में 21 सदस्यों की महिला कोऑर्डिनेशन कमेटी का गठन किया गया। इसका कन्वीनर कामरेड सुमित्रा चोपड़ा को बनाया गया है। हर जिले से इसमें महिला साथियों को लेकर 21 सदस्य चुने गए।
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