Breaking News

आवश्यकता है “बेखौफ खबर” हिन्दी वेब न्यूज़ चैनल को रिपोटर्स और विज्ञापन प्रतिनिधियों की इच्छुक व्यक्ति जुड़ने के लिए सम्पर्क करे –Email : [email protected] , [email protected] whatsapp : 9451304748 * निःशुल्क ज्वाइनिंग शुरू * १- आपको मिलेगा खबरों को तुरंत लाइव करने के लिए user id /password * २- आपकी बेस्ट रिपोर्ट पर मिलेगी प्रोत्साहन धनराशि * ३- आपकी रिपोर्ट पर दर्शक हिट्स के अनुसार भी मिलेगी प्रोत्साहन धनराशि * ४- आपकी रिपोर्ट पर होगा आपका फोटो और नाम *५- विज्ञापन पर मिलेगा 50 प्रतिशत प्रोत्साहन धनराशि *जल्द ही आपकी टेलीविजन स्क्रीन पर होंगी हमारी टीम की “स्पेशल रिपोर्ट”

Saturday, May 10, 2025 8:48:53 PM

वीडियो देखें

राफेल मामले की पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई जारी

राफेल मामले की पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई जारी

राफेल मामले की पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट में 3 जजों की बेंच बैठ चुकी है. बुधवार को रक्षा मंत्रालय ने राफेल मामले पर नया हलफनामा दाखिल कर दिया था. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने इस बात की जानकारी मांगी थी कि मंत्रालय से गोपनीय दस्तावेज लीक होने के मामले में क्या कार्रवाई की जा रही है. रक्षा मंत्रालय की ओर से दाखिल हलफनामे में कहा गया है कि जो गोपनीय जानकारी और दस्तावेज लीक हुए हैं उससे राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा है. सोशल मीडिया के जरिए ये जानकारी हमारे दुश्मन देशों को भी सहज उपलब्ध है. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि सरकार ने ऐसे लोगों पर क्या कार्रवाई की है. आज अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने अदालत में कहा कि ऐसे दस्तावेज कोर्ट में रखे गए जिन पर सरकार का प्रिविलेज (विशेषाधिकार) है. एटॉर्नी जनरल ने सुप्रीम कोर्ट में कानून की वो धारा बताईं जिसमें विशेषाधिकार का ज़िक्र है. प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति केएम जोसेफ की पीठ के समक्ष केन्द्र की ओर से अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने अपने दावे के समर्थन में साक्ष्य कानून की धारा 123 और सूचना के अधिकार कानून के प्रावधानों का हवाला दिया. इस पर उनसे पूछा गया कि सरकार दस्तावेज चोरी की बात कह रही है पर ये नहीं कह रही कि ऐसा करने वालों पर क्या कार्रवाई होगी. अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा कि सूचना के अधिकार (RTI) कानून में भी न्यायसंगत पाबंदी की बात कही गई है. इस पर चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने उनका ध्यान आरटीआई की उस उपधारा पर दिलाया जहां जनहित के लिए सूचना सार्वजनिक करने का ज़िक्र है. उन्होंने कहा कि जैसे संविधान में अभिव्यक्ति की आज़ादी की सीमाएं दी गई हैं वैसे ही आरटीआई में भी किया गया है. राष्ट्रीय सुरक्षा का पहलू बहुत बड़ा है. जस्टिस के एम जोसफ ने कहा कि आरटीआई कानून संसद ने 2005 में पास किया था अब उससे पीछे हटना ठीक नहीं है. अटार्नी जनरल ने इस पर कहा कि बात पीछे हटने की नहीं है और ये राष्ट्रीय सुरक्षा का मसला है. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि हम आपकी बात समझ गए हैं. आप चाहते हैं कि हम इस पहलू पर ध्यान देते हुए तय करें कि पुनर्विचार याचिका को सुनना है या नहीं. अब प्रशांत भूषण आपकी बातों का जवाब देंगे. इसके बाद प्रशांत भूषण ने कहा कि सरकार की आपत्ति अनुचित है और हम राष्ट्रीय सुरक्षा को नुकसान नहीं पहुंचा रहे हैं. ये कागज़ात अखबार में छपे थे और काफी समय से सार्वजनिक हैं. अब कोर्ट को इन पर विचार से रोकने की दलील गलत है. विशेषाधिकार की दलील ऐसे दस्तावेज के लिए दी जा सकती है जो प्रकाशित नहीं हुए. ये कागज़ात लंबे समय से सबके सामने हैं. भूषण ने अदालत से कहा कि राफेल सौदे में भारत सरकार और फ्रांस सरकार के बीच कोई करार नहीं है क्योंकि इसमें फ्रांस ने कोई संप्रभू गारंटी नहीं दी है. भारतीय प्रेस परिषद अधिनियम में पत्रकारों के सूत्रों के संरक्षण के प्रावधान हैं. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने भूषण से कहा कि हम केंद्र की प्रारंभिक आपत्ति पर फैसला करने के बाद ही मामले के तथ्यों पर विचार करेंगे. वहीं भूषण ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि राफेल के अलावा ऐसा कोई अन्य रक्षा सौदा नहीं है जिसमे कैग की रिपोर्ट में कीमतों के विवरण को एडिट किया गया हो. प्रशांत भूषण ने अदालत से कहा कि राफेल के जिन दस्तावेजों पर अटार्नी जनरल विशेषाधिकार का दावा कर रहे हैं, वे प्रकाशित हो चुके हैं और सार्वजनिक दायरे में हैं. सूचना के अधिकार कानून के प्रावधान कहते हैं कि जनहित अन्य चीजों से सर्वोपरि है और खुफिया एजेन्सियों से संबंधित दस्तावेजों पर किसी प्रकार के विशेषाधिकार का दावा नहीं किया जा सकता. फ्रांस के साथ 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के सौदे को चुनौती देने वाली याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था. 14 दिसंबर को दिए फैसले में कोर्ट ने माना था कि सौदा देशहित में है. इसमें किसी तरह की कोई गड़बड़ी नहीं हुई. इसी के खिलाफ याचिकाकर्ता यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और प्रशांत भूषण ने एक पुनर्विचार याचिका दाखिल की है. आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने भी एक पुनर्विचार याचिका दाखिल की है.

व्हाट्सएप पर शेयर करें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *