कलयुग केवल नाम अधारा
सुमिर सुमिर नर उतरहिं पारा
रुदौली-अयोध्या। पूर्व ब्लाक प्रमुख व वरिष्ठ भाजपा नेता सर्वजीत सिंह* के पैतृक निवास ग्राम पूरे बल्दन पोस्ट बारी पर चल रहे श्रीमद् भागवत कथा के अंतिम दिन चित्रकूट धाम से आई भागवत मर्मज्ञ साध्वी अमृतानन्मयी ने भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा की मित्रता का सजीव चित्रण किया। उन्होंने कहा कि कृष्ण अपने बाल सखा सुदामा की आवभगत में इतने विभोर हो गए कि द्वारिका के नाथ हाथ जोड़कर और अंग लिपटाकर जल भरे नेत्रों से सुदामा का हाल चाल लेते हैं। भगवान के नेत्रों से इतना पानी निकलता है कि उससे सुदामा का पैर धुल जाता है। परात में रखे पानी में भगवान को हाथ नहीं लगाना पड़ा। इस प्रसंग से हमें यह शिक्षा मिलती है कि मित्रता में धन दौलत आड़े नहीं आनी चाहिए। सुदामा के आने की खबर पाकर किस प्रकार श्रीकृष्ण दौड़ते हुए दरवाजे तक जाते हैं कि मानों उनसे भी बड़ा कोई देवता आ रहा है और उसका स्वागत करने जा रहे है। साध्वीजी ने सुदामा चरित्र की कथा का प्रसंग सुनाकर श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने कहा जो अपनी इंद्रियों का दमन कर ले वही सुदामा है। मौके पर श्रद्धालुओं ने ध्यान पूर्वक कथा का श्रवण किया। उन्होंने कहा श्री कृष्ण भक्त वत्सल हैं सभी के दिलों में विहार करते हैं। जरूरत है तो सिर्फ शुद्ध ह्रदय से उन्हें पहचानने की। कथा के दौरान बीच बीच में अयोध्या धाम से आचार्य धनन्जय मिश्र जी भजन की प्रस्तुति की। श्रीमद् भागवत कथा में सुदामा चरित्र की कथा सुनकर एवं कृष्ण एवं सुदामा के मिलन की झांकी का दृश्य देख पंडाल में मौजूद समस्त भक्तगण भाव विभोर हो गए।
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