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Thursday, May 22, 2025 10:53:16 PM

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कर्नाटक के चुनावी दंगल में कांग्रेस, बीजेपी और जेडीएस के बीच जोरदार टक्कर, जेडीयू की चर्चा ना के बराबर

कर्नाटक के चुनावी दंगल में कांग्रेस, बीजेपी और जेडीएस के बीच जोरदार टक्कर, जेडीयू की चर्चा ना के बराबर

जनता दल युनाइटेड (जेडीयू) ने विस्तार के मंसूबे से कर्नाटक विधानसभा चुनावों में अपने 31 उम्मीदवार उतारे हैं. उम्मीदवारों की जीत के लिए जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनी 20 स्टार प्रचारकों की एक टोली भी तैयार कर ली है, जो कुछ दिनों में कर्नाटक की ओर कूच करेगी.दिल्ली नगर निगम और गुजरात विधान सभा चुनावों में भी पार्टी विस्तार की नीयत से किस्मत आजमा चुकी है, लेकिन पूरी ताकत झोंकेने के बावजूद कामयाबी हाथ नहीं लगी. जेडीयू को उम्मीद है कि कर्नाटक,जहां से अबतक जनता दल के 4 मुख्यमंत्री हुए,पार्टी के विस्तार के कार्यक्रम को बल मिलेगा.कर्नाटक के चुनावी दंगल में कांग्रेस, बीजेपी और जेडीएस के बीच जोरदार टक्कर है. जेडीयू की चर्चा ना के बराबर है, फिर भी इस चुनावी शोर-शराबा में नीतीश कुमार की जेडीयू अपनी खोई जमीन तलाशने की कोशिश कर रही है. नीतीश कुमार ने पिछले दिनों कार्यकर्ता सम्मेलन के बहाने सियासी तापमान मापने सिपहसालार संजय झा के साथ बेंगलुरू का दौरा भी कर चुके हैं.20 स्टार प्रचारकों की तैयार पलटन उनके इशारों का इंतजार कर रही है, लेकिन पुराने सहयोगी जो अब उनके धुर विरोधी हैं, उनकी चुनौतियों को गंभीरता से लेने को तैयार नही हैं. शरद यादव का कहना है कि नीतीश कुमार बीजेपी के सहयोगी के तौर पर मैदान में उतर रहें हैं जिसकी भूमिका ‘वोटकटवा’ से ज्यादा कुछ भी नहीं है.बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अप्रैल 2016 में हीं पार्टी अध्यक्ष की भी कमान थाम ली थी, तब जेडीयू के नेताओं ने दलील दी थी कि नीतीश कुमार के नेतृत्व में पार्टी राष्ट्रीय स्तर पर और सक्रिय भूमिका निभाएगी. नीतीश कुमार ने शराबबंदी अभियान के बहाने यूपी समेत देश के कई हिस्सों में विस्तार का कार्यक्रम भी शुरू किया. यूपी चुनाव लड़ने की तैयारियां शुरू हुईं लेकिन चुनावों की दहलीज पर आकर कदम वापस खींच लिए दिल्ली नगर निगम चुनाव में 90 से ज्यादा सीटों पर खड़े जेडीयू उम्मीदवार जमानत भी नहीं बचा पाए. ज्यादातर उम्मीदवार तो तीन अंकों का आंकड़ा तक नहीं छू पाए.शरद यादव और विधायक छोटू भाई वसावा की बगावत झेल रही जेडीयू गुजरात में 38 उम्मीदवार तो खोज लिए लेकिन एक सीट पर भी उनके उम्मीदवार को जीत नसीब नहीं हुई. दिल्ली नगर निगम चुनाव की तरह यहां भी अधिकांश उम्मीदवारों के जमानत जब्त हो गए. हालांकि पूर्वोत्तर के राज्य नागालैण्ड विधानसभा चुनाव में उतरे 11 उम्मीदवारों में से एक ने जीत हासिल की और मंत्री पद पाने में भी कामयाब हुआ लेकिन नागालैंड की जीत, जेडीयू की चिंताओं को कम नहीं कर पाई है. जेडीयू को अब भी बिहार से बाहर किसी बड़े राज्य से सुखद खबर का इंतजार है.कर्नाटक के शुरुआती रुझानों को देखते हुए जेडीयू की राह आसान नहीं लग रही है, लेकिन जेडीयू नेताओं का मानना है कि कर्नाटक में ही जनता दल की बुनियाद पड़ी थी और उसकी जड़ों के आस-पास ही विस्तार के बीज बिखरे पड़े हैं.अब देखना है कि जेडीयू की नाकामियों का दौर थमता है या अभी कुछ और चुनावों का इंतजार करना होगा.

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