Breaking News

आवश्यकता है “बेखौफ खबर” हिन्दी वेब न्यूज़ चैनल को रिपोटर्स और विज्ञापन प्रतिनिधियों की इच्छुक व्यक्ति जुड़ने के लिए सम्पर्क करे –Email : [email protected] , [email protected] whatsapp : 9451304748 * निःशुल्क ज्वाइनिंग शुरू * १- आपको मिलेगा खबरों को तुरंत लाइव करने के लिए user id /password * २- आपकी बेस्ट रिपोर्ट पर मिलेगी प्रोत्साहन धनराशि * ३- आपकी रिपोर्ट पर दर्शक हिट्स के अनुसार भी मिलेगी प्रोत्साहन धनराशि * ४- आपकी रिपोर्ट पर होगा आपका फोटो और नाम *५- विज्ञापन पर मिलेगा 50 प्रतिशत प्रोत्साहन धनराशि *जल्द ही आपकी टेलीविजन स्क्रीन पर होंगी हमारी टीम की “स्पेशल रिपोर्ट”

Thursday, March 27, 2025 12:28:03 AM

वीडियो देखें

लैंगिक भेद मिटाना सामूहिक जिम्मेदारी – नूपुर प्रसाद

लैंगिक भेद मिटाना सामूहिक जिम्मेदारी – नूपुर प्रसाद

 

हिन्दू कालेज में महिला दिवस पर परिचर्चा

दिल्ली। हिन्दू महाविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की पूर्व संध्या पर महिला विकास प्रकोष्ठ द्वारा परिचर्चा का आयोजन किया। आयोजन में कॉलेज की प्राचार्य प्रो अंजू श्रीवास्तव एवं उप प्राचार्य प्रो रीना जैन ने परिचर्चा में भाग लेने आई अपने अपने क्षेत्रों की विदुषी महिलाओं का स्वागत किया। परिचर्चा में भारतीय पुलिस सेवा की वरिष्ठ अधिकारी नूपुर प्रसाद ने अलग-अलग स्तरों पर स्त्रियों के साथ होने वाले शोषण और विभिन्न क्षेत्रों में असमान प्रतिनिधित्व पर तथ्यों को प्रस्तुत करते हुए बताया कि स्त्री सशक्तीकरण राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक संसाधनों तक महिलाओं की पहुँच सम्भव करता है। प्रसाद ने आर्थिक क्षेत्र में असमान वेतन दर और इस असमानता को कम करने के तरीकों पर भी विस्तार से चर्चा की। कार्य क्षेत्र में असमानता और शारीरिक शोषण जैसे संजीदा मुद्दों पर बोलते हुए उन्होंने ज़ोर दिया कि लैंगिक भेद को कम करने में केवल स्त्रियों की नहीं अपितु पूरे समाज की समान भूमिका होती है।

भारतीय राजस्व सेवा की वरिष्ठ अधिकारी शुभ्रता प्रकाश ने पुराने समय की स्त्री समस्याओं और समय के साथ उसके बदलते स्वरूप की चर्चा की। प्रकाश ने अवसाद की दोहरी लड़ाई का उल्लेख करते हुए बताया कि स्त्रियों के लिए मानसिक स्वास्थ्य किस तरह सर्वाधिक महत्वपूर्ण हो जाता है। उन्होंने अपने सेवा काल के अनुभवों का उल्लेख करते हुए कहा कि सामाजिक समानता के लिए प्रत्येक मोर्चे पर बहुत अधिक चुनौतियाँ हैं जिनसे लड़कर ही बदलाव संभव होगा।

मनोविज्ञान की विशेषज्ञ और सलाहकार वसुधा चतुर्वेदी ने परिचर्चा में कहा कि स्त्रियों के लिए अपनी देखभाल या सेल्फ केयर अभी भी एक अज्ञात विचार है, जबकि वे ख़ुद सभी की जरूरतों का पूरा खयाल रखतीं हैं। खुद की मानसिक जरूरत और देखभाल उनकी वैचारिक और व्यवहारिक परिधि से बाहर की बात है। चतुर्वेदी ने मनोवैज्ञानिक उदाहरण देकर अपनी बात को स्पष्ट किया और युवा महिलाओं आह्वान किया कि वे सेल्फ केयर को आवश्यक समझें ताकि समाज की वास्तविक बेहतरी हो सके।

होम्योपैथी की चिकित्सक डॉ गीता सिद्धार्थ ने कहा स्त्रियों को एक जीवन काल में चार बार जन्म लेना पड़ता है। पहली बार जब उसका जन्म होता है, दूसरी बार जब वह युवती होती है, तीसरी बार जब वह माँ बनती है और चौथी बार जब उसका मेनोपोज़ होता है। इन चारों पड़ावों से जुड़े स्वास्थ्य और मनोवैज्ञानिक पक्षों को विस्तार से बताते हुए डॉ सिद्धार्थ ने शारीरिक जागरूकता के सम्बन्ध में होम्योपैथी की उपयोगिता बताई।

योग एवं प्राकृतिक चिकित्सक डॉ दीपाली ने विविध क्रियाकलापों के माध्यम से शारीरिक तनाव कम करने के तरीके बताए और इनके महत्त्व को स्पष्ट किया। आपने रोज़मर्रा के जीवन में सेल्फ केयर की महत्ता और सेल्फ टॉक (स्वयं से बात करना) के मानसिक स्वास्थ्य पर होने वाले सकारात्मक और जादुई प्रभावों की ओर भी ध्यान इंगित किया।

आयोजन में डॉ मनीषा पांडे, डॉ अनिरुद्ध प्रसाद, डॉ पल्लव एवं अभय रंजन ने वक्ताओं का फूलों से अभिनन्दन किया। प्रकोष्ठ की छात्राओं अनुजा दीक्षित, भव्या शुक्ला, स्मृति और तनिष्का ने मंच संचालन किया। प्रकोष्ठ अध्यक्ष अवंतिका और उपाध्यक्ष रुचिका ने अतिथि परिचय दिया। अंत में महिला विकास प्रकोष्ठ की परामर्शदाता डॉ नीलम सिंह ने धन्यवाद ज्ञापित किया और कहा कि महिला दिवस का आयोजन सशक्तीकरण को प्रतिबिंबित करता है। परिचर्चा में राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयं सेवकों, विद्यार्थियों और शोधार्थियों की भारी उपस्थिति रही।

व्हाट्सएप पर शेयर करें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *